जिका वायरस अब कैंसर के इलाज की दिशा में एक नई उम्मीद जगा रहा है. एक हालिया अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि जिका वायरस का एक विशेष रूप ट्यूमर सेल्स को मारने में सक्षम हो सकता है.
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जीका वायरस अब तक डेंगू के एक खतरनाक चचेरे भाई के रूप में ही जाना जाता था, जिसका नाम सुनते ही माता-पिता कांप उठते हैं. मगर इसी जानलेवा वायरस में अब कैंसर को मात देने की क्षमता का संकेत मिला है. एक नए अध्ययन ने इस आशंका को जगाया है कि भविष्य में जीका वायरस का इस्तेमाल कुछ खास तरह के कैंसर के इलाज में किया जा सकेगा.
नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि जीका वायरस कुछ खास तरह के ट्यूमर सेल्स को संक्रमित कर उन्हें नष्ट कर देता है. यह वायरस खासतौर पर उन कैंसर सेल्स को निशाना बनाता है, जो तेजी से विभाजित हो रही होती हैं, जो कैंसर का एक लक्षण है. इसके विपरीत, हेल्दी सेल्स आमतौर पर जीका वायरस से अप्रभावित रहती हैं. हालांकि, यह रिसर्च अभी शुरुआती स्टेज में है और और गहन रिसर्च की जरूरत है.
शोध के नतीजे और भविष्य की संभावनाएं
यह अध्ययन अभी चूहों पर किया गया है, इसलिए इंसानों पर इसके प्रभाव को लेकर अभी निश्चित तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता. वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी और रिसर्च की जरूरत है, जिसमें इस थेरेपी की सुरक्षा और कारगरता का बारीकी से टेस्ट किया जाए. अगर आगे के अध्ययन सफल रहे तो भविष्य में जीका वायरस के आधार पर ऐसे एंटी-कैंसर थेरेपी विकसित की जा सकती हैं, जो खासतौर पर तेजी से बढ़ने वाले ट्यूमर को खत्म करने में कारगर हों.
जीका वायरस के उपयोग को लेकर चुनौतियां
यह तो तय है कि जीका वायरस का कैंसर के इलाज में इस्तेमाल करना कई चुनौतियों से भरा होगा. सबसे बड़ी चिंता ये है कि ये वायरस गर्भवती महिलाओं के गर्भ में पल रहे शिशु के लिए बेहद खतरनाक है. इसलिए इसका इस्तेमाल महिलाओं के कैंसर में करना बेहद मुश्किल होगा. साथ ही, जीका वायरस के अन्य संभावित साइड इफेक्ट्स का भी अध्ययन करना जरूरी है.