Aditya L 1 Mission: 10 सितंबर को आदित्य एल 1 ने तीसरी छलांग के जरिए धरती की अगली कक्षा में दाखिल हो गया. अब अगली छलांग 15 सितंबर को लगाई जाने वाली है. एल 1 प्वाइंट तक पहुंचने के लिए आदित्य मिशन को कुल 15 लाख किमी की दूरी तय करनी है.
Trending Photos
Aditya L 1 Mission Latest News: आदित्य एल 1 कामयाबी के साथ तीसरी छलांग लगा चुका है. अब यह 296 किमी के घेरे में 71767 किमी पर चक्कल लगा रहा है. इससे पहले पांच सितंबर को दूसरी छलांग में इसे 282 किमी x 40225 किमी की कक्षा में पहुंचाया गया था. तीसरी छलांग की प्रक्रिया को ISTRAC बेंगलुरु द्वारा सफलता से अंजाम दिया गया. इस दौरान मारिशस, और पोर्ट ब्लेयर के ग्राउंड स्टेशन ने रिकॉर्ड किया. अब 15 सितंबर को अगली कक्षा में पहुंचाने के लिए छलांग लगाई जाएगी.
15 सितंबर को अब अगली छलांग
15 सितंबर को ना सिर्फ आदित्य एल 1 अगली कक्षा में छलांद लगाएगा बल्कि उसे और आवश्यक गति प्रदान की जाएगी ताकि वो एल 1 कक्षा तक आसानी से पहुंच सके. जब धरती की कक्षा से सफलता के साथ आदित्य एल 1 को निकाल लिया जाएगा उसके बाद ट्रांस लैगरेंजियन छलांग की प्रक्रिया शुरू होगी. इस तरह से एल 1 तक पहुंचने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. इसमें कुल 110 दिन लगेंगे. बता दें कि जिस तारीख यानी लांच होने वाली डेट के 16 दिन बाद टीएलआई की प्रक्रिया का आगाज होगा.
धरती से L1 इतना दूर
एल 1 ऑर्बिट धरती की कक्षा से 1.5 लाख किमी दूर है जो सूरज और धरती के अक्ष पर है. यह वो बिंदु है जहां धरती और सूरज के गुरुत्वाकर्षण बल एक दूसरे को खारिज कर देते हैं और कोई भी वस्तु वहां लटक जाता है. इससे पहले, मंगलवार को, इस्ट्रैक वैज्ञानिकों ने आदित्य-एल1 के दूसरे पृथ्वी-संबंधी पैंतरेबाज़ी को सफलतापूर्वक लागू किया था और अंतरिक्ष यान को 282 किमी x 40,225 किमी की कक्षा में स्थापित किया था. मॉरीशस, बेंगलुरु और पोर्ट ब्लेयर में इस्ट्रैक/इसरो ग्राउंड स्टेशनों ने उपग्रह को ट्रैक किया था। दूसरा पृथ्वी-बाउंड ऑपरेशन। 3 सितंबर को, आदित्य-एल 1 लॉन्च होने के एक दिन बाद, इसरो ने पहला पृथ्वी-बाउंड छलांग पूरी की थी और अंतरिक्ष यान को 245 किमी x 22,459 किमी की कक्षा में स्थापित किया था. आदित्य-एल 1 एक उपग्रह है जो सूर्य का व्यापक अध्ययन करेगा. इसमें सात अलग-अलग पेलोड हैं. पांच इसरो द्वारा और दो इसरो के सहयोग से अकादमिक संस्थानों द्वारा - स्वदेशी रूप से विकसित किए गए हैं. आदित्य-एल 1 के साथ, इसरो सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव के अध्ययन में उद्यम करेगा। आदित्य-एल1 के वैज्ञानिक उद्देश्यों में कोरोनल हीटिंग, सौर पवन त्वरण, कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई), सौर वातावरण की गतिशीलता और तापमान अनिसोट्रॉपी का अध्ययन शामिल है।