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लखनऊ: यूपी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) से पहले सभी राजनीतिक दल पूरी तैयारी में जुट गए हैं. केंद्र सरकार में मंत्रिमंडल विस्तार में ओबीसी चेहरों को जगह मिलने के बाद यूपी में अब समाजवादी पार्टी (SP) की रणनीति भी ओबीसी वोट बैंक (OBC Vote Bank) को एकजुट करने की है. इसी कड़ी में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव 21 जुलाई को उन्नाव का दौरा करेंगे.
उन्नाव में अखिलेश यादव निषाद समुदाय के बड़े नेता रहे मनोहर लाल की 85वीं जयंती के कार्यक्रम में शामिल होंगे. इस दौरान अखिलेश यादव मनोहर लाल की एक मूर्ति का अनावरण करेंगे और एक जनसभा को भी संबोधित करेंगे. अगले साल 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश का यह दांव निषाद वोट बैंक की सियासत से जोड़ कर देखा जा रहा है. यूपी में निषाद, मल्लाह और कश्यप वोट बैंक करीब 4 फीसदी है.
सपा प्रवक्ता सुनील साजन ने ज़ी न्यूज़ (Zee News) से बातचीत में कहा कि ‘अखिलेश यादव उन्नाव में समाज के बड़े नेता मनोहर लाल के कार्यक्रम में शामिल होंगे. सपा ने हमेशा से निषाद समाज का सम्मान किया है और इस समुदाय के नेताओं को राजनीतिक स्थान भी दिया है. जबकि बीजेपी सिर्फ निषाद समुदाय के साथ होने का दिखावा करती है.’
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मनोहर लाल साल 1993 में मुलायम सिंह यादव की सरकार में मत्स्य पालन मंत्री भी रहे थे. मनोहर लाल तब चर्चित हुए थे जब 1994 में फूलन देवी की रिहाई को लेकर अपनी ही सरकार के खिलाफ धरने पर बैठ गए थे और निषाद के अधिकारों की मांग करने लगे. मनोहर लाल ने ही सबसे पहले रेती में खेती का मुद्दा उठाया था. मनोहर लाल ने निषाद-बिंद-मल्लाह-कश्यप और लोध जातियों को एकजुट करने के लिए भी जाना जाता है.
मनोहर लाल के बड़े बेटे रामकुमार ने Zee News को फ़ोन पर बताया कि मनोहर लाल जी ने इन जातियों के बीच रोटी-बेटी का संबंध भी स्थापित किया था. उसके आगे की राजनीति की चर्चा करें तो साल 1994 में मनोहर लाल के निधन के बाद उन्नाव में उनके बेटे दीपक कुमार ने उनकी राजनीतिक विरासत को संभाला और दीपक कुमार सपा से कई बार विधायक और सांसद भी रहे. दीपक के निधन के बाद अब मनोहर लाल की विरासत मनोहर लाल के बड़े बेटे रामकुमार और उनके भतीजे अभिनव संभाल रहे हैं.
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आपको बता दें कि यूपी की सियासत में 2018 से निषाद वोट बैंक को निर्णायक समझा जाने लगा. साल 2018 में गोरखपुर उपचुनाव में निषाद पार्टी और सपा के गठबंधन के बाद बीजेपी चुनाव हार गई और सपा से प्रवीण निषाद गोरखपुर से सांसद बन गए. गोरखपुर योगी आदित्यनाथ की परंपरागत सीट थी. इसीलिए 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने निषाद पार्टी से गठबंधन कर लिया.
बीजेपी ने प्रवीण निषाद को संतकबीरनगर लोकसभा सीट से टिकट दिया और बीजेपी ने जीत हासिल की. साल 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले भी निषाद पार्टी अब बीजेपी से हिस्सेदारी की मांग कर रही है. केन्द्रीय मंत्रिमंडल में तो संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद को जगह नहीं मिली लेकिन यूपी सरकार में संभावित मंत्रिमंडल विस्तार में शायद संजय निषाद को जगह मिल जाए.
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पूर्वी यूपी और मध्य यूपी के कई जिलों में निषाद वोट बैंक का अच्छा खासा प्रभाव है. पूर्वी यूपी में तो कई सीटों पर हार-जीत निषाद मतदाता ही तय करते हैं. इसीलिए विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी और सपा में निषाद वोट बैंक को अपने पाले में लाने के लिए होड़ लगी हुई है.
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