Akhilesh Yadav Vs Yogi Adityanath: अखिलेश यादव ने माता प्रसाद पाण्डेय को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया तो अखिलेश के PDA वाले फॉर्मूले पर सवाल उठने शुरू हो गए. अब पूछा जा रहा है कि क्या अखिलेश के PDA में A फॉर अल्पसंख्यक की जगह A ऑफ अगड़ा तो नहीं हो गया है.
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UP News: राजनीति में कुर्सी के लिए ही खींचतान होती है. बीजेपी में भी कुर्सी के लिए मनमुटाव था. तो अखिलेश यादव भी कुर्सी को लेकर ही घिर गए हैं. अखिलेश ने जब से विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का चुनाव किया है और अपने करीबी माता प्रसाद पाण्डेय को उस कुर्सी पर बिठाया है, तब से अखिलेश पर सवर्ण समर्थक और दलित विरोधी होने के आरोप लगे हैं. सवाल है कि सवर्ण को साथ लाने के चक्कर में अखिलेश से दलित दूर हो जाएंगे?
अखिलेश यादव ने माता प्रसाद पाण्डेय को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया तो अखिलेश के PDA वाले फॉर्मूले पर सवाल उठने शुरू हो गए. अब पूछा जा रहा है कि क्या अखिलेश के PDA में A फॉर अल्पसंख्यक की जगह A ऑफ अगड़ा तो नहीं हो गया है.
बीजेपी ने उठाए अखिलेश पर सवाल
माता प्रसाद पाण्डेय ब्राह्मण जाति से आते हैं. इसलिए बीजेपी सवाल पूछ रही है कि क्या PDA का फॉर्मूला सिर्फ लोकसभा चुनाव जीतने के लिए था? मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बिना समाजवादी पार्टी का नाम लिए कहा कि लोकसभा चुनाव में जातियों को लड़ाने की कोशिश की गई.
पहले कयास लगाए जा रहे थे कि अखिलेश यादव अपने चाचा शिवपाल यादव को यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाएंगे. लेकिन उन्होंने माता प्रसाद पाण्डेय को पद देकर अगड़ी जाति को साधने की कोशिश की.
इस मामले पर यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, 'अखिलेश यादव की असलियत सामने आ गई है । PDA की बात करते हैं और नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद जी को बनाया. पीडीए को गुमराह करके लोकसभा में वोट लिए.'
मायावती ने भी सुनाई खरी-खरी
बीजेपी अखिलेश पर हमलावर है तो मायावती ने भी अखिलेश यादव पर दलितों की उपेक्षा का आरोप जड़ दिया. मायावती ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए अखिलेश पर अपनी भड़ास निकाली. उन्होंने लिखा, समाजवादी पार्टी मुखिया ने लोकसभा चुनाव में खासकर संविधान बचाने की आड़ में PDA को गुमराह करके उनका वोट तो जरूर ले लिया. लेकिन यूपी विधानसभा में प्रतिपक्ष का नेता बनाने में जो इनकी(दलित) की उपेक्षा की गई, यह भी सोचने की बात है. समाजवादी पार्टी में एक जाति विशेष(यादव) को छोड़कर बाकी PDA के लिए कोई जगह नहीं.
1. सपा मुखिया ने लोकसभा आमचुनाव में खासकर संविधान बचाने की आड़ में यहाँ PDA को गुमराह करके उनका वोट तो जरूर ले लिया, लेकिन यूपी विधानसभा में प्रतिपक्ष का नेता बनाने में जो इनकी उपेक्षा की गई, यह भी सोचने की बात। 1/2
— Mayawati (@Mayawati) July 29, 2024
अखिलेश यादव पर मायावती का गुस्से की वजह क्या है, इसे भी समझ लीजिए. अखिलेश ने ब्राह्मण समाज से नेता प्रतिपक्ष, अल्पसंख्यक वर्ग से मुख्य सचेतक और पिछड़ा वर्ग से उप सचेतक तो बनाया लेकिन दलित समाज से किसी को कोई पद नहीं दिया.
2. जबकि सपा में एक जाति विशेष को छोड़कर बाकी PDA के लिए कोई जगह नहीं। ब्राह्मण समाज की तो कतई नहीं क्योंकि सपा व भाजपा सरकार में जो इनका उत्पीड़न व उपेक्षा हुई है वह किसी से छिपा नहीं। वास्तव में इनका विकास एवं उत्थान केवल BSP सरकार में ही हुआ। अतः ये लोग ज़रूर सावधान रहें। 2/2
— Mayawati (@Mayawati) July 29, 2024
दरअसल अखिलेश यादव अब 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव और 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव पर फोकस कर रहे हैं और इसके लिए वो अगड़ी जातियों को साधने की कोशिश कर रहे हैं. यूपी में 21 फीसदी सवर्ण हैं, जिसके साथ सवर्ण जाएंगे..उसकी जीत तय है. इस बार लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव के 5 सवर्ण सांसद जीते हैं.
PDA फॉर्मूले में बदलाव का पहला टेस्ट उपचुनाव में हो सकता है. सवाल है कि क्या दलित वोट के आगे अखिलेश ब्राह्मण वोट को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं और अगर हां तो उनका यह दांव कितना फिट बैठेगा.