Arunachal Pradesh news: अरुणाचल प्रदेश में चीन से लगे वन्य क्षेत्र में बाघों के हो रहे शिकार ने सरकार के कान खड़े कर दिए हैं। मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के लिए हाई लेबल कमेटी का गठन किया गया है। मामला अरुणाचल में स्थित दिबांग वन सेंचुरी का है।
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Arunachal Pradesh में चीन से लगे वन्य क्षेत्र में बाघों के हो रहे शिकार ने सरकार के कान खड़े कर दिए हैं। मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के लिए हाई लेबल कमेटी का गठन किया गया है। मामला अरुणाचल में स्थित दिबांग वन सेंचुरी का है। यहां दो दिन पहले असम, अरुणाचल, वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो सहित आधा दर्जन एजेंसियों की संयुक्त कार्रवाई में बंगाल रॉयल टाइगर की खोपड़ी सहित कई अंग बरामद हुए हैं। इस सिलसिले में असम निवासी जाकिर हुसैन नाम के शख्स को गिरफ्तार किया गया, जबकि मुख्य आरोपी फरार होने में कामयाब हो गया।
एजेंसियों की संयुक्त कार्रवाई में रॉयल बंगाल टाइगर की सवा दो मीटर खाल, दांत सहित खोपड़ी, हड्डियों के 46 टुकड़े, बाघ के 4 नुकीले दांत आदि बरामद किए गए हैं। मामले की जानकारी मिलते ही अरुणाचल प्रदेश का वन विभाग सक्रिय हो गया। चार सदस्यीय हाई लेबल कमेटी से पांच दिन में विस्तृत रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है।
पकड़े गए आरोपी के मोबाइल फोन से मिली एक तस्वीर की जांच में पता लगा कि शिकार दबांग के मालिन्ये इलाके से किया गया है। वहां और भी शिकारियों के सक्रिय होने की आशंका है। दिबांग सेंचुरी के विभिन्न इलाकों से बाघों के शिकार होने की सूचनाएं काफी दिनों से मिल रही थी. गौरतलब है कि बाघों की बहुतायत के बाद भी इस इलाके में प्रोजेक्ट टाइगर योजना नहीं लाई गई है। इसकी वजह से पर्याप्त संख्या में वहां कर्मचारी नहीं हैं और 4149 वर्ग किमी के विशाल क्षेत्र की रखवाली महज 4-5 कर्मचारियों के कंधे पर है।
साल 2013-14 के दौरान दिबांग वन्य सेंचुरी में पहली बार राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और भारतीय वन्य जीव संस्थान की मदद से रैपिड सर्वे किया गया था, जिसमें 336 किमी के इलाके में ही 11 बाघों के होने के प्रमाण मिले थे। इसी के आधार पर यह अनुमान लगाया गया था कि दिबांग सेंचुरी के 4149 वर्ग किमी के इलाके में सैकड़ो बाघ हैं, जो भारत के किसी भी टाइगर रिजर्व क्षेत्र से ज्यादा हैं।
इस सर्वे के बाद अरुणाचल वन विभाग ने दिबांग सेंचुरी को टाइगर रिजर्व घोषित कराने की कार्रवाही में जुट गई थी, मगर तभी से यह प्रस्ताव पेंडिंग में है। विभिन्न कारणों से अरुणाचल सरकार ने अब तक अपनी अंतिम सहमति नहीं दी है। जिसकी वजह से दिबांग सेंचुरी को दिबांग टाइगर रिजर्व क्षेत्र घोषित नहीं किया जा सका है। अगर यह इलाका टाइगर रिजर्व क्षेत्र घोषित होता है तो भारत का अनोखा औरह सबसे लंबा टाइगर रिजर्व क्षेत्र होगा।
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