अयोध्या केस: सुप्रीम कोर्ट में 37वें दिन की सुनवाई आज; राजीव धवन फि‍र शुरू करेंगे जिरह
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अयोध्या केस: सुप्रीम कोर्ट में 37वें दिन की सुनवाई आज; राजीव धवन फि‍र शुरू करेंगे जिरह

Supreme Court में 37वें दिन की सुनवाई आज होगी. आज राजीव धवन सुन्नी वक्फ़ बोर्ड के लिए दलील देंगे. आज भी शाम 5 बजे तक सुनवाई होगी. 

फाइल फोटो

नई दिल्‍ली : अयोध्या मामले (Ayodhya Case) को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में 37वें दिन की सुनवाई आज होगी. आज राजीव धवन सुन्नी वक्फ़ बोर्ड के लिए दलील देंगे. आज भी शाम 5 बजे तक सुनवाई होगी. 

दरअसल, गुरुवार को मुस्लिम पक्ष की बहस का जवाब देते हुए रामलला विराजमान की तरफ से वरिष्ठ वकील सी एस वैद्यनाथन ने ASI की रिपोर्ट पर दलीलें दीं थी. उन्‍होंने तस्वीरों के जरिये यह बताया था कि विवादित ढांचे के नीचे पिलर था. विवादित ढांचे के नीचे एक संरचना मौजूद थी. वकील वैद्यनाथन ने अलग-अलग सबूतों के जरिये यह बताया था कि केंद्रीय गुम्बद (सेंट्रल डॉम) ही भगवान राम का जन्मस्थान है. जस्टिस चन्दचूड़ ने पूछा था कि ये कैसे साबित होगा कि ढांचे के नीचे जो खंभों के आधार मिले थे, वो एक ही समय के हैं? रामलला के वकील वैद्यनाथन ने कहा कि ASI रिपोर्ट में इसका जिक्र है कि 46 खम्भे एक ही समय के हैं. उन्होंने कहा था कि पहले मुस्लिम पक्ष खाली जगह पर मस्जिद निर्माण की बात कह रहा था. अब वो ईदगाह पर मस्जिद निर्माण की बात कह रहे है. खुदाई में मिली कमल की आकृति, सर्कुलर श्राइन, परनाला सब वहां मन्दिर को मौजूदगी को साबित करते हैं और ये सब संरचना उत्तर भारतीय मंदिरों की खासियत है.

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जस्टिस चन्दचूड़ ने रामलला के वकील से पूछा था कि आस्था और विश्वास अपने आप में एकदम अलग तर्क है, अलग बहस का विषय है. लेकिन हम यहां पुख्ता सबूतों की बात कर रहे हैं, जिनसे मन्दिर की मौजूदगी साबित हो सके. जस्टिस चन्दचूड़ ने फिर पूछा था कि आपने जिन सरंचनाओं का जिक्र किया है, वो बौद्ध विहार में भी तो हो सकती है. आप कैसे ये साबित करेंगे कि वो बौद्ध विहार न होकर मन्दिर ही होगा. वैद्यनाथन ने कहा था कि ये जगह हमेशा हिंदुओं के लिए पवित्र रही है.बौद्धधर्मियों के लिए ये कभी अहम नहीं रही है और ये साबित करता है कि मन्दिर ही था. उसके बाद मुख्य याचिकाकर्ता गोपाल सिंह विशारद की ओर से वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने जिरह की थी.

गोपाल सिंह विशारद के वकील रंजीत कुमार को जवाब देने के लिए बमुश्किल 5 मिनट का समय ही मिला था. लंच के बाद रामलला के वकील नरसिम्हन को 10 मिनट का समय मिला था. 20 मिनट के अंदर 2 हिन्दू पक्षकारों की दलील समेटने के बाद जब चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने निर्मोही अखाड़े के वकील से कहा था कि आपके पास डेढ़ घंटे का समय है तो अखाड़े के वकील सुशील जैन ने कहा कि सुनवाई 20-20 मैच की तरह चल रही है. इस पर चीफ जस्टिस ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि आप कैसी बात कर रहे हैं. दरअसल, निर्मोही अखाड़े के वकील द्वारा सुनवाई की तुलना 20-20 मैच से करने पर चीफ जस्टिस ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि आप कैसी बात कर रहे हैं. हमने आपको 4-5 दिन विस्तार से सुना है फिर भी आप इस तरह की बात कर रहे हैं. सुशील जैन ने अपने बयान के लिए खेद जताया था.

रामलला के वकील नरसिम्हन को 15 मिनट का समय मिला था.रामललला विराजमान के वकील पी नरसिम्हा ने स्कंद पुराण का हवाला देते हुए कहा था कि स्कंद पुराण में भी श्रीरामजन्म स्थान का जिक्र है और हिंदुओ का ये विश्वास रहा है कि यहां दर्शन से मोक्ष की प्राप्ति होती है. पुरातत्व विभाग के सबूत भी हमारे विश्वास की ही पुष्टि करते है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुशील जैन से पूछा था कि उनको अपनी दलील पूरी करने में कितना समय लगेगा? जैन ने कहा था कि मैं कोर्ट का एक मिनट भी बर्बाद नही करूंगा. जल्द से जल्द अपनी बात रखूंगा. निर्मोही अखाड़ा के वकील ने कहा था कि वी आर वेरी पुअर पार्टी इन दिस केस. मैं जानता हूं कि आपके पास फैसला लिखने का समय नहीं लेकिन मेरी बात सुने बिना आपका फैसला अधूरा रहेगा, क्योंकि मेरा पूरा केस कब्ज़े पर आधारित है.

निर्मोही अखाड़े के वकील सुशील जैन ने कहा था कि हम विवादित ज़मीन के बाहरी और भीतरी हिस्से को अलग-अलग करके नहीं देख रहे. चूंकि विवाद अंदरूनी हिस्से में श्रीरामजन्मस्थान को लेकर है,इसलिए हमने इसको लेकर दावा किया, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हम किसी हिस्से को छोड़ रहे है. जैन ने कहा था कि ये दावा कि हिंदुओं ने दिसंबर 1949 में मस्जिद के अंदर मूर्ति रखी, ग़लत है.मुस्लिम पक्ष ने समस्या बढ़ाने के लिए ये कहानी बनाई है. इसके बाद जन्मस्थान पुनरोद्धार समिति के वकील पी एन मिश्रा ने बहस शुरू की थी. मिश्रा ने स्कन्द पुराण पर दलील देते हुए कहा था कि स्कंद पुराण में रामसेतु का जिक्र है.पीएन मिश्रा ने स्कंद पुराण में रामसेतु को लेकर दलील दी थी.धवन ने इस दलील का विरोध करते हुए कहा था कि नई दलील है, नई दलील नहीं दी जा सकती. चीफ जस्टिस ने कहा था कि आप नई दलील नहीं दे सकते.

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