नागपंचमी पर बिहार में सांपों का मेला, बेगूसराय में विषैले सांप के साथ करते हैं प्रदर्शन
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नागपंचमी पर बिहार में सांपों का मेला, बेगूसराय में विषैले सांप के साथ करते हैं प्रदर्शन

वैसे तो यह देश आस्था और विश्वास के साथ भक्ति के अलग-अलग रंगों से सराबोर सभ्यताओं वाला देश है. फिर भी यहां कुछ ऐसी आस्थाएं और मान्यताएं हैं जिसे सोचकर आप सिहर जाएंगे. आपको बता दें कि बिहार में एक ऐसा मेला भी नागपंचमी के त्यौहार पर लगता है जिसे सांपों का मेला कहते हैं.

(फाइल फोटो)

बेगूसराय: वैसे तो यह देश आस्था और विश्वास के साथ भक्ति के अलग-अलग रंगों से सराबोर सभ्यताओं वाला देश है. फिर भी यहां कुछ ऐसी आस्थाएं और मान्यताएं हैं जिसे सोचकर आप सिहर जाएंगे. आपको बता दें कि बिहार में एक ऐसा मेला भी नागपंचमी के त्यौहार पर लगता है जिसे सांपों का मेला कहते हैं. मतलब आपको हर हाथ में यहां भक्तों के पास जहरीले सांप नजर आएंगे और आस्था का जनसैलाब उमड़ता तो है ही लेकिन इस जहरीले सांपों का डर किसी के भी चेहरे पर नहीं होता. बता दें कि बिहार के बेगूसराय के आगापुर गांव में लगता है यह सांपों का मेला.  जहां नाग पंचमी के अवसर पर लोग विषैले सांप के साथ करते हैं प्रदर्शन. 

देश में मान्यताओं के हिसाब से नागपंचमी के दिन सांपों की पूजा अर्चना की जाती है. नागपंचमी के दिन सर्पों की पूजा का विधान है. ऐसे में सावन महीने के दोनों कृष्ण और शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का त्यौहार मनाया जाता है. इस त्यौहार को पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है. ऐसे में नागपंचमी के बीच इन परंपराओं में बेगूसराय मंसूरचक प्रखंड के आगापुर गांव में आज भी एक ऐसी ही परंपरा जीवंत है जो अद्भुत ही नहीं बेहद साहसिक भी है और खतरनाक भी. जहां नागपंचमी के दिन बलान नदी में जहरीले और विषैले सैकड़ों की संख्या में सांप पकड़ने की यह परंपरा बेहद ही खतरनाक और आकर्षक भी है. जिसे देखने के लिए दूर दराज से लोग आते हैं. 

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इस अवसर पर आयोजित होने वाला यह मेला इस इलाके ही नहीं बिहार का एक खास मेला मना जाता है. इस सांपों का मेला देखने के लिए लोग विभिन्न जगहों से आते हैं. इस संबंध में बताया जाता है की मंसूरचक प्रखंड के आगापुर गांव में हर साल सांपों का मेला लगता है. यह मेला बिहार के लोगों के लिए खास मेला होता है. आगापुर गांव में आयोजित इस 'सांपों के मेले' में मौजूद लोग जहरीले सांपों से जरा भी नहीं डरते हैं और उनके साथ खिलौने की तरह खेलते हैं. 

इस दौरान पोखर से पुजारी सैकड़ों सांपों को पानी से निकालते हैं और इन विषैले सांपों को हाथों में लेकर प्रदर्शन करते हैं. जिसे देखने के लिए दूर-दराज से लोग आते हैं. कई स्थानीय लोग बताते हैं कि बरसों पहले से यहां पर भगवती स्थान की स्थापना की गई थी. जिसके बाद से गांव में अमन और शांति कायम हुई. कभी भी कोई अनहोनी नहीं हुई. इसी दौरान नागपंचमी के दिन गांव के भगत के द्वारा सांप पकड़ने की परंपरा की शुरुआत भी हुई थी. धीरे-धीरे ये परम्परा आगे बढ़ती गई और बाद में ये इलाके का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल बन गया. 

बताया जाता है कि विधि-विधान से पूजा-अर्चना के बाद भगत गांव में स्थित पोखर में आते हैं और पोखर से सैकड़ों विषैले सांपों को निकालने का काम करते हैं. जैसे सांप न हो बल्कि कोई खिलौना हो. सांप को देखते और नाम सुनते ही जहां लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं. वहीं सांपों के साथ खेलने की यह परंपरा चमत्कारिक है या फिर कुछ और यह जांच का विषय है. हालांकि इतने बरसों से लगने वाले इस मेले की सच्चाई लोग आज तक पता नहीं कर पाए. लोग इसे धार्मिक आस्था से जोड़कर देखते हैं. वही बलान नदी से सांप निकालने के बाद छोटे-छोटे बच्चे और पुरुष हाथ में लेकर प्रदर्शन करते हैं.लोगों का कहना है कि यहां भगवती माता का आशीर्वाद है इसलिए छोटे बच्चे और बुजुर्ग सांप पकड़ते हैं. 

Jitendra Chaudhary

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