गुमला के इस मंदिर में मंगलवार का दर्शन लाएगा सौभाग्य, यहां जन्मे थे वीर हनुमान
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गुमला के इस मंदिर में मंगलवार का दर्शन लाएगा सौभाग्य, यहां जन्मे थे वीर हनुमान

Aanjney Dham Birth Place of Hanuman ji: माना जाता है कि मंगलवार के दिन जो इस मंदिर का दर्शन कर ले और स्मरण मात्र ही कर दे उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. बाल हनुमान की छवि बहुत प्यारी है और वह सभी तरह के दुखों को भुला देती है. यहां माता अंजना की गोद में बैठे हनुमान जी की प्रतिमा है, जिनके दर्शन करने दूर-दराज से लोग आते हैं.

गुमला के इस मंदिर में मंगलवार का दर्शन लाएगा सौभाग्य, यहां जन्मे थे वीर हनुमान

गुमलाः Aanjney Dham Birth Place of Hanuman ji: झारखंड राज्य का गुमला जिला चर्चा में है. वजह है, जिला मुख्यालय तकरीबन 21 किलोमीटर दूर स्थित आंजनेय धाम. अभी हाल ही में इस मंदिर के नवीनीकरण, विकास कार्य और इसे पौराणिक धरोहर बनाते हुए पटल पर लाने की पहल झारखंड सरकार ने की है. सियासी गली में तब से ही इस मंदिर की चर्चा है. मान्यता है कि आंजनेय धाम, वीर पवन सुत हनुमान की माता अंजना का घर है. इसे हनुमान जी की जन्मस्थली माना जाता है और इसका पौराणिक महत्व है. 

  1. माता अंजना इस स्थान पर हर रोज भगवान शिव की आराधना करने आती थीं
  2. यहां रामायण काल की कई गुफाएं, गुमला जिला मुख्यालय से 21 किलोमीटर दूर

मंगलवार को दर्शन करना है खास
माना जाता है कि मंगलवार के दिन जो इस मंदिर का दर्शन कर ले और स्मरण मात्र ही कर ले उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. बाल हनुमान की छवि बहुत प्यारी है और वह सभी तरह के दुखों को भुला देती है. यहां माता अंजना की गोद में बैठे हनुमान जी की प्रतिमा है, जिनके दर्शन करने दूर-दराज से लोग आते हैं.

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कहते हैं कि हनुमान जी का जन्म झारखंड के गुमला जिला मुख्यालय से करीब 21 किलोमीटर दूर आंजन गांव की एक गुफा में हुआ था. इसी वजह से इस जगह का नाम आंजन धाम है. इ

यहां स्थित इन पवित्र पहाड़ों में एक ऐसी भी गुफा है जिसका संबंध सीधा-सीधा रामायण काल से जुड़ा है. माता अंजना इस स्थान पर हर रोज भगवान शिव की आराधना करने आती थीं और इसी कारण से यहां 360 शिवलिंग स्थापित हैं. 

रामायण में भी है उल्लेख
यहां स्थित मंदिर पूरे भारत का इकलौता ऐसा मंदिर है जहां भगवान हनुमान बाल रूप में मां अंजनी की गोद में बैठे हुए हैं. आंजन धाम के पुजारी बताते हैं कि माता अंजना भगवान शिव की परम भक्त थीं. वह हर दिन भगवान की विशेष पूजा अर्चना करती थीं. उनकी पूजा की विशेष विधि थी, वह वर्ष के 365 दिन अलग-अलग शिवलिंग की पूजा करती थीं.

इसके प्रमाण अब भी यहां मिलते हैं. आज भी इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में शिवलिंग मौजूद हैं. रामायण में किष्किंधा कांड में भी आंजन पर्वत का उल्लेख है. आंजन पर्वत की गुफा में ही भगवान शिव की कृपा से कानों में पवन स्पर्श से माता अंजनी ने हनुमान जी को जन्म दिया था. 

यहां हुआ था श्रीराम-सुग्रीव का मिलन
आंजन से लगभग 35 किलोमीटर दूरी पर पालकोट बसा हुआ है. पालकोट में पंपा सरोवर है. रामायण में यह स्पष्ट उल्लेख है कि पंपा सरोवर के बगल का पहाड़ ऋष्यमूक पर्वत है जहां पर कपिराज सुग्रीव के मंत्री के रूप में हनुमान रहते थे. इसी पर्वत पर सुग्रीव का श्रीराम से मिलन हुआ था. यह पर्वत भी लोगों की आस्था का केंद्र है. 

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