Patna News: बाढ़ अनुमंडल का नेक कार्य, 2013 से अब तक 600 अज्ञात शवों को मिली गरिमा और शांति
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Patna News: बाढ़ अनुमंडल का नेक कार्य, 2013 से अब तक 600 अज्ञात शवों को मिली गरिमा और शांति

Noble work of Barh: बाढ़ नगर परिषद के पूर्व अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने एक बार देखा कि एक गरीब व्यक्ति के अंतिम संस्कार के लिए चंदा इकट्ठा किया जा रहा था. यह देखकर उनका दिल भर आया.

Patna News: बाढ़ अनुमंडल का नेक कार्य, 2013 से अब तक 600 अज्ञात शवों को मिली गरिमा और शांति

पटना: बाढ़ अनुमंडल में कुछ लोग अज्ञात शवों के अंतिम संस्कार को धर्मानुसार और मानवीय गरिमा के साथ करने के अपने नेक कार्य के कारण इन दिनों चर्चा में हैं. 2013 से अब तक उन्होंने करीब 600 अज्ञात शवों का अंतिम संस्कार किया है. इस काम के पीछे जो भावना काम करती है, वह मानवता और सेवा का अद्भुत उदाहरण है. यह कहानी शुरू होती है बाढ़ नगर परिषद के पूर्व अध्यक्ष विनय कुमार सिंह से जो एक गरीब व्यक्ति के अंतिम संस्कार के लिए चंदा जुटते हुए देखकर मर्माहत हुए. उन्होंने सोचा कि जब गरीब व्यक्ति का अंतिम संस्कार मुश्किल हो सकता है, तो उन लावारिस शवों का क्या होता होगा जिनका कोई वारिस नहीं. यहीं से उन्होंने प्रण लिया कि हर अज्ञात शव का सम्मानपूर्वक और धर्मानुसार अंतिम संस्कार किया जाएगा.

इसके अलावा बता दें कि धीरे-धीरे विनय कुमार सिंह के इस प्रयास में समाज के कई लोग जुड़ते गए. आज यह एक संगठित रूप ले चुका है. समिति को जब भी किसी अज्ञात शव की जानकारी मिलती है, तो इसके सदस्य तुरंत सक्रिय हो जाते हैं. बाढ़ अनुमंडल के 15 पुलिस स्टेशन और चार रेलवे जीआरपी थानों से किसी भी अज्ञात शव की सूचना आते ही वे अंतिम संस्कार की तैयारियों में जुट जाते हैं. पुलिस अज्ञात शव को पहचानने की कोशिश करती है, लेकिन 72 घंटे बाद अगर कोई पहचान नहीं हो पाती, तो वह शव समिति को सौंप दिया जाता है. इसके बाद रामनामी कपड़े, लकड़ी और अन्य सामग्री की व्यवस्था कर शव का विधिवत अंतिम संस्कार किया जाता है.

साथ ही समिति ने यह सुनिश्चित किया है कि किसी भी शव का संस्कार उसके धर्मानुसार हो. अगर शव का धर्म स्पष्ट नहीं होता, तो वे सर्वधर्म प्रार्थना सभा आयोजित करते हैं. हर साल, उन अज्ञात आत्माओं की शांति के लिए बनारस में नारायण श्राद्ध और गया में पिंडदान भी कराया जाता है. विनय सिंह कहते हैं कि उनका लक्ष्य केवल अंतिम संस्कार तक सीमित नहीं है. वह चाहते हैं कि यह परंपरा उनके बाद भी जारी रहे. उनकी यह पहल न केवल पुलिस की बड़ी समस्या का समाधान करती है, बल्कि यह समाज को एक नई दिशा भी देती है. यह प्रयास हमें सिखाता है कि सेवा का सच्चा रूप वही है, जो किसी पहचान या अपेक्षा के बिना किया जाए.

इनपुट - चंदन राय

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