Bihar Politics: नीतीश कुमार को लेकर लालू-तेजस्वी में घमासान, बाप-बेटे में नहीं बन रही बात
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Bihar Politics: नीतीश कुमार को लेकर लालू-तेजस्वी में घमासान, बाप-बेटे में नहीं बन रही बात

Bihar Politics: बिहार में लालू यादव द्वारा नीतीश कुमार के लिए दरवाजे खोलने की बात कहके सियारी पारी और बढ़ा दिया है. वहीं इस मामले में अब बीजेपी ने राजद पर हमला बोला है.

लालू-तेजस्वी में घमासान

पटना: राजद सुप्रीमो लालू यादव द्वारा नीतीश कुमार के लिए दरवाजे खुले होने के बयान के बाद राज्य में सियासत तेज हो गई है. इस बीच आरजेडी प्रवक्ता शक्ति यादव के द्वारा नीतीश कुमार और बीजेपी पर जिस तरह से बयान दिया गया है उसे लेकर भी बिहार में राजनीति तेज हो गई है. बीजेपी के विधायक जीवेश मिश्रा ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन के बाद श्रद्धांजलि देने गए थे. उनका प्रधानमंत्री से मिलने का कोई प्रोग्राम नहीं था. इस प्रकार की हलचल पैदा करके आरजेडी बिहार की जनता में भ्रम पैदा करना चाहती है. आरजेडी को स्वयं मंथन करना चाहिए कि पिता पुत्र में बात नहीं बन रही है क्या? तेजस्वी यादव दरवाजा बंद कर रहे हैं और लालू यादव दरवाजा खोल रहे हैं. आरजेडी को खुद मंथन करना चाहिए कि किसके साथ है. आरजेडी में लगता है कि घमासान चल रहा है बाप बेटे में बन नहीं रही है. इस नाते जनता का ध्यान भटकाने के लिए इस प्रकार के बेतुका बयान जेडीयू और बीजेपी के बारे में दे रही है. पीछे तीन दिनों का घटनाक्रम देखा जाए तो उससे स्पष्ट है कि राजद के अंदर पिता पुत्र में वर्चस्व की लड़ाई घिर चुकी है.

वहीं जेडीयू के प्रवक्ता निहोरा यादव ने आरजेडी पर ही आरोप लगा दिया बोले कि इतनी जानकारी रखने वाला व्यक्ति स्वयं एजेंट होगा. तब इतनी जानकारी वह रख रहा है. झूठा प्रचार करने से कुछ नहीं मिलेगा. नीतीश कुमार जहां है जेडीयू जहां है वहां मजबूती के साथ है और मजबूती के साथ 2025 का चुनाव हम लोग जीतेंगे. नीतीश कुमार में स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर का आचरण निहित है. छोटे बड़े सभी को सम्मान जिस प्रकार कर्पूरी दिया करते थे वैसे ही नीतीश कुमार छोटे बड़े सभी को सम्मान देते हैं. तेजस्वी छोटे हैं तो स्वाभाविक है प्रणाम करेंगे तो मुख्यमंत्री आशीर्वाद देंगे ही. यह तो कल्चर है इसके दूसरे मायने कोई लगाता हो तो मायने लगाने वाले को लगने दीजिए.

कांग्रेस के विधायक प्रतिमा कुमारी ने कहा कि जो भी घटनाक्रम है सभी के सामने हैं. जो साफ दिख रहा है और लग रहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बीजेपी के साथ पूरी तरह कंफर्टेबल नहीं है. तेजस्वी यादव को जो नीतीश कुमार आशीर्वाद दिए हैं. वह शिष्टाचार मुलाकात में यह सब होते रहता है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तेजस्वी यादव से बड़े हैं और पिता तुल्य हैं. हम लोग भी नीतीश कुमार को प्रणाम करते हैं तो आशीर्वाद देते हैं. यह अच्छी बात है. यह स्वच्छ राजनीति की पहचान है. बिहार में जो भी कुछ आगे होगा वह बिहार के हित के लिए होगा.

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वही इन सब मामले पर राजनीतिक विश्लेषक अरुण पांडेय ने कहा कि कोई विपक्ष में है तो आशा यही रखेगा. कल तक नीतीश कुमार आरजेडी में थे तो लोग क्या कहते थे केसी त्यागी से क्या बयान दिलवाया गया था नीतीश कुमार दूल्हा बने रहते हैं बारात पीछे से बदलती रहती है. कभी राजद कभी बीजेपी. लालू यादव ने कह दिया है कि दरवाजा खुला हुआ है. हम माफ कर दिए. अब बाप बेटे में ही नहीं बन रहा है. यह साफ दिख रहा है पिता कुछ कह रहे हैं और बेटा कुछ कह रहा है. लालू यादव राजनीति के खिलाड़ी हैं. बिहार के राजनीतिक और सामाजिक समीकरण को खूब समझते हैं. राजनीति में दरवाजा कहीं नहीं बंद होता है. अमित शाह ने भी ताला बंद रखा था लेकिन ताला कब खुला और नीतीश कुमार बीजेपी में आ गये. आरजेडी आज भी लालू यादव की है. आज चाचा भतीजे की भेंट हुई है और नीतीश कुमार ने जो आशीर्वाद दिया है उसका क्या मायने है. बिहार 3 दशक से राजनीतिक प्रयोगशाला बनी हुई है.

इनपुट- रूपेंद्र श्रीवास्तव

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