अहमद पटेल की जीत में बीजेपी समर्थक इन कांग्रेसी विधायकों का रहा अहम योगदान
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अहमद पटेल की जीत में बीजेपी समर्थक इन कांग्रेसी विधायकों का रहा अहम योगदान

कांग्रेस के दो बागी विधायक भोला भाई गोहिल और राघवजी पटेल (फोटोःसोशल मीडिया)

नई दिल्लीः मंगलवार को गुजरात में राज्यसभा चुनावों के दौरान गांधी नगर से दिल्ली तक चले हुए हाईवोल्टेड ड्रामें का अंत देर रात को हुआ. चुनाव आयोग ने कांग्रेस के दो बागी विधायकों को अयोग्य घोषित किया और कांग्रेस के थिंकटैंक अहमद पटेल के लिए राज्यसभा में पहुंचना संभव हो पाया. अगर चुनाव आयोग इन दो वागी विधायकों के वोट को अवैध करार ना देता तो शायद कांग्रेस के 'चाणक्य' अहमद पटेल का संसद पहुंचना मुश्किल था. पटेल की जीत कांग्रेस के जिन दो विधायकों को गलती से संभव हो पाई उनके नाम है भोला गोहिल और राघव जी पटेल. भोला गोहिल गुजरात की जसदान सीट से विधायक हैं और राघव जी पटेल जामनगर ग्रामीण सीट से कांग्रेस के एमएलए हैं. चुनाव आयोग ने इन दोनों विधायकों के वोट को अवैध करार दे दिया. लेकिन कांग्रेस पार्टी के लिए इन दोनों विधायकों का बागी होना चिंता का विषय है.बता दें कि मंगलवार को कांग्रेस के आठ विधायकों ने अहमद पटेल के खिलाफ वोटिंग की थी. इनमें से 6 पहले ही कांग्रेस छोड़ चुके थे.

राघव जी पटेल

- राघवजी पटेल गुजरात के लउवा पाटीदार समुदाय से आते हैं, उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1978 में धारोल से बतौर तालुका अध्यक्ष की थी.

- राघव जी पटेल पांच बार विधायक रह चुके हैं. इनमें से 2 बार उन्हें बीजेपी के टिकट पर जीत मिली है, जबकि 2 बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते हैं

- राघव जी पटेल ने 1989 में बीजेपी ज्वाइन की थी और 1995 में इन्होंने शंकर सिंह वाघेला के साथ पार्टी छोड़ दी.

- बीजेपी छोड़ने की वजह बताते हुए कहा था कि काबिल और वरिष्ठ होने के बाद भी उन्होंने मंत्री नहीं बनाया गया

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- राघव जी पटेल मानते हैं कि इस बार के विधानसभा चुनाव में पाटीदार पास पलट सकते हैं

- राघव जी पटेल की नाराजगी इस बात को लेकर है कि कांग्रेस इनके गुस्से को ठीक से फायदा नहीं ले सकी

- राघव जी पटेल पिछले साल तीन बार अहमद पटेल से मिले और कांग्रेस में जबर्दस्त बदलाव की पैरवी की और खुद को गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष के रुप में प्रोजेक्ट किया, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली.

भोला गोहिल

- भोला गोहिल ने 2000 में जसदान में तालुका पंचायत का चुनाव जीता था. कोली समुदाय से आने वाले भोला गोहिल ग्रामीण अध्ययन में बैचलर की डिग्री रखते हैं

- चार भाइयों में तीसरे नंबर पर आने वाले भोला गोहिल ने उस दिन से ही पार्टी आलाकमान से संपर्क तोड़ लिया था जिस दिन शंकर सिंह वाघेला ने कांग्रेस को अलविदा कहा था

- करीब एक महीने पहले भोला गोहिल ने घोषणा की थी वे इस बार विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे, और उन्हें खुशी होगी यदि उनके मेंटर और कोली समुदाय के बड़े नेता और पूर्व सांसद कुंवर जी बावलिया फिर से चुनाव लड़ें

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- कांग्रेस और बावलिया ने गोहिल के बयान को ज्यादा तवज्जो नहीं दी

- शंकर सिंह वाघेला ने पार्टी से इस्तीफा देने के बाद  ये चर्चा होने लगी कि सौराष्ट्र इलाके से कांग्रेस के 10 और एमएलए पाला बदलकर बीजेपी में जा सकते हैं तो भोला गोहिल समेत 10 विधायकों को राजकोट में कांग्रेस विधायक के एक रिजोर्ट में रखा गया.

- लेकिन गोहिल इस रिजॉर्ट से किसी तरह बाहर निकल गये और अंडरग्राउंड हो गये. इसके बाद पार्टी नेतृत्व से इनका संपर्क नहीं रहा. 

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