West Bengal: भवानीपुर बाईपोल को लेकर साफ हुई स्थित, High Court ने खारिज की ये याचिका
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West Bengal: भवानीपुर बाईपोल को लेकर साफ हुई स्थित, High Court ने खारिज की ये याचिका

Who will bear the cost ask Calcutta High Court for Bhabanipur bypoll: अदालत ने उस PIL को खारिज कर दिया जिसमें उपचुनाव के लिए इस्तेमाल की जाने वाली भाषा को चुनौती दी गई थी. चीफ सेकेट्री ने पत्र में कहा था कि अगर भवानीपुर उपचुनाव नहीं हुआ तो संवैधानिक संकट हो जाएगा.

फाइल फोटो

कोलकाता: पश्चिम बंगाल (West Bengal) की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) और तृणमूल कांग्रेस (TMC) को बड़ी राहत देते हुए कोलकाता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) ने भवानीपुर उपचुनाव (Bhawanipur By Poll) की तारीख में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है.

  1. HC का भवानीपुर उपचुनाव में हस्तक्षेप से इनकार
  2. ममता बनर्जी लड़ रही हैं विधानसभा का बाईपोल
  3. राज्य सरकार के अधिकारी पर कोर्ट की टिप्पणी

हाई कोर्ट से PIL खारिज

कोलकाता हाईकोर्ट ने मंगलवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि भवानीपुर विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव, जिसमें सीएम ममता बनर्जी प्रत्याशी हैं, उसे रद्द नहीं किया जाएगा. यानी  मतदान गुरुवार यानी 30 सितंबर को ही होगा. अतिरिक्त मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल ने फैसला सुनाते हुए कहा, 'हमने याचिका खारिज कर दी है. चुनाव होगा लेकिन हमने मुख्य सचिव के आचरण पर टिप्पणी की है, उनके लिए ऐसा पत्र लिखना सही नहीं है.' 

मुख्य सचिव के आचरण पर टिप्पणी

अदालत ने उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उपचुनाव के लिए इस्तेमाल की जाने वाली भाषा को चुनौती दी गई थी. दरअसल चीफ सेकेट्री ने पत्र में कहा था कि अगर भवानीपुर उपचुनाव नहीं हुआ तो संवैधानिक संकट उत्पन्न हो जाएगा. कोर्ट ने कहा एक अधिकारी के लिए ऐसा आचरण सही नहीं है.

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क्या था मामला?

हाई कोर्ट ने सयान बनर्जी नाम के शख्स द्वारा दायर जनहित याचिका (PIL) के जवाब में यह आदेश पारित किया. याचिकाकर्ता ने भवानीपुर में उपचुनाव को प्राथमिकता देने के चुनाव आयोग (EC) के फैसले को चुनौती दी थी. जहां सीएम ममता बनर्जी उम्मीदवारों में शामिल हैं. इस मामले को लेकर एडिशनल चीफ जस्टिस बिंदल और जस्टिस राजर्षि भारद्वाज ने मुख्य सचिव के खिलाफ कड़ी टिप्पणी भी की. दरअसल राज्य सरकार के अधिकारी ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर भवानीपुर में उपचुनाव में तेजी लाने की मांग की थी.

मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने पहले कहा था, कुछ लोग चुनाव लड़ते हैं और जीतते हैं और फिर वे विभिन्न कारणों से इस्तीफा दे देते हैं. अब कोई फिर से सीट से जीतने का मौका देने के लिए इस्तीफा दे रहा है. अब इस चुनाव का खर्च कौन उठाएगा? इस चुनाव के लिए करदाताओं का पैसा क्यों खर्च किया जा रहा है? बेंच अब 9 नवंबर को इस केस से जुड़े दूसरे मुद्दे पर सुनवाई करेगी कि क्या जनता को उपचुनावों की लागत वहन करनी चाहिए.

(IANS इनपुट के साथ)

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