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गुवाहाटी: चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत ने शनिवार को कहा कि चीन की ग्लोबल ताकत हासिल करने की महत्वाकांक्षाओं के कारण दक्षिण एशिया की स्थिरता पर ‘सर्वव्यापी खतरा’ है. आपको बताते चलें कि भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखाओं (LAC) पर तनाव जारी है. जनरल रावत ने यह बात प्रथम रविकांत सिंह स्मृति व्याख्यान देते हुए कही कि चीन दक्षिण एशिया और हिंद महासागर क्षेत्र में अंदर तक सेंध लगा रहा है ताकि उभरती ग्लोबल पावर के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत कर सके.
रावत ने कहा, हाल में हम चीन द्वारा क्षेत्र में भू-रणनीतिक स्पर्धा और भारी निवेश देख रहे हैं. म्यांमार और बांग्लादेश पर चीन की प्रतिकूल कार्रवाई भी भारत के हित में नहीं हैं क्योंकि ये ‘भारत पर नियंत्रण’ की एक कोशिश है.
सीडीएस ने भारत-पाक संबंधों पर कहा कि पाकिस्तान का सरकार प्रायोजित आतंकवाद (Sponsored Terrorism) तथा सरकार से इतर तत्वों की आतंकवादी गतिविधियां दोनों देशों के बीच शांति प्रक्रिया में अवरोधक हैं. उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर पाकिस्तान और चीन के बीच साझेदारी को ‘भारत विरोधी सांठगांठ’ कहा, जिसमें चीन द्वारा पाकिस्तान को सैन्य उपकरण प्रदान करना और अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसका समर्थन करना शामिल है.
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सीडीएस ने कहा कि चीन के साथ सीमा संबंधी मुद्दों को ढ़ंग से देखने की जरूरत है यह सिर्फ लद्दाख सेक्टर या पूर्वोत्तर राज्यों से जुड़े विषय नहीं हैं. 2020 में भारत और चीन के बीच सीमा विवाद चल रहा था. इसके लिए सेना से लेकर राजनीतिक स्तर तक विभिन्न स्तरों पर बातचीत के साथ मुद्दों को सुलझाया जा रहा है. इससे पहले भी दोनों पड़ोसियों के बीच ऐसे मुद्दे उठ चुके हैं, लेकिन सुलझा लिए गए हैं. सीमा विवाद पर समाधान में हो रही देरी को लेकर रावत ने कहा, ‘दोनों देशों के बीच संशय हैं और इसलिए मुद्दों के समाधान में समय लगता है. लोगों को प्रणाली और सशस्त्र बलों पर भरोसा रखना चाहिए.'
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विवादित क्षेत्र में चीन का मुकाबला करने के लिए भारत ने पड़ोसी देशों के साथ सहभागिता बढ़ा दी है. रावत ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि चीनियों की किसी देश में लोकप्रियता हासिल करने के लिए धनबल का इस्तेमाल करने की आदत रही है. लेकिन जैसा कि हमारे प्रधानमंत्री ने आह्वान किया है, हम सभी के लिए सुरक्षा और प्रगति में भरोसा करते हैं. हमें अपने पड़ोसियों को बताना होगा कि हम यहां स्थायी मित्रों के रूप में हैं. रावत ने संबंधों को मजबूत करने के लिए पड़ोसी देशों के साथ सांस्कृतिक संपर्कों की संभावना खोजने की जरूरतों पर भी जोर दिया. उन्होंने देश की रक्षा तैयारियों पर कहा कि भारत के पास पर्याप्त रक्षा और सशस्त्र प्रणालियां हैं और सरकार ने सशस्त्र बलों को आपात अधिकारों का इस्तेमाल कर सशस्त्र बलों को आवश्यक शस्त्र प्राप्त करने की अनुमति दी है.
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