नौ से 16 जुलाई के बीच होगा चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण, 6 सितंबर को चांद पर लैंडिंग की संभावना: ISRO
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नौ से 16 जुलाई के बीच होगा चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण, 6 सितंबर को चांद पर लैंडिंग की संभावना: ISRO

 इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने कहा कि अगला चंद्रयान-दो भारत के लिए ऐतिहासिक मिशन होने जा रहा है . 

इसरो ने पृथ्वी की निगरानी करने वाले उपग्रह रिसैट-2 बी को बुधवार को सफलतापूर्वक उसकी कक्षा में पहुंचा दिया. (फोटो साभार- ANI)

श्रीहरिकोटा (आंध्रप्रदेश): भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अपने सबसे महत्वाकांक्षी मिशन के तहत चंद्रयान-2 का 9 से 16 जुलाई के बीच प्रक्षेपण करने की तैयारी कर रहा है.  इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने कहा कि छह सितंबर को चंद्रमा पर लैंडिंग की संभावना है . उन्होंने कहा,‘एक खास स्थान पर लैंडिंग होने जा रही है, जहां पर इससे पहले कोई नहीं पहुंचा है. ’

बुधवार को पीएसएलवी-सी 46 द्वारा रडार इमेजिंग अर्थ ऑब्जर्वेशन उपग्रह रीसैट-2 बी के सफल प्रक्षेपण के बाद सिवन ने कहा कि अगला चंद्रयान-दो भारत के लिए ऐतिहासिक मिशन होने जा रहा है . 

मिशन कंट्रोल सेंटर के वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा,‘इसरो का यह सबसे जटिल मिशन होने वाला है. यह इस साल नौ से 16 जुलाई के बीच होगा. ’ उन्होंने कहा कि एजेंसी छह सितंबर को चंद्रमा की सतह पर रोवर की लैंडिंग पर नजर रखेगी.  इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-2 दूसरा चंद्र अभियान है और इसमें तीन मॉडयूल हैं ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान).

रिसैट-2बी का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण
बता दें इसरो ने पृथ्वी की निगरानी करने वाले उपग्रह रिसैट-2 बी को बुधवार को सफलतापूर्वक उसकी कक्षा में पहुंचा दिया. यह उपग्रह घने बादलों के बावजूद भी पृथ्वी की तस्वीरें ले सकेगा और इसके जरिए सीमा पार पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर निगरानी रखी जा सकेगी। साथ ही, इसने सैन्य एवं असैन्य क्षेत्रों में देश की निगरानी क्षमताओं को भी बढ़ाया है। ‘जासूस’ उपग्रह बताए जा रहे रिसैट-2 बी (रडार इमेजिंग सैटेलाइट-2बी) अपने पूर्ववर्ती रिसैट-2 का स्थान लेगा। 

उल्लेखनीय है कि आतंकवादियों की घुसपैठ की कोशिशों को नाकाम करने के लिए सीमा पार आतंकी ठिकानों में गतिविधियों की निगरानी करने में भारत ने रिसैट-2 का सक्रियता से उपयोग किया है। उस उपग्रह को 2009 में प्रक्षेपित किया गया था। 

इसरो के एक अधिकारी ने बताया कि रिसैट-2बी में एक कृत्रिम रडार है जो दिन और रात में तथा यहां तक कि आसमान में बादल छाए रहने पर भी पृथ्वी की तस्वीरें ले सकेगा। 

अधिकारी ने बताया कि इस उपग्रह का जीवनकाल पांच साल है और इसका इस्तेमाल सैन्य निगरानी के लिए किया जाएगा। 

मंगलवार को आरंभ हुई 25 घंटे की उलटी गिनती समाप्त होते ही इसरो के भरोसेमंद ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी-सी46) ने 615 किलोग्राम वजनी उपग्रह के साथ सुबह साढ़े पांच बजे यहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के प्रथम लॉन्च पैड से उड़ान भरी। यह पीएसएलवी-सी46 का 48वां मिशन था।

 

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