दुनियाभर में बच्चों से बलात्कार करने के दोषियों को दी जानी वाली सजा की बात करें, तो इसके प्रावधान हर देश में अलग-अलग हैं, वहीं अलग-अलग देशों में नाबालिग और रेप की परिभाषा भी अलग-अलग है.
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कठुआ और उन्नाव में नाबालिग बच्चियों से गैंगरेप की दर्दनाक घटनाओं के बाद से देश में भारी आक्रोश है. बच्चों से रेप की घटनाएं बढ़ रही हैं. NCRB के डेटा के मुताबिक देश में 2016 में बच्चों से रेप के 19,765 मामले दर्ज हुए, जो 2015 के मुकाबले 82% रहे. मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सामाजिक संगठनों से लेकर आमजन तक दोषियों को सख्त से सख्त सजा देने की मांग कर रहे हैं. इस बीच बच्चियों से रेप करने वालों को फांसी की सजा देने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ रही है. पिछले चार महीने में चार राज्यों ने इस संबंध में या तो फैसला किया है या इसकी मंशा जताई है. हालांकि मौत की सजा को लेकर अलग-अलग राय है और कई संगठन इसका विरोध भी कर रहे हैं. फांसी की सजा की मांग के जोर पकड़ने के साथ ही यह जानना जरूरी हो जाता है कि विश्वभर में चाइल्ड रेप के मामलों में मौत की सजा को लेकर क्या स्थिति है?
केवल भारत ही नहीं विश्वभर में बच्चों के प्रति अपराध में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन मीडिया सेंटर की फरवरी 2018 की फैक्टशीट (बाल हिंसा) के अनुसार साल 2014 में पूरे विश्व में 2 से 17 साल के बीच के एक अरब बच्चे शारीरिक, सेक्सुअल या भावनात्मक हिंसा के शिकार हुए. वहीं वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन मीडिया सेंटर की सितंबर, 2016 की रिपोर्ट के अनुसार 5 में से एक महिला और 13 में से एक पुरुष बचपन में किसी न किसी तरह की यौन हिंसा का शिकार रहा.
अब बात दुनियाभर में बच्चों से रेप पर दी जानी वाली सजा की करें, तो अलग-अलग देशों में नाबालिग और रेप की परिभाषा अलग-अलग है. वहीं पूरी दुनिया में इस पर सजा के प्रावधान भी जुदा हैं. बच्चों से रेप पर गंभीर सजा देने वाले देशों के बारे में जानकारी देने से पहले आपको बता दें कि मौत की सजा को लेकर दुनियाभर के देशों को किन वर्गों में बांटा गया है.
रिटेन्शनिस्ट देश (अवरोधनवादी- मौत की सजा बरकरार)
ये वे देश हैं जहां मौत की सजा का प्रावधान अब भी है. इनकी संख्या 57 है. इनमें मुख्यतः भारत, चीन, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, मलेशिया और पाकिस्तान शामिल हैं.
एबोलिशनिस्ट (उन्मूलनवादी- केवल सामान्य अपराधों के लिए)
इन देशों ने सामान्य अपराधों के लिए मौत की सजा का प्रावधान खत्म कर दिया है. इनमें ब्राजील और इजरायल जैसे 7 देश शामिल हैं. यहां केवल कुछ विशेष स्थितियों जैसे सैनिक शासन में मौत की सजा दी जाती है.
एबोलिशनिस्ट (उन्मूलनवादी- सभी प्रकार के अपराधों के लिए)
104 देशों ने अपने यहां सभी प्रकार के अपराधों के लिए मौत की सजा का प्रावधान हटा दिया है. इनमें ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, न्यूजीलैंड, डेनमार्क और जर्मनी भी शामिल हैं.
एबोलिशनिस्ट (उन्मूलनवादी- व्यवहारिक रूप से)
विश्व के 30 देश ऐसे हैं, जहां मर्डर जैसे मामलों में मौत की सजा का प्रावधान तो है, लेकिन यहां पिछले 10 सालों के दौरान किसी को भी मौत की सजा नहीं दी गई है, वहीं ये मौत की सजा खत्म करने पर जोर दे रहे हैं. इसलिए इन्हें एबोलिशनिस्ट (उन्मूलनवादी- व्यवहारिक रूप से) वर्ग में रखा गया है.
बच्चों से रेप पर मौत की सजा नहीं
बच्चों से रेप पर मिलनी वाली सजा की बात करें, तो ज्यादातर रिटेन्शनिस्ट देशों (मौत की सजा के प्रावधान वाले) में भी इसमें मौत की सजा नहीं दी जाती. हां अगर हम अलग-अलग देशों के कानून पर नजर डालेंगे, तो कई जगह कड़ी सजा का प्रावधान जरूर है.
बाल अधिकार के लिए काम करने वाली संस्था हक़-सेंटर फॉर चाइल्ड राइट ने 2016 में एक अध्ययन किया था. इसमें लगभग सभी देशों में बच्चियों के साथ हुई यौन हिंसा और रेप पर सजा के प्रावधान पर रिपोर्ट जारी की गई थी. इसके अनुसार अलग-अलग देशों में कुछ इस प्रकार से सजा दी जाती है...
प्रमुख रिटेन्शनिस्ट देश और बच्चों से रेप पर सजा
पहले इन देशों में रेप पर मौत की सजा का प्रावधान भी था, लेकिन वर्तमान में यह 9 देशों में ही है. ये देश हैं- चीन, अफगानिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात, मिस्र, बांग्लादेश, ईरान, सऊदी अरब, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया.
चीन : 14 साल से कम उम्र की बच्ची से रेप पर मौत की सजा हो सकती है, जो परिस्थितियों पर निर्भर करता है. वेबसाइट डेथ पेनल्टी वर्ल्डवाइड के अनुसार चीन में यदि ऐसी बच्ची के साथ गैंगरेप होता है, सार्वजनिक स्थल पर रेप होता है या रेप से बच्ची को गंभीर चोट पहुंचती है, रेप के बाद बच्ची को वेश्यावृत्ति के धंधे में लगाया जाता है, तो ऐसी स्थिति में दोषी को मौत की सजा हो सकती है.
यूएसए : संयुक्त राज्य अमेरिका में 2008 तक बच्चों से रेप के मामले में भी मौत की सजा थी, लेकिन साल 2008 में वहां की सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में मौत की सजा को असंवैधानिक घोषित करते हुए कहा था कि यदि अपराध में मौत नहीं हुई है, तो मौत की सजा देना सही नहीं होगा. मौत की सजा केवल पीड़ित की मौत होने पर ही देना उचित होगा. यहां अब केवल कारावास की सजा ही हो सकती है. हालांकि अमेरिका के अलग-अलग राज्यों में इसके अलग-अलग प्रावधान हैं.
मलेशिया - साल 2017 में पास हुए कानून के मुताबिक चाइल्ड पोर्नोग्राफी के निर्माण, उसे बढ़ावा देने या उसका वितरण करने वालों को 30 साल जेल और 6 कोड़े मारने की सजा का प्रावधान है. बच्चों का यौन शोषण करने वालों को 20 साल जेल और कोड़े मारने की सजा है. पहले यह सजा 10 साल थी.
सिंगापुर - 16 साल से कम, लेकिन 14 से अधिक की बच्ची से रेप पर 10 साल तक की कैद की सजा या जुर्माना या दोनों एक साथ हो सकता है. 14 साल के बच्चे के साथ रेप पर 20 साल जेल, कोड़े मारने और जुर्माने की सजा हो सकती है.
बाल अपराधियों को मौत की सजा
यदि रेप का आरोपी नाबालिग है, तो उसके लिए दुनिया में सजा के अलग-अलग प्रावधान हैं. वैसे विश्व स्तर के कानूनों पर नजर डालें, तो 18 साल के दोषी को ही मौत की सजा दी सकती है. एमनेस्टी इंटरनेशनल की 2013 की रिपोर्ट की मानें तो विश्व के 8 देशों में बाल अपराधियों के लिए मौत की सजा का प्रावधान है. ये हैं- चीन, ईरान, सऊदी अरब, नाइजीरिया, पाकिस्तान, कांगो, सूडान और यमन.
क्या है भारत में कानून...
भारत में मध्यप्रदेश ने 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ बलात्कार के मामले में फांसी की सज़ा देने का बिल पास कर दिया है, जबकि राजस्थान, हरियाणा इसका मसौदा तैयार कर रहे हैं. भारत में फिलहाल 'रेयरेस्ट ऑफ़ द रेयर' मामलों में ही मौत की सजा दी जाती है. बच्चों से रेप के मामले पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज होते हैं. इसके तहत बच्चों से रेप के दोषियों को 10 साल से लेकर आजीवन उम्रकैद हो सकती है. हालांकि कई संगठन पॉक्सो एक्ट में मौत की सजा के प्रावधान को जोड़ने की वकालत कर रहे हैं.