जस्टिस का काम कानून की किताब का जीवन के साथ को-ऑर्डिनेशन बनाना होता है: CJI रंजन गोगोई
Advertisement

जस्टिस का काम कानून की किताब का जीवन के साथ को-ऑर्डिनेशन बनाना होता है: CJI रंजन गोगोई

CJI रंजन गोगोई पूर्व प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति वाई. के. सभरवाल पर लिखी एक किताब को जारी किये जाने के मौके पर बोल रहे थे.

न्यायमूर्ति गोगोई (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने सोमवार को कहा कि जो लोग अदालत और कानून की पढ़ाई करते हैं, उनमें से ज्यादातर आम लोगों के अदालतों से न्याय पाने के सफर से बेखबर रहते हैं और किसी भी न्यायाधीश का काम कानून की किताब का जीवन के साथ समन्वय बनाना होता है. वह पूर्व प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति वाई के सभरवाल पर लिखी एक पुस्तक को जारी किये जाने के मौके पर बोल रहे थे.

इस अवसर पर सीजेआई रंजन गोगई के अलावा सुप्रीम कोर्ट के जज एके सीकरी और राज्यसभा सांसद डॉ. सुभाष चंद्रा सहित कई  जज और वकील शामिल हुए.    

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘जो लोग अदालत और कानून की पढ़ाई करते हैं, उनमें से ज्यादातर आम आदमी के उन अनुभवों से अनजान होते हैं जो वह अदालत से इंसाफ हासिल करने के लिए जद्दोजेहद करता है. न्यायाधीशों को उनकी तकदीर का फैसला करने के लिए बुलाया जाता है, वे उनके तकदीर और साहस के गवाह होते हैं. मेरे दिमाग से किसी भी न्यायाधीश का कार्य कानून की किताब का जीवन के साथ समन्वय कायम करना होता है.’’

न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा कि वह ‘बियोंड द नेम जस्टिस वाई के सभरवाल, एक फुलफिलींग जर्नी’ पुस्तक जारी करने के मौके पर मौजूद रहकर सम्मानित महसूस कर रहे हैं. 

(इनपुट-भाषा)

Trending news