लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कर्नाटक की कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं. दोनों पार्टी के नेताओं ने बुधवार को बैठक करके संभावित खतरे को टालने की कोशिश की.
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बेंगलुरू: लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कर्नाटक की कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं. दोनों पार्टी के नेताओं ने बुधवार को बैठक करके संभावित खतरे को टालने की कोशिश की. सरकार बचाने की खातिर जल्द ही कैबिनेट विस्तार या फेरबदल होने की संभावना से जुड़ी खबरों के बीच कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल बुधवार को शहर में पार्टी के नेताओं और विधायकों के साथ कई बैठक कर रहे हैं. सूत्रों ने बताया कि वह मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी, कांग्रेस विधायक दल के नेता और समन्वय समिति के प्रमुख सिद्धरमैया, उपमुख्यमंत्री पी परमेश्वर और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव से मिले.
सिद्धारमैया समेत पार्टी के कुछ नेताओं का मानना है कि असंतुष्ट विधायकों को मनाने के लिए कैबिनेट विस्तार ज्यादा मुफीद रहेगा. पार्टी नेताओं का यह भी मानना है कि अगर विभागों में अदला-बदली गई तो स्थिति और बदतर हो जाएगी. कई वरिष्ठ मंत्री अपना पद नहीं छोड़ना चाहते.
हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में कर्नाटक में बीजेपी ने 28 में से 25 लोकसभा सीटों पर कब्जा जमाया है. एक सीट कांग्रेस-जेडीएस को मिली है. पिछले साल राज्य में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में 224 सीटों में बीजेपी को 104 सीटों पर जीत मिली थी. कांग्रेस के खाते में 78 जबकि जेडीएस की झोली में 37 सीटें आई थीं. बीएसपी को एक सीट मिली थी. एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार की जीत हुई थी.
कांग्रेस के भीतर बगावती सुर
भाजपा ने चिंचोली विधानसभा क्षेत्र में हुए उप-चुनाव में जीत हासिल की जबकि कांग्रेस ने महज 1,601 वोटों से कुंडगोल सीट पर जीत दर्ज की और भाजपा दूसरे स्थान पर रही. कर्नाटक में कांग्रेस के भीतर बगावत के सुर तेज होते जा रहे हैं. पार्टी के दो विधायकों ने रविवार को पूर्व मुख्यमंत्री और अब भाजपा में शामिल हो चुके एसएम कृष्णा के आवास पर उनसे मुलाकात की.