आमतौर पर मानसून के बाद और सर्दियों की आहट के महीने अक्टूबर में दिल्ली वालों को जानलेवा हवा (Air Pollution) का सामना करना पड़ता है. ऐसे में आपको इसके लिए अलर्ट रहना होगा.
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नई दिल्ली: आमतौर पर मानसून के बाद और सर्दियों की आहट के महीने अक्टूबर में दिल्ली वालों को जानलेवा हवा (Air Pollution) का सामना करना पड़ता है. हालांकि इस बार हालात पिछले सालों जितने बुरे नहीं हैं.
अक्टूबर के महीने में हवा की क्वालिटी (Air Pollution) खराब तो हुई है. फिर भी यह मॉडरेट और खराब यानी Poor के बीच की क्वालिटी बनी हुई है. जबकि पिछले सालों में इस महीने एयर क्वालिटी इंडेक्स पर दिल्ली की हवा बेहद खराब यानी Very Poor स्तर में रही है. दिल्ली में इस साल पिछले 4 सालों का सबसे साफ मानसून सीजन भी दर्ज हुआ है. इस वर्ष अभी तक 96 दिन दिल्ली की हवा सांस लेने लायक रही है. जबकि पीएम PM 2.5 का स्तर 41 के औसत पर रहा है.
वर्ष 2018 के मुकाबले हर वर्ष 6 फीसदी की दर से साफ दिनों में बढ़ोतरी हुई है. दिल्ली में कर्णी सिंह शूटिंग रेंज और नेशनल स्टेडियम में सबसे अच्छी हवा दर्ज की गई. कर्णी सिंह रेंज में पीएम 2.5 का स्तर 33 के औसत पर रहा. इसी तरह नेशनल स्टेडियम में 100 दिनों तक हवा का स्तर बेहतर बना रहा है. इस मौसम में भी दिल्ली में आनंद विहार का हाल सबसे खराब रहा. वहां केवल 54 दिनों तक ही साफ हवा रह पाई. जबकि मॉनसून के पूरे सीजन का औसत दिल्ली में 66 दिन था.
आनंद विहार के अलावा पंजाबी बाग को भी दिल्ली में प्रदूषण (Air Pollution) का हॉट स्पॉट माना गया है. सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरमेंट के आंकलन के मुताबिक इस बार अच्छी बारिश की वजह से अभी हवा का स्तर ठीक बना हुआ है. हालांकि सीएसई की एक्सपर्ट अनुमिता रॉय चौधरी का मानना है कि इससे ये अंदाजा नहीं लगाया जा सकता कि सर्दियों में दिल्ली एनसीआर की हवा कैसी रहेगी.
हालांकि दिल्ली की गर्मियां इस साल पिछले साल के मुकाबले थोड़ी खराब रही हैं. पिछले साल संपूर्ण लॉकडाउन की वजह से दिल्ली में हवा (Air Pollution) गर्मियों में भी अच्छी थी लेकिन इस साल लॉकडाउन के फायदे से लोग महरुम रह गए और वो असर खत्म हो गया. 2020 में गर्मियों में पीएम 2.5 का औसत 79 था जो 90 दिनों तक बना रहा. इस वर्ष केवल 51 दिन ऐसे थे जब ये औसत बरकरार रह पाया.
हर साल 10 अक्टूबर के आसपास खेतों में पराली जलने का असर दिल्ली में दिखने लगता है. इस वर्ष भी ऐसा ही हुआ. अभी तक 16 अक्टूबर के दिन पराली का असर सबसे ज्यादा देखा गया है. सरकारी एप सफर के आंकड़ों के मुताबिक 16 अक्टूबर को दिल्ली की हवा खराब करने में पराली का योगदान 14 प्रतिशत था.
अक्टूबर खत्म होने और नवंबर की शुरुआत में ये योगदान हर साल 40 प्रतिशत तक का हो जाता है, जो दिल्ली के हालात सबसे खराब कर देता है. ये वही दिन होते हैं, जब लोगों के लिए दिल्ली एनसीआर में बंद घरों में भी सांस लेना दूभर हो जाता है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि वो बुरे दिन आने वाले हैं. दिल्ली एनसीआर में पीएम 2.5 के अलावा कार्बन मोनोक्सॉइड और ओजोन गैस भी काफी प्रदूषण करती हैं.
2020 में 1 अक्टूबर से 29 नवंबर के बीच दिल्ली में मौजूद हवा के प्रदूषण वाले PM 2.5 के कणों में रोज़ाना 12 प्रतिशत योगदान पराली के धुएं का रहा. जबकि 2019 में इसी दौरान ये आंकड़ा 8.9 प्रतिशत था. 2018 में 10.9 प्रतिशत प्रतिदिन पराली के धुएं ने दिल्ली की हवा खराब करने में अपना योगदान दिया.
गौर करने वाली बात ये है कि दिल्ली की हवा (Air Pollution) खराब करने में पराली का योगदान हर साल कई गुना बढ़ा है. अगर औसत देखें तो 2018 में औसतन दिल्ली का प्रदूषण पराली का धुआं रोज 12 प्रतिशत की दर से बढ़ा रहा था जबकि2020 में ये बढ़कर 36 प्रतिशत हो गया. यानी पिछले साल सर्दियों के मौसम में पराली की वजह से दिल्ली में 36 प्रतिशत प्रदूषण बढ़ गया.
कैसी थी पिछले साल की सर्दियां?
पिछले साल प्रदूषण बाकी वर्षों से कम रहा है. 2020–21 की सर्दियों में 23 दिन दिल्ली एनसीआर की हवा 23 दिन Severe या बेहद गंभीर कैटेगरी में रही. 2019-20 में 25 दिन और 2018-19 में 34 दिन ऐसा रहा. ये वो दिन होते हैं जब दिल्ली में GRAP यानी Graded Response Action Plan लागू रहता है.
इस बार दिल्ली में 14 लोकेशन को प्रदूषण (Air Pollution) का हॉट स्पॉट माना गया है. इनमें से 50 प्रतिशत जगहों में पिछले साल के मुकाबले हवा बेहतर रही है. लेकिन 3 नई जगहें जुड़ी हैं. राजस्थान का भिवाड़ी, हरियाणा का मानेसर और फरीदाबाद का सेक्टर 11 हवा के लिहाज़ से नए प्रदूषित हॉट स्पॉट बन गए हैं. वज़ीरपुर और साहिबाबाद में हालात बेहतर हुए हैं.
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सीएसई (CSE Latest Report) ने ये आंकलन 1 जनवरी 2018 से 15 अक्टूबर 2021 के PM 2.5 के स्तर के आधार पर किया है. इसके लिए देश के 67 शहरों में लगे 156 ambient air quality monitoring stations का डाटा देखा गया.
हालांकि रिपोर्ट के मुताबिक बारिश का असर देर से आया है, इसलिए इस बार स्मॉग यानी दमघोंटू प्रदूषण (Air Pollution) का असर पहले सालों के मुकाबले और खराब हो सकता है. इस बार बारिश का असर देर तक रहा है. इसलिए कोहरे के हालात नहीं बने. लेकिन इस बार तेज़ सर्दी आते आते बारिश का असर खत्म हो चुका होगा. ऐसे में तेज़ सर्दी में गहरा कोहरा मिलकर खतरनाक स्मॉग बना सकते हैं. इससे सावधान रहने और अभी एक्शन लेने की ज़रुरत है.
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