फर्जी लाइसेंस देने की जांच की सुई जम्मू कश्मीर के गृह विभाग की ओर घूमी
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फर्जी लाइसेंस देने की जांच की सुई जम्मू कश्मीर के गृह विभाग की ओर घूमी

सेना में भर्ती जवान और IB में तैनात अफसरों को उनके कमांडिग अफसर की सिफारिश पर ही लाइसेंस जारी कर दिया जाता है और इसमें पुरे भारत में कहीं भी ले जा सकने की मंजूरी भी होती है. लेकिन कुछ लोग इसी बात का फायदा उठा कर जिला स्तर और गृह विभाग के अफसरों से मिलिभगत कर फर्जी कागजातों पर लोगों को लाइसेंस जारी कर रहे थे. 

फर्जी लाइसेंस देने की जांच की सुई जम्मू कश्मीर के गृह विभाग की ओर घूमी

नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर में फर्जी तरीके से 2 लाख हथियारों के लाइसेंस जारी किये जाने वाले मामले में जांच की सुई अब जम्मू कश्मीर के गृह विभाग की तरफ भी घुम रही है. साल 2012 से 2016 तक गृह विभाग में रहे अधिकारियों पर CBI अपनी जांच शुरू कर दी है, कुछ अधिकारियों को CBI ने जांच के लिये बुलाया भी है. दरअसल, अब तक जो जांच हुई है उसमें पता लगा है कि फर्जी तरीके से हथियारों को लाइसेंस देने का ये रैकेट जिला स्तर पर और गृह विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा था. 

सेना में भर्ती जवान और IB में तैनात अफसरों को उनके कमांडिग अफसर की सिफारिश पर ही लाइसेंस जारी कर दिया जाता है और इसमें पुरे भारत में कहीं भी ले जा सकने की मंजूरी भी होती है. लेकिन कुछ लोग इसी बात का फायदा उठा कर जिला स्तर और गृह विभाग के अफसरों से मिलिभगत कर फर्जी कागजातों पर लोगों को लाइसेंस जारी कर रहे थे. 

ये लाइसेंस 10 से 12 लाख रुपये लेकर जारी किये जा रहे थे. जांच में ये भी पता चला कि ज्यादातर जारी किये गए लाइसेंस मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, दिल्ली के लोगों के हैं और पुरे भारत में कहीं भी ले जा सकने की मजूंरी के साथ जारी किये गये थे. ये लाईसेंस जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा, बारामुला और पुलवामा से जारी किये गये थे.

CBI इस पुरे मामले में ये भी जांच कर रही है कि कहीं इन आर्म लाइसेंस के पीछे हथियारों की बड़ी लॉबी तो काम नहीं कर रही है. यहीं वजह है कि CBI ने 2 लाख फर्जी तरीके से जारी इन आर्म लाइसेंस को लेकर सोमवार को जम्मू कश्मीर समेत दिल्ली गुरुग्राम और नोएडा में 13 जगहों पर छापेमारी की थी.

देश के गृह मंत्रालय को भी इस बात की जानकारी थी कि जम्मू कश्मीर में फर्जी तरीके से आर्म लाइसेंस जारी करने का खेल चल रहा है इसिलिये सरकार ने हर लाइसेंस पर UIN- Unique Identification Number जारी करने का फैसला किया था और इसके लिये आर्मस लाइसेंस नियमों में बदलाव भी किये थे. इसके जरिये सरकार की कोशिश है कि देश में जारी हुये हथियारों के लाइसेंस पर कहीं से भी नजर रखी जा सके और उसका एक Centerlised Data हो. साथ ही अब कोई भी एक से ज्यादा लाइसेंस नहीं रख पायेगा और सजा का प्रावधान भी 7 साल से बढ़ा कर उम्रकैद तक कर दिया गया है.

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