मात्र 896 रुपए में टीचर ने बच्चों के मन से निकाला साइंस-मैथ्स का भूत, जानिए कैसे
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मात्र 896 रुपए में टीचर ने बच्चों के मन से निकाला साइंस-मैथ्स का भूत, जानिए कैसे

साइंस और मैथ सब्जेक्ट से अक्सर बच्चे दूर भागते है. लेकिन हिसार जिला के एक प्राइमरी टीचर ने इन दोनों सब्जेक्ट्स को पढ़ाने का गजब फार्मूला निकाला है.

हिसार के खरकड़ा गांव में बनाई गई लैब में रखे साइंस के मॉडल.

हिसार: साइंस और मैथ सब्जेक्ट से अक्सर बच्चे दूर भागते है. लेकिन हिसार जिला के एक प्राइमरी टीचर ने इन दोनों सब्जेक्ट्स को पढ़ाने का गजब फार्मूला निकाला है. टीचर ने केवल 896 रुपये आरंभिक तौर पर खर्च करके वेस्ट मेटिरियल से अपने दम पर साइंस और मैथ लैब बनाई, साथ ही टीचर का पढ़ाई करवाने का जो फार्मूला है. वो भी काबिलेतारिफ है. हिसार जिला के बरवाला एरिया के गांव खरकड़ा में ज्यादातर आबादी आर्थिक रूप से कमजोर है,गांव के बच्चे शिक्षा हासिल करने के लिए गांव में स्थित सरकारी स्कूल का ही रूख करते है.

गांव के प्राइमरी स्कूल के जेबीटी टीचर राजकुमार गुंदली की लैब और उनका पढ़ाई का तरीका हमेशा से ही चर्चा में रहा है. अक्सर माना जाता है कि सरकारी स्कूलों में साधनों के आभाव के चलते बच्चों को वैसी शिक्षा नहीं मिल पाती, जैसी मिलनी चाहिए. लेकिन राजकुमार गुंदली ने इसके उलट चलते हुए अपनी सोच और पढ़ाई करवाने के फार्मूले के दम पर सीमित साधनों से ही एक सरकारी स्कूल को ऐसा बना डाला, जो अब कान्वेंट स्कूलों को टक्कर देता है.

राजकुमार गुदंली ने 896 रुपये खर्च करके अपने दम पर स्कूल में साइंस लैब तैयार कर दी है.  लैब में सोर मंडल से लेकर आयतन, वर्ग के मॉडल के साथ—साथ मैथ को रोचतकता भरे मैजिक बोर्ड से पढ़ाया जाता है. इसके अलावा राजकुमार गुदंली ने 60 से 70 रुपये खर्च करके स्कूल में मैगनिफाई लैंस का इस्तेमाल कर छोटा टीवी भी बनाया है, जो मोबाइल के जरिये चलता है मसलन कक्षा में रोचकता भरे ढंग से बच्चों को शिक्षा दी जाती है.

यह सब सरकारी स्कूल में हो रहा है. स्कूल की बिल्डिंग में ही एक लैब तैयार की गई है जिसमें राजकुमार ने वेस्ट मेटिरियरल का इस्तेमाल करते हुए एक से बढ़कर एक मॉडल बनाए, जो बच्चों के लिए काफी ज्ञानवर्धक है.

बच्चे बोले, लैब में आने का मन करता हैं
अक्सर देखने में आता है कि बच्चे साइंस और मैथ के फार्मूलों से परेशान होकर पढ़ाई से जी चुराते है, लेकिन टीचर राजकुमार गुंदली की लैब में आने के लिए बच्चे खुद ही जिद्द करते है. लैब को बनाने के पीछे का राजकुमार का उद्देश्य बच्चों को प्रेक्टिकल ज्ञान देने से है. राजकुमार से तामिल हासिल करने वाले स्कूली बच्चे कितने उत्साहित हैं, उनकी बातों से ही पता चलता है. कक्षा चौथी के स्टूडेंट अभिजीत ने बताया​ कि लैब में सबसे अच्छा उन्हें मैजिक बोर्ड लगा. स्कूल के छात्र विजय भी छोटी कक्षा का ही स्टूडेंट है, लेकिन ग्रामीण आंचल के एरिया से होने के बावजूद उसे मैजिक बोर्ड के जरिए करवाये जाने वाले मैथ के ​रोचक सवाल काफी पंसद आने लगे है. पांचवी कक्षा के स्टूडेंट सुमित ने बताया कि लैब में आकर उन्होंने सौर मंडल के ग्रहों को जाना है. इस बीच उन्होंने सौर मंडल के तमाम ग्रहों के नाम भी बताएं. स्टूडेंट अनिकेत ने बताया कि लैब में आयत और त्रिभुज के बारे में पता चला. वहीं उन्होंने लैब में पड़ी देश की करंसी के साथ—साथ वजन मापन, तरल मापन यत्र और फार्मूलों का भी जिक्र किया.

लैब के अलावा कक्षा में भी शॉर्ट वर्ड से करवाते नाम याद
अगर छोटे से बच्चे से हम कहे कि देश के राज्यों के नाम गिनवाओं या लिख कर दिखाओं. हो सकता है कि बच्चे इसे लिखने में कुछ वक्त लगा दें. लेकिन जेबीटी शिक्षक राजकुमार गुंदली की बताई गई रोचक तकनीक से मानों बच्चों ने उंगली पर ही सब याद कर रखा हो. दरअसल, हमने राजकुमार गुंदली की कक्षा का भी रख किया, वहां राजकुमार गुंदली का जो पढ़ाने का तरीका था वो भी गजब था. जेबीटी टीचर राजकुमार गुंदली ने राज्यों के नाम हो, जिलों के नाम हो या फिर केंद्र शासित प्रदेशों के नाम. इन तमाम नामों को अगर पहली—दूसरी या फिर तीसरी चौथी कक्षा के बच्चों को याद करवाना हो तो इसके लिए भी एक फार्मूला बना रखा है. राजकुमार ने केंद्र शासित प्रदेशों के लिए लाजो दादी दाल पचाओ, जिलों के नाम याद करने हो तो हे! राजन झांसी की गुफा में फंसे आभा के पापा पे दया करो इस तरह के कई शॉट ट्रिक को राजकुमार अपनाते है. मसलन इन पंक्तियों के पहले शब्द से आपको उस जगह या राज्य की पहचान हो जाएगी. जैसे ह से हिसार, र से रोहतक, झ से झज्जर. मसलन शार्ट पंक्ति को याद करवा दिया तो छोटा बच्चा भी तमाम जिलों, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के नाम टिप्स पर ही याद रखेगा.

रट्टा फिकेशन नहीं, बल्कि प्रेक्टिकल समझाना पसंद
राजकुमार गुदंली ने बताया कि वो पढ़ाई के लिए रट्टा फिकेशन नहीं अपनाते. वो बच्चों को प्रेक्टिकली वर्क करवाना पंसद करते है. उन्होंनें बच्चों को नदियों का नाम याद करवाने का भी एक प्रेक्टिकल तरीका निकाला है. राजकुमार ने स्कूल में जमीन पर ही भारत का एक बड़ा मैप बनाया है, इस मैप पर हुबहू नदियों की तरह ही पानी बहता है.

ताकि पहली से पांचवी तक के बच्चों को राज्य के साथ—साथ नदियों के नाम और राज्यों के आकार और लोकेशन के बारे में भी आसानी से पता चल सके. मसलन, मैप पर ​हिमालय से ही नदियों का प्रवाह शुरू होता नजर आता है, और फिर जिस प्रकार से वास्तव में बंगाल की खाड़ी में जाकर नदियों का समावेश होता हैं, वैसा ही मैप में भी होता नजर आया. राजकुमार बताते है कि इसे बनाने का उद्देश्य भी छोटे बच्चों को अच्छे से भारत की धरातलीय स्थिति से रूबरू करवाना है.

स्कूल स्टाफ बोला, राजकुमार के प्रयास सराहनीय
टीचर राजकुमार के इस प्रयासों की स्कूल का स्टाफ भी मुरीद ही हो गया. राजकुमार के स्कूल के स्टॉफ सदस्य सतीश कुमार ने अपने अनुभव को सांझा करते हुए कहा कि एक तरफ अगर बाजार से साइंस का एक मॉडल भी खरीदना पड़ जाएं तो उस अकेले की कीमत 1000 रुपये हो जाती है, लेकिन राजकुमार ने स्कूल में एक दो नहीं, बल्कि दो दर्जन से ज्यादा मॉडल बनाकर रख दिए है, अब बच्चे खुद लाइब्रेरी में आने की चाहत रखते है.

गर्वमेंट हाई स्कूल खरकड़ा के प्रिंसीपल कुलभूषण आहुजा का कहना था कि स्कूल की लैब वास्तव में रोचक है. उन्होंने बताया कि इससे बच्चे अब प्रेक्टिकली हर चीज समझ सकते है. शिक्षक दीपक कुमार और संजय शर्मा ने भी राजकुमार गुंदली के इस प्रयोग की तारिफ की. उनका कहना था कि दूसरे स्कूलों में भी ऐसी ​व्यवस्था होनी चाहिए.

दूसरे शिक्षकों को राजकुमार का संदेश, हाथ पर हाथ रख कर ना बैठे
टीचर राजकुमार ने दूसरे शिक्षकों से अपने संदेश में बस यहीं अपील की है कि वो साधनों के आभाव में हाथ पर हाथ रखकर ना बैठे. देश का भविष्य उज्जवल तभी होगा जब देश के बच्चे शिक्षित होंगे. राजकुमार ने कहा कि देश की तरक्की रूपी यज्ञ में शिक्षा की आहुति डाल कर हम भी अपना योगदान दे सकते हैं. बस समझना होगा कि साधन नहीं, सोच अच्छी होनी चाहिए.

कुल मिलाकर शिक्षक राजकुमार गुंदली के इन प्रयासों की जितनी तारिफ की जाएं कम है. उम्मीद करते है राजकुमार के इन प्रयासों से दूसरे स्कूलों के शिक्षक भी प्रेरणा लेंगे और अपने स्कूल में इसी तरह के प्रयोगात्मक पहलुओं के जरिए बच्चों को शिक्षित करने का प्रयास करेंगे.

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