राजपथ पर पहली बार बजा 'शंखनाद' ट्यून, जानें इसकी खूबियां
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राजपथ पर पहली बार बजा 'शंखनाद' ट्यून, जानें इसकी खूबियां

'शंखनाद' आजाद भारत की पहली मूल मार्शल ट्यून है, जो भारतीय शास्त्रीय संगीत पर आधारित है.

 राजपथ पर पहली बार बजा 'शंखनाद' ट्यून, जानें इसकी खूबियां

नई दिल्‍ली. बीटिंग रिट्रीट के साथ ही 70वां गणतंत्र दिवस समारोह संपन्न हो चुका है. इस बार का गणतंत्र दिवस कई मायने में अलग रहा. राजपथ पर पहली बार 'शंखनाद' सुनाई दिया है. सिख लाइट इंफेंट्री महार रेजिमेंट और लद्दाख स्काउट्स के सामूहिक सैन्य बैंड ने यह मार्शल ट्यून बजाई. 'शंखनाद' आजाद भारत की पहली मूल मार्शल ट्यून है, जो भारतीय शास्त्रीय संगीत पर आधारित है. 'शंखनाद' की संगीत रचना तीन पारंपरिक रागों का संयोजन है- राग बिलसखनी तोड़ी, राग भैरवी और राग किरवानी. तीनों रागों से लिए गए नोट्स के कॉम्बिनेशन को वेस्‍टर्न, बीट्स, वेस्‍टर्न कार्ड और वेस्‍टर्न हार्मनी के साथ वीर और करुण रस के भावों को जगाने के लिए इस्‍तेमाल किया गया है.

'शंखनाद' के शब्द महार रेजिमेंट में रहे ब्रिगेडियर विवेक सोहल (रिटायर्ड) ने लिखे हैं, जबकि भारतीय शास्त्रीय संगीत के आधार पर इसकी धुन तैयार की है प्रोफेसर तनुजा नाफड़े ने. यह भारतीय मार्शल परंपरा के इतिहास में पहली बार है, जब मार्शल धुन को एक महिला संगीतकार ने रचा है. 

'शंखनाद' को पहली बार रिपब्लिक डे परेड में 2019 यानी इस बार बजाया गया. वैसे 'शंखनाद' को दिसंबर 2017 में पहली बार भारतीय सेना की आधिकारिक मार्शल ट्यून के तौर पर स्‍वीकार किया गया था. यह धुन 15 जनवरी 2019 को पहली बार आर्मी डे परेड में बजाई गई थी. एक साथ 14 मिलिट्री बैंड ने इस धुन को बजाया था. 

'शंखनाद', को अत्यंत मोहक, प्रेरणादायक एवं उत्साहपूर्ण संगीत में संजोया है नागपुर विश्वविद्यालय की संगीत प्राध्यापिका, डॉक्टर तनुजा नाफड़े ने. पाश्चात्य संगीत के साथ भारतीय शास्त्रीय संगीत के फ्यूजन के कारण यह मार्शल ट्यून अधिक प्रेरणादायक और आकर्षक बन पड़ी है. शंखनाद को लिखने वाले ब्रिगेडियर विवेक सोहल, सेना मेडल (वीरता), महार रेजिमेंट से ही संबंध रखते हैं. वह हमेशा कहते हैं- 'मेरी आत्मा मेरी रेजिमेंट की आत्मा में बस गयी और शंखनाद का उदय हो गया.'

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