अगर सिविक बॉडी खुद दिवालिया तो.. कोचिंग हादसे पर दिल्ली हाई कोर्ट ने MCD को लगाई फटकार
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अगर सिविक बॉडी खुद दिवालिया तो.. कोचिंग हादसे पर दिल्ली हाई कोर्ट ने MCD को लगाई फटकार

Delhi High Court: दिल्ली हाई कोर्ट ने राव आईएएस कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भरने के बाद 3 स्टूडेंट्स की मौत के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली नगर निगम (MCD) अधिकारियों को फटकार लगाई और दिल्ली पुलिस से भी सवाल किया.

अगर सिविक बॉडी खुद दिवालिया तो.. कोचिंग हादसे पर दिल्ली हाई कोर्ट ने MCD को लगाई फटकार

Delhi Hight Court on RAU IAS Coaching: दिल्ली की राव आईएएस कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भरने के बाद 3 स्टूडेंट्स की मौत के मामले में बुधवार (31 जुलाई) को दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनवाई की. इस दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम (MCD) अधिकारियों को फटकार लगाई. इसके साथ ही कोर्ट ने पुलिस पर भी सवाल उठाया. दिल्ली हाई कोर्ट में दायर याचिका में कोचिंग हादसे की उच्च स्तरीय जांच की मांग की गई है. इसके साथ ही शिकायत पर कार्रवाई न करने वाले अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने और राजधानी के हर जिले में अवैध कमर्शियल कंस्ट्रक्शन का पता लगाने के लिए डिस्ट्रिक्ट लेवल कमेटी के गठन की मांग की गई है. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को भी पक्षकार बनाने का आदेश दिया है और अथॉरिटी से कहा है कि हलफनामा दायर कर बताए कि अभी तक क्या एक्शन लिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने एमसीडी कमिश्नर को अगली सुनवाई में कोर्ट के सामने पेश होने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी.

हम जंगल में रहने को मजबूर: याचिकाकर्ता के वकील

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने दिल्ली में आग से हुई मौत की पुरानी घटनाओं का हवाला दिया. मुखर्जी नगर, मुनिरका, बेबी केयर हॉस्पिटल के आग की घटनाओं का जिक्र करते वकील ने कहा कि अथॉरिटी की उदासीनता का आलम ये है कि हम जंगल में रहने को मजबूर हैं. याचिकाकर्ता ने राव आईएएस एकेडमी को लेकर पिछले दिनों एक छात्र की एमसीडी को भेजी शिकायत का जिक्र करते हुए कहा कि अगर उस पर समय रहते कार्रवाई होती तो 3 स्टूडेंट्स की की जान बचाई जा सकती थी.

याचिकाकर्ता वकील ने दलील दी कि पटेल नगर, करोल बाग, राजेंद्र नगर जैसी जगहों पर बहुत सी मल्टी स्ट्रोरिज बिल्डिंग हैं. बड़ी संख्या में छात्र इनमें रह रहे हैं. बेसमेंट का इस्तेमाल PG की तरह हो रहा है. सरकार की तरफ से पेश वकील ने बताया कि अधिकारी लगातार निरीक्षण कर रहे हैं, करीब 75 ऐसे संस्थानों को नोटिस जारी किया गया हैं. इनमें 35 को बंद किया गया है और 25 को सील कर दिया गया है. मैं अपने आप को सही सबित नहीं कर रहा, लेकिन अथॉरिटी की ओर से लगातार कार्रवाई की जा रही है.

हाई कोर्ट ने नराजगी जाहिर करते हुए MCD को लगाई फटकार

दिल्ली हाई कोर्ट ने नराजगी जाहिर करते हुए दिल्ली नगर निगम (MCD) को फटकार लगाई. हाई कोर्ट ने कहा कि अगर सिविक बॉडी खुद दिवालिया है. अपने कर्मचारियों को देने के लिए उनके पास पैसा नहीं है तो इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारने के लिए पैसा कहां से आएगा. कोर्ट ने कहा कि एमसीडी की हालत ऐसी है कि अगर हम उसे कुछ करने के लिए कहते हैं तो उनका कहना होता है कि 5 करोड़ से ज़्यादा का पैसा स्टैंडिंग कमेटी को जाएगा. अभी कोई स्टैंडिंग कमेटी वजूद में है नहीं. कोर्ट ने कहा कि अभी दिल्ली का इंफ्रास्ट्रक्चर का जो ढांचा है, वो मौजूदा जरूरत के मुताबिक तो नहीं है. आप मल्टी स्टोरीज बिल्डिंग की इजाजत दे रहे है, पर ड्रेनेज की समुचित व्यवस्था नहीं है. आप बहुमंजिला इमारतों को मंजूरी दे रहे हैं, लेकिन ढंग के नाले नहीं हैं. आप मुफ्त की सौगातें बांटने की संस्कृति चाहते हैं और कर नहीं वसूलना चाहते, इसलिए ऐसा तो होना ही है.

हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस पर भी उठाए सवाल

सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस पर भी सवाल उठाए. कोर्ट ने पूछा कि दिल्ली पुलिस कहां है. वो खुद क्या कर रही है. इतना ज्यादा पानी कैसे वहां इकट्ठा हो गया. कोर्ट ने एसयूवी ड्राइवर की गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए कहा कि एमसीडी MCD इस मामले में दोष दूसरो पर मढ़ने की कोशिश कर रही है. ड्राइवर को क्यों गिरफ्तार किया गया है. उसकी क्या जिम्मेदारी थी. कोर्ट ने कहा कि सड़क से गुजरने वाले हर एक शख्स को आप गिरफ्तार कर रहे है, लेकिन एमसीडी अधिकारियों पर आप कोई कार्रवाई नहीं कर रहे है.

इस पर सरकार की ओर से पेश वकील ने बताया कि कुछ एमसीडी के अधिकारियों को इस घटना के बाद बर्खास्त किया गया है. कोर्ट ने कहा कि आपने जिन अधिकारियों पर कार्रवाई है, वो जूनियर अफसर हैं. उन सीनियर अफसर का क्या, जिनका जिम्मा सुपरविजन का है. कभी सीनियर अधिकारियों को भी अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए, पर वो अपने AC रूम से बाहर नहीं निकलने को तैयार हैं.

इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर कर रहे हैं उल्टा काम: HC

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि आपको 'मुफ्तखोरी की कल्चर' पर भी सोचना होगा. दिल्ली की जनसंख्या 3.3 करोड़ पहुंच गई है, जबकि इसको 6-7 लाख लोगों के लिए प्लान किया गया था. बिना इंफ्रास्ट्रक्चर को विस्तार किए और सुधार किए आप इतने लोगों को कैसे यहां सुरक्षित रख पाएंगे. कोर्ट ने कहा कि आपको पहले इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारना होगा, तब बिल्डिंग नियमों में छूट दे सकते हैं, लेकिन पर आप उलटा रहे हैं.

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