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नई दिल्ली. भारत विविधताओं से भरा देश है. यहां कई पुरानी अजीबोगरीब मान्यताएं हैं, जिन्हें लोग आज भी मानते हैं. आज हम आपको राजस्थान (Rajsthan) के एक गांव के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां की कहानी वाकई काफी दिलचस्प है. इस गांव में करीब 300 परिवार रहते हैं. लेकिन आज तक किसी ने पक्का मकान नहीं बनवाया. इसके अलावा भी इस गांव में बेहद अजीबोगरीब पुरानी प्रथाएं चली आ रहीं हैं.
इस गांव का नाम है देवमाली (Devmali Village) . ये अजमेर जिले के मसूदा पंचायत में आता है. इस गांव में कोई भी पक्का मकान नही बनवाता. ऐसा भी नहीं है कि ये आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं. इस गांव के संपन्न लोग भी मिट्टी के बने कच्चे घरों में ही रहते हैं. यहां तमाम जमीन भगवान देवनारायण के नाम है. इस गांव के लोगों का मानना है कि जो भी पक्का घर बनाएगा उसे मुसीबतों का सामना करना होगा.
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देवमाली गांव में करीब 300 घर हैं. यहां की आबादी लगभग 1500 से 2000 है. ऐसी मान्यता है कि गांव के पूर्वज के वचनों के कारण गांव में चार चीजों पर प्रतिबंध लगा हुआ है. पच्चा मकान, शराब, मांस का सेवन नहीं करना, साथ ही केरोसिन का इस्तेमाल नहीं करने के वचन पर गांव वाले प्रतिबंध है. गांव में बिजली चले जाने पर मिट्टी के तेल यानी केरोसिन का इस्तेमाल नहीं किया जाता है और तिल्ली के तेल से दीपक जलाया जाता है.
देवमाली गांव में लावड़ा गोत्र के गुर्जर समाज के लोग रहते हैं. गांव में गुर्जर समाज के आराध्य देव भगवान देवनारायण का मंदिर पहाड़ी पर बना हुआ है. साथ ही पूरे गांव में एक ही गोत्र के लोग रहते हैं, जिसके कारण वो भगवान देवनारायण की पूजा करते हैं. गांव की तमाम जमीन भगवान देवनारायण के नाम पर है.
गांव की लगभग 25 साल तक सरपंच रहीं भागी देवी गुर्जर ने मीडिया को बताया कि पूरे गांव में हमारी पौराणिक मान्यता व देवनारायण भगवान की आस्था के होने के कारण हम मिट्टी व पत्थर से कच्चा मकान बनाते है और उनमें रहते है. इस गांव के संपन्न लोग भी मिट्टी के बने कच्चे घरों में ही रहते हैं. इनका मानना है कि पक्की छत बनाने से गांव में आपदा आ सकती हैं. घर में तमाम सुविधा उपलब्ध है. लेकिन मकान जरूर कच्चे हैं. घर में टीवी, फ्रिज, कूलर और महंगी लग्जरी गाड़ियां उपलब्ध होते हुए भी कच्चे मकान बने हुए हैं. अगर इस गांव के लोग कहीं जाते हैं, तो वहां भी कच्चा मकान बना कर ही रहते हैं.
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इस गांव के लोग अपने आप को एक ही पूर्वज की संतान मानते हैं. उनका मानना है कि उनके पूर्वजों ने ही देवमाली गांव को बसाया था. इस गांव की एक खासियत ये भी है कि यहां रहने वाले सभी परिवार शाकाहारी है. यहां कोई भी मांस नहीं खाता. इसके अलावा यहां रहने वाला कोई भी व्यक्ति शराब नहीं पीता.
इस गांव में आज तक कभी चोरी नहीं हुई है. इसलिए यहां के घरों में कभी कोई ताला नही लगाता. गांव वालों के बीच आज तक कभी कोई झगड़ा या विवाद भी नहीं हुआ है.
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