DNA with Sudhir Chaudhary: दिल्ली में यमुना के बीचोंबीच कैसे खड़ी हो गईं पांच मंजिला बिल्डिंगें, क्या NGT लेगा कोई एक्शन?
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DNA with Sudhir Chaudhary: दिल्ली में यमुना के बीचोंबीच कैसे खड़ी हो गईं पांच मंजिला बिल्डिंगें, क्या NGT लेगा कोई एक्शन?

DNA on Encroachment in Yamuna Flood Area at Zakir Nagar Delhi: दिल्ली के जाकिर नगर इलाके में पिछले 20 सालों में यमुना नदी पर कब्जा कर उसके डूब क्षेत्र में सैकड़ों पांच मंजिला बिल्डिंगें खड़ी कर दी गईं. अवैध रूप से खड़ी की गई इन बिल्डिंगों को अफसर-जज रोजाना देखते हैं लेकिन कार्रवाई की हिम्मत कोई नहीं जुटा पाता. 

DNA with Sudhir Chaudhary: दिल्ली में यमुना के बीचोंबीच कैसे खड़ी हो गईं पांच मंजिला बिल्डिंगें, क्या NGT लेगा कोई एक्शन?

DNA on Encroachment in Yamuna Flood Area at Zakir Nagar Delhi: हम आपको दिल्ली में यमुना नदी के किनारे उस जगह पर लेकर चलते हैं, जहां पर्यावरण की रक्षा को लेकर इतने कड़े कानून हैं कि आप वहां एक ईंट भी नहीं रख सकते और किसी कार्यक्रम का आयोजन भी नहीं कर सकते. लेकिन नदी के इस इलाके के बीचों बीच पिछले 10 वर्षों में सैकड़ों बहुमंज़िला इमारतें बन चुकी हैं और उन्हें रोकने वाला कोई नहीं है. दिल्ली के लोगों ने पिछले 10 साल में पहले इसे यमुना नदी का हिस्सा माना और आज इस नदी के बीचों बीच एक बहुत बड़ी बस्ती बन चुकी है. जहां मकान भी हैं और दुकान भी हैं.

जाकिर नगर में पैसे वालों ने कर लिया यमुना पर कब्जा

यमुना नदी के जिस क्षेत्र में ये अतिक्रमण किया गया है, वो जगह देश के संसद भवन से सिर्फ़ 15 किलोमीटर दूर है. इसके अलावा देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट यहां से सिर्फ 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इस जगह को दिल्ली में जाकिर नगर (Zakir Nagar) कहते हैं, जो Okhla Extension के इलाके में पड़ता है. इन जगहों के नाम हम इसलिए बता रहे हैं, ताकि दिल्ली की सरकार, दिल्ली का नगर निगम और तमाम बड़े अफसर ये देख लें कि कैसे राजधानी में कुछ शक्तिशाली लोगों ने ऐसे स्थानों पर भी अतिक्रमण कर लिया है, जहां पर निर्माण करने की इजाजत ही नहीं है.

असल में यमुना नदी के आसपास के क्षेत्र को दो श्रेणियों में बांटा गया है. एक क्षेत्र को Submerged Area यानी डूब क्षेत्र कहते हैं. ये वो क्षेत्र होता है, जो नदी का जलस्तर सामान्य से ज्यादा होने पर डूब जाता है. दूसरे क्षेत्र को Siltation Area कहते हैं. ये वो क्षेत्र होता है, जो नदी में बाढ़ आने की स्थिति में डूब सकता है. इस क्षेत्र को काफ़ी संवेदनशील माना जाता है. नियम कानून कहते हैं कि इस क्षेत्र का इस्तेमाल सिर्फ खेती के लिए हो सकता है. लेकिन यहां निर्माण की इजाजत नहीं दी जा सकती.

डूब क्षेत्र में खड़ी कर दी सैकड़ों ऊंची इमारतें

लेकिन हैरानी की बात ये है कि इस समय Okhla Extension का जितना भी क्षेत्र, यमुना के Siltaion Area में आता है, वहां लोगों ने अतिक्रमण करके बड़ी बड़ी इमारतें बना ली हैं और इस जगह पर कब्जा कर लिया है. अगर आप दिल्ली में रहते हैं और आपने दिल्ली को नोएडा से जोड़ने वाले DND Expressway पर सफर किया है तो आपने भी यहां से गुजरते वक्त यमुना नदी के पास ऐसी बड़ी बड़ी इमारतें देखी होंगी. DND से आज देश के बड़े बड़े जज गुजरते हैं, पुलिस के बड़े अधिकारी गुजरते हैं, हमारे देश के सांसद यहां से गुजरते हैं, विधायक गुजरते हैं, लेकिन इनमें से किसी ने भी ये सवाल आज तक नहीं पूछा कि ये इमारतें यहां कहां से आ गईं?

वर्ष 2000 में नहीं थी एक भी इमारत

अतिक्रमण का ये मामला कितना गम्भीर है, इसे आप इन Satellite तस्वीरों से समझ सकते हैं. वर्ष 2000 में इस जगह पर एक भी इमारत नहीं थी. यहां सिर्फ खेती की जाती थी. लेकिन अगले पांच वर्षों में यहां जबरदस्त अतिक्रमण हुआ और लोगों ने यमुना के क्षेत्र में बड़ी बड़ी इमारतें खड़ी कर ली. 2020 तक तो स्थिति ये हो गई कि जिस क्षेत्र में सिर्फ खेती करने की अनुमति थी, उस पूरी जगह को घेर कर वहां बहुमंजिला इमारतें बना ली गईं.

पिछले दिनों जब दिल्ली के जहांगीरपुरी में अतिक्रमण पर बुलडोज़र चला था, उस समय हमारे देश का एक खास वर्ग अतिक्रमण करने वाले लोगों को गरीब बता रहा था. उस समय ये कहा गया था कि सरकार गरीब लोगों से उनकी रोजी रोटी छीन  रही है. लेकिन यहां तो ऐसा कुछ नहीं है.

लाखों रुपये किराया वसूल रहे अतिक्रमणकारी

इस क्षेत्र में अभी जितनी भी इमारतें हैं, वो चार से पांच मंज़िला हैं. इन्हें इस तरह से बनाया गया है, ताकि एक एक बिल्डिंग में 100-100 लोग किराए पर रह सकें. जब हमारी टीम इन इमारतों में गई तो हमें पता चला कि, जो इमारतें अतिक्रमण करके बनाई गई हैं, उनमें एक एक इमारत में 25 से ज्यादा कमरे हैं और हर कमरे का किराया कम से कम चार हज़ार रुपये है. यानी इस हिसाब से एक इमारत महीने में एक लाख रुपये तक कमा कर देती है. इसके अलावा कुछ इमारतों में दुकानें भी बनी हुई हैं. इन दुकानों का किराया चार से सात हज़ार रुपये तक है. यानी ये सारी इमारतें इस इलाके के अमीर लोगों की हैं और इनकी हिम्मत देखिए कि जो जमीन सिर्फ खेती के लिए निर्धारित थी, उस पर इन लोगों ने खुलेआम कब्जा कर लिया.

ग्राउंड रिपोर्टिंग के दौरान हमें ये बात भी पता चली कि दिल्ली के इस इलाके में दो बड़े गांव हैं, जो यमुना नदी से लगे हुए हैं. इनमें एक गांव का नाम है, खिजराबाद, जहां हिन्दू आबादी ज्यादा रहती है और दूसरे गांव का नाम है, ज़ाकिर नगर, जहां मुस्लिम आबादी ज्यादा रहती है. अब बड़ी बात ये है कि, खिजराबाद गांव की स्थिति तो आज भी लगभग वैसी ही है, जैसी आज से दो दशक पहले हुआ करती थी. यहां यमुना के क्षेत्र में ज्यादा अतिक्रमण नहीं हुआ है. लेकिन जिस इलाक़े में एक खास धर्म के लोग रहते हैं, वहां यमुना के क्षेत्र पर लगभग कब्जा कर लिया गया है.

क्या NGT जुटाएगा कार्रवाई की हिम्मत?

वर्ष 2016 में आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने दिल्ली में यमुना नदी के किनारे एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया था. इस कार्यक्रम की उन्होंने सरकार और संबंधित विभाग से अनुमति भी ली थी. लेकिन इसके बावजूद तब कुछ लोग इसके ख़िलाफ़ NGT में चले गए और ये शिकायत की कि इस कार्यक्रम से पर्यावरण और यमुना नदी के आसपास के क्षेत्र को भारी नुकसान हुआ है. इस शिकायत पर उस समय NGT ने श्री श्री रविशंकर पर पांच करोड़ रुपये का ज़ुर्माना लगाया था. लेकिन हमारा सवाल है कि आज जब इसी क्षेत्र पर कुछ लोगों ने अतिक्रमण करके बड़ी बड़ी इमारतें बना ली हैं, तब यमुना नदी को नुकसान नहीं पहुंच रहा, तब पर्यावरण को नुकसान नहीं हो रहा?

इतना कुछ होने के बावजूद दिल्ली नगर निगम आज चाह कर भी इस क्षेत्र में बनाई गई अवैध इमारतों को गिरा नहीं सकती क्योंकि अगर उसने ऐसा किया तो यहां के लोग धर्म को बीच में ले आएंगे. सम्भव है कि पिछले मामलों की तरह सुप्रीम कोर्ट भी अतिक्रमण के खिलाफ इस कार्रवाई पर रोक लगा देगी. 

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