कोविड के दौरान देश की जरूरत को अनदेखा कर विदेश भेजी जा रही थी जरूरी दवाइयां? मांडविया का जवाब चौंका देगा
Advertisement
trendingNow11746635

कोविड के दौरान देश की जरूरत को अनदेखा कर विदेश भेजी जा रही थी जरूरी दवाइयां? मांडविया का जवाब चौंका देगा

Covid Era: मांडविया ने कहा, ‘‘मेरी बेटी एक डॉक्टर है और वह महामारी के दौरान लोगों की सेवा कर रही थी. उसने एक बार मुझसे यह पूछा था कि क्या भारत वास्तव में महत्वपूर्ण दवाओं का निर्यात कर रहा है जब हमारे अपने देश में ही इसकी अनुपलब्धता के बारे में खबरें आई हैं.’’

कोविड के दौरान देश की जरूरत को अनदेखा कर विदेश भेजी जा रही थी जरूरी दवाइयां? मांडविया का जवाब चौंका देगा

Covid Era: कोविड-19 संक्रमण की चरम लहर के बीच केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया को उनकी डॉक्टर बेटी का फोन आया और पूछा कि क्या भारत वास्तव में जरूरी दवाएं विदेश भेज रहा है जबकि देश में कमी है. उन्होंने अपनी बेटी से कहा कि नरेन्द्र मोदी नीत सरकार के एक मंत्री के रूप में, वह ऐसा कभी नहीं करेंगे. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कोविड काल और भारत ने कैसे सदी की सबसे भीषण महामारी का सामना किया, इस बारे में एक विशेष वीडियो साक्षात्कार में बताया कि जब सरकार और लोग संकट का प्रबंधन करने के लिए लगातार काम कर रहे थे, तो बहुत सारी राजनीति चल रही थी. इसमें दवा निर्यात की बात भी शामिल थी. उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी दल फर्जी विमर्श चला रहे थे.

मांडविया ने कहा, ‘‘मेरी बेटी एक डॉक्टर है और वह महामारी के दौरान लोगों की सेवा कर रही थी. उसने एक बार मुझसे यह पूछा था कि क्या भारत वास्तव में महत्वपूर्ण दवाओं का निर्यात कर रहा है जब हमारे अपने देश में ही इसकी अनुपलब्धता के बारे में खबरें आई हैं.’’ मांडविया ने कहा, ‘‘मैंने उससे कहा कि देश में मोदी सरकार है और मैं उनका मंत्री हूं. अगर देश में दवाओं की कमी है तो मैं दुनिया को कभी भी दवाओं का निर्यात नहीं कर सकता.’’

मंत्री ने कहा कि उन्होंने अपनी बेटी को सही हालात से अवगत कराया और वह संतुष्ट हुईं. मांडविया ने कहा, ‘‘देश ने देखा कि दवाओं की कोई कमी नहीं है, और लोगों को भरोसा हुआ. सभी को पता चला कि मोदी सरकार ने कोविड संकट को कैसे प्रबंधित किया और इसके लिए चारों तरफ सराहना हो रही है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘आज दुनिया भारत की ओर देखती है, भले ही यह (दवा आपूर्ति) महंगा हो. ऐसा इसलिए है क्योंकि वे जानते हैं कि संकट के समय भारत उनके साथ खड़ा रहा है. यह हमारी प्रतिबद्धता के कारण है कि दुनिया भारत की प्रशंसा कर रही है और इसका श्रेय हमारे कोविड प्रबंधन को जाता है.’’

मांडविया 2019 से जहाजरानी मंत्रालय में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री थे. उन्हें 2021 में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री के साथ-साथ रसायन और उर्वरक मंत्री बनाया गया था. उन्होंने कहा कि इस बात पर कई सवाल उठे कि सरकार ने पहले कुछ प्रमुख दवाओं के निर्यात पर प्रतिबंध क्यों लगाया और फिर इसकी अनुमति दी.

मांडविया ने कहा, ‘‘शुरुआत में हमने प्रतिबंध लगाया क्योंकि हम स्थिति, अपनी आवश्यकताओं, निर्माण क्षमता, हमारे पास उपलब्ध कच्चे माल की स्थिति तथा हम और अधिक कच्चा माल कहां से प्राप्त कर सकते हैं, इसका विश्लेषण कर रहे थे. जब हमने पाया कि हमारे पास पर्याप्त कच्चा माल और अन्य चीजें हैं तो हमने निर्यात प्रतिबंध हटा लिया.’’

केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘जब हमने निर्यात शुरू किया तो आलोचना शुरू हो गई कि हम विदेशों में दवाएं भेज रहे हैं जिससे देश में कमी होगी.’’ मांडविया ने कहा कि मार्च 2020 में देश में लॉकडाउन के कुछ दिनों बाद, प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें देश में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और एजिथ्रोमाइसिन की स्थिति जानने के लिए फोन किया. केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘मैंने जानकारी जुटाई और उन्हें (मोदी) बताया कि हमारे पास अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विनिर्माण क्षमता है. प्रधानमंत्री ने हमसे कहा कि हमें देश की आवश्यकताओं को पूरा करने और दुनिया की मदद करने की आवश्यकता है और हमें इस संबंध में आवश्यक कदम उठाने की जरूरत है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘अगर अगस्त में पूर्वानुमान 10 लाख मामलों का था, तो हम मानते थे कि 20 लाख मामले होंगे, और जब हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की आवश्यकता का आकलन करने और उसके अनुसार निर्माण करने की बात आती है तो हम 20 प्रतिशत अधिक भंडार का ध्यान में रखते थे.’’ केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह सुनिश्चित किया गया कि किसी भी स्थिति में देश में दवाओं की कमी न हो. मांडविया ने कहा, ‘‘इसके अलावा, लक्ष्य हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और एजिथ्रोमाइसिन की निर्यात आवश्यकता को पूरा करने की आवश्यकता से अधिक उत्पादन करना था.’’

उन्होंने याद किया कि लॉकडाउन के दौरान सभी हवाई अड्डों को बंद कर दिया गया था और सभी उड़ानें निलंबित कर दी गई थीं. मांडविया ने कहा कि लेकिन दुनिया भर से हर दिन चार से पांच विमान दवाएं और टीके लेने के लिए भारत आते थे. उन्होंने कहा कि भारत ने 150 देशों को दो महत्वपूर्ण दवाओं की आपूर्ति की और उनमें से कई ने प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया. मांडविया ने कहा, ‘‘स्वास्थ्य हमारे लिए व्यापार नहीं है, यह एक सेवा है. जब हमने 150 देशों को दवाओं की आपूर्ति की थी, तो हम चाहते तो कीमत बढ़ा सकते थे. लेकिन हमने ऐसा नहीं किया. हमने दवाओं की आपूर्ति पिछले मूल्य पर ही की.’’

(एजेंसी इनपुट के साथ)

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news