सनफार्मा, डॉक्टर रेड्डी... ब्रांड पर मत जाइये, इसके अंदर का माल खोखला है!
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सनफार्मा, डॉक्टर रेड्डी... ब्रांड पर मत जाइये, इसके अंदर का माल खोखला है!

Ghaziabad Fake Medicines Factory: गाजियाबाद में ऐसी फैक्ट्री का भंडाफोड़ हुआ है, जहां नकली दवाएं बनाई जा रही थीं. नकली दवा बनाने की फैक्ट्री गाजियाबाद के साहिबाबाद इलाके में औद्योगिक क्षेत्र की एक छोटी सी जगह में चल रही थी, यहां छापेमारी में Drugs Department ने एक करोड़ 10 लाख रुपये कीमत की नकली दवाएं बरामद की है.

सनफार्मा, डॉक्टर रेड्डी... ब्रांड पर मत जाइये, इसके अंदर का माल खोखला है!

Ghaziabad Fake Medicines Factory: अक्सर जब भी कोई व्यक्ति किसी बीमारी से ग्रसित हो जाता है. तब डॉक्टर की सलाह पर वो दवाईयां लेता है, ताकि जल्द ठीक हो सके. या फिर कई बार उसे बीमारी को कंट्रोल करने के लिए लंबे समय तक दवाईयां लेनी पड़ती हैं. डॉक्टर जो दवाइयां लिखकर देते हैं, मरीज उन्हें खाने लगते हैं. बिना ये सोचे-समझे की दवाई असली है या फिर नकली. क्योंकि किसी आम इंसान के लिए असली-नकली दवाओं की पहचान करना थोड़ा मुश्किल होता है. जबकि नकली दवाएं हमारी बीमारी को ठीक करने की बजाय हमें नई बीमारी दे सकती हैं और सेहत को खराब कर सकती हैं.

नकली दवा फैक्ट्री का भंडाफोड़

गाजियाबाद में Drugs Department, Crime Branch और स्थानीय पुलिस ने एक ऐसी फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया है, जहां नकली दवाएं बनाई जा रही थीं. नकली दवा बनाने की फैक्ट्री गाजियाबाद के साहिबाबाद इलाके में औद्योगिक क्षेत्र की एक छोटी सी जगह में चल रही थी, यहां छापेमारी में Drugs Department ने एक करोड़ 10 लाख रुपये कीमत की नकली दवाएं बरामद की है. नकली दवाएं बनाने में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल बरामद किया है. नकली दवाएं बनाने में इस्तेमाल होने वाली मशीनें और नकली दवाओं की पैकिंग का सामान जब्त किया है. इसके अलावा पुलिस ने फैक्ट्री से एक युवक को गिरफ्तार किया है.

ब्रांडेड कंपनी के रैपर में पैक नकली दवाएं 

Drugs Department के मुताबिक इस फैक्ट्री में ज्यादातर नकली Genric दवाएं बनाई जा रही थीं. जिनकी देश में सबसे ज्यादा मांग रहती है. इनमें गैस, शुगर और बीपी की दवाएं शामिल हैं. जिन्हें ब्रांडेड कंपनी की दवाओं के रैपर में पैक करके बाजार में बेचा जा रहा था. डॉक्टर, मरीज की बीमारी के हिसाब से दवाएं लिखते हैं. अगर मरीज को दवाएं ही नकली मिल रही हों, तो उसके ठीक होने की संभावना कम हो जाती है. इसके अलावा जीवनरक्षक दवाएं नकली होने से मरीज की जान को खतरा भी हो सकता है. लेकिन कुछ लोग मुनाफे के लिए लोगों की जिंदगी दांव पर लगाने से नहीं कतराते. ऐसा ही गाजियाबाद की इस फैक्ट्री में हो रहा था.

दवाओं की देश में भारी डिमांड

जिन नकली दवाओं को इस फैक्ट्री में बनाया जा रहा था. उनकी देश में भारी डिमांड है. क्योंकि शुगर और बीपी ऐसी बीमारी हो गई है. जिसके मरीज भारत में बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं. Indian Council of Medical Research यानी ICMR की वर्ष 2023 की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक..

- भारत में इस समय 101 मिलियन यानी 10 करोड़ 10 लाख लोग शुगर से पीड़ित हैं. जोकि वर्ष 2021 के मुकाबले 36 फीसदी ज्यादा हैं.
- इंटरनेशनल डायबिटिक फेडरेशन के मुताबिक वर्ष 2021 में भारत में 74.2 मिलियन यानी 7 करोड़ 42 लाख लोग शुगर से पीड़ित थे.
- ICMR के मुताबिक भारत में 136 मिलियन यानी 13 करोड़ 60 लाख लोग प्री-डायबिटिक हैं. ये डायबिटिक होने से ठीक पहले की स्टेज होती है. .
- देश में गोवा में सबसे ज्यादा 26.4 फीसदी लोगों को शुगर है, जबकि उत्तर-प्रदेश में सबसे कम 4.8 फीसदी लोगों को शुगर की समस्या है.

शुगर और बीपी की नकली दवाएं

ज्यादातर पीड़ित शुगर कंट्रोल करने के लिए दवाएं लेते हैं. ऐसे ही मरीजों की मजबूरी का फायदा नकली दवा बनाने वाले माफिया उठाते हैं. जो ब्रांडेड कंपनियों की दवाओं के नाम पर नकली दवाएं बाजार में पहुंचाते हैं. गाजियाबाद की नकली दवा फैक्ट्री में भी शुगर और बीपी की नकली दवाएं बड़े स्तर पर बनाई जा रही थीं. जबकि बीपी यानी उच्च रक्तचाप के मरीजों की संख्या भी भारत में बहुत तेजी से बढ़ रही है. एक स्टडी के मुताबिक..

- वर्ष 2019 में दुनिया में 130 करोड़ लोग उच्च रक्तचाप से पीड़ित थे, जोकि वर्ष 1990 के मुकाबले दोगुना हैं. वर्ष 1990 में दुनिया में 65 करोड़ लोग BP की समस्या से पीड़ित थे.
- दुनिया में 30 से 80 आयु वर्ग के प्रत्येक तीन में से एक व्यक्ति को BP की समस्या है.
- WHO की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में ही 18 करोड़ 80 लाख लोग उच्च रक्तचाप से प्रभावित हैं.
- WHO की रिपोर्ट के मुताबिक BP की समस्या को लेकर जरूरी कदम उठाए जायें तो वर्ष 2050 तक 7 करोड़ 60 लाख लोगों को BP की वजह से होने वाली मौत से बचाया जा सकता है.
- भारत में भी BP के 6 करोड़ 70 लाख मरीजों को प्रभावी ढंग से इलाज दिया जाये, तो वर्ष 2040 तक 4 करोड़ 60 लाख लोगों को BP की वजह से होने वाली मौत से बचाया जा सकता है.

नकली दवाओं का धंधा बहुत तेजी से बढ़ा

समय पर और सही दवा लेने से काफी हद तक बीमारी को खत्म या कंट्रोल किया जा सकता है. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि दवा असली और सही हो. लेकिन जिस तरह गाजियाबाद में नकली दवा फैक्ट्री को लेकर खुलासा हुआ है, और फैक्ट्री से शुगर, बीपी और गैस की दवाएं जब्त की गई है, वो देश के हर व्यक्ति के लिए चिंता की बात है. नकली दवा बनाने वाले किसी भी हद तक जा सकते हैं. उन्हें सिर्फ पैसों से मतलब रहता है, यही वजह है कि पिछले कुछ समय में नकली दवाओं का धंधा बहुत तेजी से बढ़ा है. देश के अलग-अलग हिस्सों में नकली दवा बनाने वाली फैक्ट्रियां पकड़ी गई हैं.

- 2 मार्च 2024 को तेलंगाना Drugs Control Administration ने उत्तराखंड में नकली दवा फैक्ट्री पर छापा मारा था, फैक्ट्री में Chalk Powder से नकली दवाएं तैयार की जा रही थी. इस केस में 5 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था.
- 18 दिसंबर 2023 को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने गुलाबी बाग औद्योगिक क्षेत्र में नकली दवा फैक्ट्री पकड़ी थी, इस फैक्ट्री में नकली मेडिकल क्रीम बनाई जाती थी.
- 15 अक्टूबर 2023 देहरादून पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार कर नकली दवाएं बरामद की थी, आरोपियों से 21 लाख 83 हज़ार नकली कैप्सूल जब्त किये गए थे.
- 03 अगस्त 2023 को कोलकाता में 2 करोड़ की नकली दवाएं जब्त की गई थी, इन नकली दवाओं को कोलकाता की एक फैक्ट्री में बनाया गया था.

नेटवर्क दिल्ली से लेकर कोलकाता तक

नकली दवा माफियाओं का नेटवर्क दिल्ली से लेकर कोलकाता तक फैला हुआ है. नकली दवा फैक्ट्रियों पर छापेमारी होती है. आरोपियों को गिरफ्तार किया जाता है, लेकिन नकली दवाओं के धंधे पर अबतक रोक नहीं लगाई जा सकी है. सैंकड़ों करोड़ की नकली दवाएं अब भी बाजार में मौजूद हैं. ऐसे में एक आम इंसान जब दवा खरीदने जाता है, तब उसके लिए सबसे बड़ी समस्या होती है. किसी दवा के नकली या असली होने की पहचान करना. क्योंकि, नकली दवाएं बनाने वाले इतनी सफाई से इस काम को करते हैं, कि असली-नकली दवा की पहचान करना मुश्किल होता है.

- नकली दवाओं की Shape और Size बिल्कुल असली जैसा होता है.
- दवाओं के स्ट्रिप भी असली दवाओं की तरह डिजाइन किये होते हैं.
- नकली दवाओं की पैकिंग बिल्कुल असली दवाओं की तरह की जाती है.
- नकली दवाओं के रैपर का डिजाइन और कलर असली दवा के रैपर जैसा होता है.
- असली दवा और नकली दवा दोनों की MRP भी एक जैसी रखी जाती है.

इन बातों का रखें ध्यान

अगर आपके सामने भी असली और नकली दवाईंयों को रख दिया जाये, तो पहली नज़र में पहचाना पाना थोड़ा मुश्किल होगा. लेकिन लेकिन कुछ ऐसी चीजें हैं, जिनसे असली और नकली दवाओं को पहचाना जा सकता है. जब आप दवा खरीदने जायें, तो ध्यान दें कि दवा के रैपर पर एक QR Code प्रिंट होता है. नियम के मुताबिक 100 रुपये से ज्यादा कीमत वाली सभी दवाओं पर QR Code प्रिंट करना अनिवार्य है, ऐसे में दवा खरीदने के बाद आप क्यूआर कोड स्कैन करें. इससे आपको दवा का सही और जेनरिक नाम, ब्रांड का नाम, मैन्युफैक्चरर की जानकारी, मैन्युफैक्चरिंग की तारीख, एक्सपायरी डिटेल और लाइसेंस नंबर जैसी तमाम जानकारियां मिल जाएंगी. और आप आसानी से पता लगा सकेंगे कि दवा असली है या नकली.

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