आंदोलन (Farmers Protest) कर रहे किसानों का कहना है कि सरकार कृषि कानून (Farm Laws) वापस लेगी या नहीं इसका हां या ना में जवाब दे. जब तक कृषि कानून वापस नहीं होंगे तब तक हम दिल्ली से जाने के पक्ष में नहीं हैं. साथ ही किसानों ने ये भी कहा कि कानून वापस होने के बाद ही वो बाकी मुद्दों पर सरकार से बात करेंगे.
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नई दिल्ली: कृषि कानूनों (Agriculture Law) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों और सरकार के बीच शनिवार को विज्ञान भवन में हुई पांचवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही और किसानों का प्रदर्शन (Farmers Protest) लगातार 11वें दिन रविवार (6 दिसंबर) को भी जारी है. पांचवे दौर की बातचीत में भी किसान तीनों कानून वापस लेने की मांग पर अड़े रहे और अब दोनों पक्षों के बीच अगले दौर की बातचीत 9 दिसंबर को होगी. यहां पढ़ें LIVE Updates:
इस बीच दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर किसानों की पंचायत शुरू हो गई है. किसान 8 दिसंबर को होने वाले 'भारत बंद' और 9 दिसंबर को सरकार के साथ होने वाली छठे दौर की बातचीत के लिए रणनीति बना रहे हैं.
बता दें कि किसान संगठनों ने सोमवार 8 दिसंबर को देशभर में बंद का आह्वान किया है. बंद के दिन किसान संगठनों के कार्यकर्ता कई शहरों में चक्का जाम कर सकते हैं. किसानों के इस बंद को राजनीतिक पार्टियों से भी समर्थन मिल रहा है. कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने किसानों के बंद का समर्थन करने का फैसला किया है.
कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कांग्रेस पर किसान आंदोलन में किसानों को भड़काने का आरोप लगाया है. कृषि राज्य मंत्री ने कहा, 'सरकार कृषि कानूनों में संशोधन के लिए तैयार है. लेकिन हम कृषि कानूनों को वापस नहीं लेंगे. देशभर में MSP जारी रहेगी'.
कैलाश चौधरी ने आगे कहा कि कांग्रेस ने 60 साल तक राज किया लेकिन कृषि के लिए उनका बजट क्या था. मोदी सरकार ने किसानों के हित में काम किया है. पीएम मोदी की सरकार ने किसान सम्मान निधि को शुरू किया. मोदी सरकार किसानों की आय दोगुनी करना चाहती है.
वहीं NDA के सहयोगी दल JDU के नेता के. सी. त्यागी ने कहा कि वो कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी के बयान से पूरी तरह से असहमत हैं क्योंकि कांग्रेस पार्टी का तो उत्तर भारत में अस्तित्व ही नहीं बचा है. कांग्रेस के भड़काने से किसान उनके झांसे में आने वाले नहीं हैं.
उन्होंने आगे कहा कि ये किसानों का स्वतः स्फूर्त आंदोलन है, जिसमें कई तरह की गलतफहमियां शामिल हैं. सरकार को इस गलतफहमी को दूर करने की कोशिश करनी चाहिए. ये सरकार का दायित्व है कि वो किसानों से बातचीत करके समाधान निकाले.
के. सी. त्यागी ने आगे कहा कि कांग्रेस पार्टी 1 दर्जन बार अलग-अलग राज्यों में धरने प्रदर्शन कर चुकी है और अभी तक वो एक भी जिले को बंद करने में सफल नहीं हुई है. ऐसे में हम कैसे मान लें कि किसानों में उनकी पैठ है. अगर कांग्रेस ऐसा समझती है तो ये कांग्रेस की मूर्खता होगी. मुझे लगता है कि 9 दिसंबर को एक बीच का रास्ता निकलेगा.
किसानों के प्रदर्शन (Farmers Protest) की वजह से दिल्ली के हरियाणा और उत्तर प्रदेश से सटे कई इलाकों में आज भी लोगों को जाम की समस्या से जूझना पड़ सकता है, क्योंकि दिल्ली से लगी कई सीमाएं आज भी बंद रहेंगी. सिंघु बॉर्डर पर बड़ी संख्या में किसान अब भी जमे हुए हैं, वही यूपी गेट पर भी किसानों का धरना जारी है. प्रदर्शन को देखते हुए पुलिस अलर्ट पर है और ट्रैफिक पुलिस ने लोगों को वैकल्पिक रास्ता चुनने की सलाह दी है.
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किसानों के साथ हुई बैठक में कोई नतीजा ना निकलने के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने मीडिया से बात की. उन्होंने MSP पर एक बार फिर ये साफ कर दिया कि MSP पर शक बेबुनियाद है. साथ ही कृषि मंत्री ने कहा कि 9 तारीख की बैठक में एक बार फिर रास्ता निकालने की कोशिश की जाएगी.
किसानों का कहना था कि सरकार बिल वापस लेने के पक्ष में नहीं है और वो दिल्ली से जाने के पक्ष में नहीं हैं. साथ ही किसानों का कहना है कि उनकी पहली मांग बिल वापसी की है, इसके बाद ही वो बाकी मुद्दों पर सरकार से बात करेंगे. किसानों के साथ होने वाली इस बैठक से पहले शनिवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने भी चार बड़े मंत्रियों के साथ बैठक की. प्रधानमंत्री आवास पर करीब 2 घंट तक चली इस मीटिंग में गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी शामिल थे.
दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन (Farmers Protest) को देश के अलग अलग किसान संगठन अपना समर्थन दे रहे हैं, लेकिन इस बीच इस आंदोलन में कई राज्यों की पार्टियां भी शामिल हो रही हैं. कृषि कानून के खिलाफ पटना के गांधी मैदान में शनिवार को महागठबंधन ने विरोध प्रदर्शन किया. प्रशासन ने कोरोना के कारण प्रदर्शन की इजाजत नहीं दी तो RJD नेताओं ने मैदान के गेट के बाहर ही धरना देना शुरू कर दिया.
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