Bihar Political Crisis: पूर्व मंत्री सुधाकर सिंह ने अपने ही नेता तेजस्वी को दिखाई आंखें, सरकार से किए सवाल
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Bihar Political Crisis: पूर्व मंत्री सुधाकर सिंह ने अपने ही नेता तेजस्वी को दिखाई आंखें, सरकार से किए सवाल

Sudhakar Singh questioned his own leader: बिहार के पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने अपने ही नेता और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को जवाब दे डाला. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में चुने हुए जनप्रतिनिधि को केवल जनता ही हटा सकती है. जनता जो चाहेगी वह करेगी.

फाइल फोटो

Bihar Politisc News: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ लगातार निशाना साध रहे पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने शनिवार को अपने ही नेता और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर भी आंखे तरेरी हैं. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में चुने हुए जनप्रतिनिधि को केवल जनता ही हटा सकती है. पटना में एक कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे सुधाकर सिंह ने तेजस्वी द्वारा उन्हें राजद से बाहर करने की चेतावनी पर कहा कि लोकतंत्र में एक जनप्रतिनिधि को हटाने का काम सिर्फ जनता के पास होता है. जनता जो चाहेगी वह करेगी. उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि सवाल तो सरकार से ही पूछे जाएंगे. उन्होंने बताया कि पार्टी ने उन्हें नोटिस दिया था जिसका जवाब दिए करीब एक महीने से ज्यादा हो गए.

राजद के महासचिव को भी जारी हुआ था नोटिस

पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने कहा कि जो जवाब उस समय दिया है, उस पर आज भी में कायम हूं. अब इस पर कोई व्यक्ति क्या बोल रहा है इसपर वे कुछ भी नहीं बोलेंगे. सुधाकर सिंह ने यह भी कहा कि दूसरी बार भी पार्टी नोटिस देगी तो फिर जवाब दूंगा. राजद (RJD) के विधायक ने आगे कहा कि सरकार से सवाल करना उनका हक है. आपको बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ लगातार बयान देने के बाद राजद के महासचिव अब्दुल बारी सिद्दीकी ने सिंह को कारण बताओ नोटिस जारी किया था. इसके जवाब में उन्होंने एक लंबा जवाब पार्टी को भेज दिया है.

बिहार विधानसभा में हो रहा हंगामा

आपको बता दें कि बीते शुक्रवार को बिहार विधानसभा के अंदर विपक्षी दलों ने खूब हंगामा किया, जिसके लिए बिहार विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने बाकी विधायकों को चेतावनी दी कि वह अपनी आदतों में सुधार लाएं वरना उनके खिलाफ कार्यवाही की जा सकती है. बिहार विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि अगर विधायक मर्यादा और शिष्टाचार का पालन नहीं करते हैं तो संसदीय मामलों के मंत्री से परामर्श लेने के बाद उन को निलंबित किया जा सकता है.

(इनपुट: एजेंसी)

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