रूस-यूक्रेन युद्ध पर जर्मन अधिकारी ने कही ये बात, जानें भारत से कैसी उम्मीद लगाए बैठा है ये देश
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रूस-यूक्रेन युद्ध पर जर्मन अधिकारी ने कही ये बात, जानें भारत से कैसी उम्मीद लगाए बैठा है ये देश

जर्मनी के सुरक्षा एवं विदेश नीति सलाहकार जेन्स प्लॉटनर ने कहा कि जर्मनी नई दिल्ली की बाधाओं और चुनौतियों को समझता है. 

रूस-यूक्रेन युद्ध पर जर्मन अधिकारी ने कही ये बात, जानें भारत से कैसी उम्मीद लगाए बैठा है ये देश

नई दिल्ली: जर्मनी के सुरक्षा एवं विदेश नीति सलाहकार जेन्स प्लॉटनर ने बुधवार को कहा कि यूक्रेन के खिलाफ चल रहे रूस क हमले को अगर नहीं रोका गया तो दुनिया के लिए विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं. प्लॉटनर ने यह भी कहा कि जर्मनी नई दिल्ली की बाधाओं और चुनौतियों को समझता है. 

  1. जर्मन अधिकारी ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर कही ये बात
  2. बोले- 'यूरोप के प्रवचन की नहीं कोई जरूरत'
  3. कहा- 'मित्र देश आर्थिक फायदे के लिए नहीं उठाएगा कदम'

'यूरोप के प्रवचन की नहीं कोई जरूरत'

उन्होंने कहा कि यूरोप को यूक्रेन संकट पर अपने रुख को लेकर देश को ‘प्रवचन देने या सिखाने’ की कोई आवश्यकता नहीं है. उन्होंने कहा कि विश्व को रूस के यूक्रेन पर हमले के भू-राजनीतिक नतीजों को समझना चाहिए और अगर इसे नहीं रोका गया तो इसके दुनिया के लिए बड़े परिणाम होंगे. जर्मन अधिकारी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, विदेश मंत्री एस जयशंकर और विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला के साथ वार्ता करने से कुछ घंटे पहले मीडिया से बातचीत में यह टिप्पणी की. 

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आर्थिक फायदे के लिए नहीं उठाएगा कदम

रूसी ऊर्जा आपूर्ति में कटौती के लिए जर्मनी द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी देते हुए प्लॉटनर ने कहा कि जर्मनी को उम्मीद है कि अन्य देश उस बोझ को ‘बेअसर’ नहीं करेंगे, जो हम खुद पर डाल रहे हैं. मॉस्को के खिलाफ पश्चिमी प्रतिबंधों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जर्मनी को उम्मीद है कि दुनिया का कोई भी मित्र देश युद्ध का वास्तव में ‘आर्थिक फायदा’ उठाने के लिए कोई कदम नहीं उठाएगा.

भारत को लेकर कही ये बात

उन्होंने कहा, ‘आप (भारत) एक जटिल पड़ोस में रहते हैं, आपके पास खुद की बाधाओं की चुनौतियां हैं. आज मेरी चर्चा का एक उद्देश्य यह बेहतर ढंग से समझना है कि भारत की यह भू-राजनीतिक विशिष्टता यूक्रेन में क्या हो रहा है, इसके बारे में आपके विश्लेषण में कैसे भूमिका निभाती है.’ प्लॉटनर ने कहा कि उनकी यात्रा का उद्देश्य संघर्ष पर भारत के विचारों के बारे में अधिक जानना और जर्मनी के दृष्टिकोण को साझा करना है.

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