NEET UG Paper: वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया है कि नीट-यूजी परीक्षा की इंटिग्रिटी पर जारी विवाद के मद्देनजर केंद्र सरकार अगले साल से परीक्षा ऑनलाइन आयोजित करने की संभावना पर विचार कर रही है.
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NEET-UG: जेईई मेन और जेईई (एडवांस्ड) की तर्ज पर सरकार NEET-UG पेपर को भी पेन-एंड-पेपर मोड से ऑनलाइन मोड में बदलने की संभावना पर विचार कर रही है. फिलहाल NEET की परीक्षा पेन-एंड-पेपर MCQ मोड में होती है. पेन-एंड-पेपर मोड में उम्मीदवारों को दिए गए विकल्पों में से अपना उत्तर चुनना होता है और इसे OMR शीट पर अंकित करना होता है जिसे ऑप्टिकली स्कैन किया जाता है.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया है कि एनईईटी-यूजी परीक्षा की इंटिग्रिटी पर जारी विवाद के मद्देनजर केंद्र सरकार अगले साल से परीक्षा ऑनलाइन आयोजित करने की संभावना पर विचार कर रही है. हालिया कुछ सप्ताह में पेपर लीक को लेकर देश भर में विरोध प्रदर्शन, एक दर्जन से अधिक गिरफ्तारियां, सीबीआई जांच और कई अदालती सुनवाई जारी है.
ऑनलाइन मोड में परीक्षा कराने पर चर्चा
फिलहाल NEET की परीक्षा पेन-एंड-पेपर MCQ मोड में होती है. पेन-एंड-पेपर मोड में उम्मीदवारों को दिए गए विकल्पों में से अपना उत्तर चुनना होता है और इसे OMR शीट पर अंकित करना होता है जिसे ऑप्टिकली स्कैन किया जाता है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने इससे पहले इस परीक्षा को ऑनलाइन मोड में बदलने के सुझाव का विरोध किया था. नीट-यूजी परीक्षा राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) आयोजित करती है.
लेकिन वर्तमान में आईआईटी और इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) मेन या जेईई एडवांस्ड जैसी कंप्यूटर आधारित परीक्षा को एक व्यवहार्य विकल्प के रूप में देखा जा रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले एक सप्ताह में बुलाई गई कम से कम तीन उच्च स्तरीय बैठकों में इस पर चर्चा हुई है.
केंद्र सरकार ने 22 जून को परीक्षा प्रक्रियाओं और डेटा सुरक्षा प्रोटोकॉल में सुधारों की सिफारिश करने और एनटीए की संरचना और कार्यप्रणाली की समीक्षा करने के लिए इसरो के पूर्व अध्यक्ष के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में सात सदस्यीय पैनल का गठन किया है.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने किया था विरोध
साल 2018 में तत्कालीन शिक्षा मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने घोषणा की थी कि NEET 2019 से ऑनलाइन और साल में दो बार आयोजित किया जाएगा. हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा "औपचारिक परामर्श के बिना" इसकी घोषणा पर आपत्ति जताने के बाद शिक्षा मंत्रालय को यह निर्णय वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा. कंप्यूटर आधारित परीक्षा को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय की चिंता यह थी कि इससे गरीब और ग्रामीण छात्रों को नुकसान होगा.
स्वास्थ्य मंत्रालय के पुनर्विचार के बारे में पूछे जाने पर एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ग्रामीण पृष्ठभूमि के कई छात्र हैं जो जेईई मेन में उत्तीर्ण होते हैं और जेईई (एडवांस्ड) के लिए अर्हता प्राप्त करते हैं, जो दोनों कंप्यूटर आधारित परीक्षा हैं. तो फिर ग्रामीण इलाकों के नीट अभ्यर्थियों के लिए यह समस्या क्यों होनी चाहिए?”