सरकारी सूत्रों ने पलटवार करते हुए कहा है कि दिसंबर 1999 में कांधार विमान हाइजैक कांड के बाद आतंकी मसूद अजहर की रिहाई का निर्णय राजनीतिक था.
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नई दिल्ली: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के बारे में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के ट्वीट पर सरकारी सूत्रों ने पलटवार करते हुए कहा है कि दिसंबर 1999 में कांधार विमान हाइजैक कांड के बाद आतंकी मसूद अजहर की रिहाई का निर्णय राजनीतिक था. उस वक्त अजीत डोभाल खुफिया ब्यूरो (आईबी) में अतिरिक्त निदेशक थे और उनको वहां पर रिहाई के वक्त उपस्थित रहने को कहा गया था.
सरकारी सूत्रों ने यह भी कहा कि अजीत डोभाल ने मौलाना मसूद अजहर की रिहाई का जबर्दस्त विरोध किया था और उनकी तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) ब्रजेश मिश्रा के साथ तीखी बहस भी हुई थी. डोभाल ने कहा था कि आतंकियों की रिहाई नहीं होनी चाहिए और विमान अपहरणकर्ताओं के चंगुल से लोगों को छुड़ाने के लिए 24 घंटे मांगे थे. उन्होंने कहा भी था कि यदि कार्रवाई में 4-5 लोग हताहत हो भी जाएंगे तो भी बाकी सबको बचा के ले आएंगे. अजीत डोभाल कांधार में 26 दिसंबर से मौजूद थे. मसूद अजहर और बाकी दो अन्य आतंकियों की रिहाई 31 दिसंबर, 1999 को हुई थी.
PM Modi please tell the families of our 40 CRPF Shaheeds, who released their murderer, Masood Azhar?
Also tell them that your current NSA was the deal maker, who went to Kandahar to hand the murderer back to Pakistan. pic.twitter.com/hGPmCFJrJC
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) March 10, 2019
लालकृष्ण आडवाणी की किताब 'माई कंट्री, माई लाइफ' के पेज नंबर 622, 623 और 624 में भी पूरी घटना का जिक्र किया गया है.
सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी ने जो ट्वीट किया है, उसमें मसूद अजहर के साथ डोभाल नहीं थे. डोभाल जिन तालिबान कमांडरों के साथ बातचीत कर रहे थे, उनके साथ उनकी फोटो है. मसूद अजहर के साथ डोभाल की फोटो नहीं है. मसूद अजहर को लेकर जसवंत सिंह गए थे. मसूद अज़हर की रिहाई में अजित डोभाल का कोई रोल नहीं था. राहुल गांधी के आरोप पूरी तरह निराधार हैं. अजित डोभाल, मसूद अज़हर को छोड़ने नहीं गए थे. वह मसूद की रिहाई टीम में नहीं बल्कि विमान अपहरणकर्ताओं के साथ बातचीत करने वाली टीम में थे.