गुजरात: कांग्रेस यदि इनके साथ बनाती 'महागठबंधन', बदल सकती थी कहानी
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गुजरात: कांग्रेस यदि इनके साथ बनाती 'महागठबंधन', बदल सकती थी कहानी

गुजरात की 16 सीटों पर काफी रोचक मुकाबला देखने को मिला. इन सीटों में से कुछ पर तो जीत हार का अंतर लगभग 200 मतों का था.

महागठबंधन के सहारे गुजरात में कांग्रेस की नैया हो सकती थी पार! (प्रतीकात्मक तस्वीर)

अहमदाबाद: गुजरात की सभी 182 विधानसभा सीटों के चुनाव परिणाम की घोषणा हो चुकी है. कांग्रेस ने इन चुनावों में बेहतर प्रदर्शन किया लेकिन फिर भी सिर्फ 80 सीटों पर सिमट कर रह गई. सत्तारूढ़ दल बीजेपी की जीत लंबे समय बाद 99 सीटों पर आकर रुक गई. 3 सीटें अन्य के खाते में गई जिसमें 1 एनसीपी भी है. गुजरात की तमाम ऐसी सीटें हैं जहां कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन हारी. उन सीटों पर मतों का अंतर अन्य पार्टियों और नोटा को मिले वोटों के कुल योग से कम या आसपास नजर आता है. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि कांग्रेस अगर गुजरात में 'महागठबंधन' कर चुनाव लड़ती तो शायद चुनाव परिणाम बदल भी सकते थे.

  1. गुजरात में बीजेपी को कांग्रेस से करीब 8 प्रतिशत वोट ज्यादा मिले
  2. गुजरात चुनाव में 5,51,615 मतदाताओं ने दबाया नोटा का बटन
  3. कपराडा सीट पर कांग्रेस सिर्फ 170 वोटों के अंतर से जीती

हालांकि यह महज एक कयास हैं, क्योंकि चुनावों में तमाम तरह के कारक होते हैं जो चुनाव परिणामों पर सीधे और परोक्ष तौर पर असर डालते हैं. लेकिन फिर भी अगर बीजेपी गुजरात में चुनाव लड़ रही एनसीपी, बीएसपी और आम आदमी पार्टी को एक साथ लाने की कोशिश करती तो सरकार बनाने के लिए जरूरू 92 सीटों का जादुई आंकड़ा छू सकती थी.

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16 सीटों पर साफ दिखता गठबंधन का फर्क
गुजरात की 16 सीटों पर काफी रोचक मुकाबला देखने को मिला. इन सीटों में से कुछ पर तो जीत हार का अंतर लगभग 200 मतों का था. धोलका और फतेपुरा जैसी सीटों पर एनसीपी और बीएसपी जैसी छोटी पार्टियों ने महत्वपूर्ण वोट अपनी झोली में डालकर कांग्रेस से जीत छीन ली. कुछ सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी अच्छे खासे मत हासिल किए. हिम्मतनगर, पोरबंदर, विजापुर, देवदर, डांग, मानसा और गोधरा विधानसभा सीटों पर रोचक मुकाबला देखने को मिला. कई स्थानों पर निर्दलीय उम्मीदवारों और प्रमुख बागियों ने दोनों मुख्य पार्टियों में से एक के वोट काटे.

डांग सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के उम्मीदवार से केवल 768 मतों के अंतर से जीत दर्ज कर सके जबकि कपराडा (अनसूचित जाति) सीट पर कांग्रेस केवल 170 वोटों से विजय हासिल कर पाई. कपराडा सीट से कांग्रेस के चौधरी जीतूभाई हरजीभाई ने बीजेपी के राउत मधुभाई बापुभाई को मात दी. कपराडा विधानसभा सीट के अलावा भाजपा ने मानसा सीट 524 वोटों से गंवाई. भाजपा देवदर सीट पर 972 वोटों से हारी.

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गोधरा समेत ऐसी कम से कम आठ सीटें ऐसी थी जहां कांग्रेस के उम्मीदवार अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वियों से दो हजार से कम मतों से पीछे रहे. गोधरा सीट पर भाजपा के सी के राउलजी केवल 258 वोटों से जीत दर्ज कर पाए. गोधरा में नोटा वोटों की संख्या 3,050 थी और एक निर्दलीय उम्मीदवार को 18,000 से अधिक मत मिले. धोलका विधानसभा सीट पर कांग्रेस केवल 327 वोटों के अंतर से हारी. इस सीट पर बीएसपी और एनसीपी को क्रमश: 3139 और 1198 वोट मिले. 

इसी तरह फतेपुरा सीट पर भाजपा ने कांग्रेस पर 2,711 वोटों से जीत हासिल की. यहां एनसीपी उम्मीदवार को 2,747 मत प्राप्त हुए. बोटाद सीट पर कांग्रेस केवल 906 वोटों के अंतर से हारी. इस सीट पर बीएसपी को 966 मत मिले. तीन निर्दलीय उम्मीदवारों ने यहां लगभग 7,500 मत प्राप्त किये.

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अन्य सीटों पर भी दिखता असर
गुजरात में कांग्रेस पर करीब 8 प्रतिशत वोटों की बढ़त बीजेपी को सिर्फ इसलिए मिली क्योंकि उसके उम्मीदवारों ने बड़े अंतर से चुनाव जीते. बीजेपी के 35 उम्मीदवारों ने 40 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की तो दो उम्मीदवारों के जीत का अंतर एक लाख के पार गया. महागठबंधन की स्थिति में इन सीटों पर विपक्ष के वोट एकजुट हो सकते थे जो परिणाम पर सीधा असर डालते.

लोगों की नाराजगी NOTA में दिखी
गुजरात का वोटर बीजेपी से इस कदर नाराज था कि उसने चुनावों में नोटा का विकल्प चुना. इसका मतलब है कि कांग्रेस उन नाराज वोटरों का भरोसा जीतने में भी विफल रही. अगर कांग्रेस यह भी कर ले जाती तो उसका काम बन सकता था. गौर करने वाली बात है कि चुनावों में ईवीएम पर नोटा का बटन दबाने वाली उंगलियों की संख्या आम आदमी पार्टी, एनसीपी और बीएसपी जैसी पार्टियों को मिले वोट से ज्यादा रही. गुजरात विधानसभा चुनाव में 5,51,615 मतदाताओं ने यह बटन दबाकर अपने इलाके के उम्मीदवारों को खारिज कर दिया.

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