1998 से मुस्लिम विधायकों का आंकड़ा 5 के आगे नहीं बढ़ पाया है .
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इस बार के गुजरात चुनाव में कुछ मिलाकर चार मुस्लिम प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है. ये सभी कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी थे. कांग्रेस ने कुल मिलाकर छह मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में उतारे थे. पिछले चुनाव में दो मुस्लिम प्रत्याशी जीते थे. गुजरात में मुस्लिम आबादी 9.67 प्रतिशत है. बीजेपी की तरफ से कोई भी मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में नहीं था. इस चुनाव की खास बात यह रही कि इस बार मुसलमानों के मुद्दे पर भी कोई बात नहीं हुई. चुनाव में यह देखना दिलचस्प था कि कांग्रेस ने इस बार गुजरात में जो जातीय गठबंधन बनाया उसमें पटेल, दलित, आदिवासी, और पिछड़ा वर्ग को तवज्जो दी गई. लेकिन खुद को धर्मनिरपेक्ष कहने वाला दल कांग्रेस, मुसलमानों को तवज्जो देने से कतरा गया. इसे भाजपा के हिंदुत्व को टक्कर देने की एक कोशिश मानी जा रही थी.
जातीय ध्रुवीकरण
कांग्रेस के मुस्लिम नेताओं का मानना है कि वैसे भी इस बार के चुनाव में जातीय ध्रुवीकरण, धार्मिक ध्रुवीकरण से ज्यादा मायने रख रहा है. खास बात ये है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पिछले दो महीने के चुनावी दौरों के दौरान इस बार मंदिरों के चक्कर तो लगाए लेकिन किसी भी मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में जनसमर्थन जुटाने का प्रयास करते दिखाई नहीं दिए. वहीं भाजपा के मुख्य मंत्री विजय रूपानी ने अहमदाबाद के मुस्लिम आबादी वाले जमालपुर-खड़िया में बाकायदा रोड शो किया. हालांकि भाजपा ने किसी मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया था, वहीं कांग्रेस ने छह मुस्लिमों को प्रत्याशी के तौर पर खड़ा किया है. 2011 के जनगणना के हिसाब से देखा जाए तो गुजरात की कुल जनसंख्या का 9.6 फीसद मुस्लिम आबादी का है. भले ही गुजरात की जनसंख्या का दस फीसद मुस्लिम हो लेकिन उनकी चुनाव में भागीदारी कभी उतनी रही नहीं.
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मुस्लिम विधायक-
1980 में 12 मुस्लिम विधायक चुने गए थे जो संख्या सबसे अधिक थी
1985 में ये घटकर 8 रह गई
1990 में 2 मुस्लिम विधायक बने
1995 में 1 विधायक मुस्लिम
1998 में 5 मुस्लिम विधायक बने
2002 में संख्या 3 पर आई
2007 में पांच विधायक मुस्लिम थे
2012 में महज़ 2 विधायक मुस्लिम
1998 से मुस्लिम विधायकों का आंकड़ा 5 के आगे नहीं बढ़ पाया है .
सद्भावना मिशन
2011 में नरेंद्र मोदी ने अल्पसंख्यकों के सामने अपनी छवि बदलने के लिए सद्भावना मिशन की शुरूआत की थी. लेकिन 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव में यह मिशन फेल होता दिखाई दिया क्योंकि बीजेपी ने एक भी मुसलमान उम्मीदवार को मैदान में नहीं उतारा था. इस बार भी बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चा ने चुनाव में मुस्लिम उम्मीदवारों को उतारने की मांग की थी. लेकिन जब फायनल लिस्ट सामने आई तो ऐसे किसी भी उम्मीदवार को सामने न देखकर मुसलमानों को निराशा हाथ लगी. खैर, अब तो नतीजे बाहर हैं और बीजेपी ने एक बार फिर अपना झंडा लहरा दिया है. पीएम मोदी ने जीत के बाद एक बार फिर विकास की बात की है. उम्मीद की जा सकती है कि यह विकास हर जाति और धर्म के लोगों तक पहुंच पाएगा.