हर्षवरर्धन ने कहा,‘हम इस समस्या पर फिर से गौर करेंगे और देखेंगे कि हम इस तरह का कोई कानून तैयार करने के बारे में केंद्रीय स्तर पर क्या कुछ कर सकते हैं.’
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नई दिल्ली: अस्पतालों में डाक्टरों के खिलाफ हिंसा को लेकर देश भर में विरोध प्रदर्शन होने के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने सोमवार को कहा कि स्वास्थ्य सुविधाओं में डाक्टरों की सुरक्षा के संबंध में एक केंद्रीय कानून का मसौदा तैयार करने के मुद्दे पर पर सरकार ‘फिर से विचार’ करेगी.
हर्षवर्धन ने कहा कि उन्होंने पहले ही सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि वे इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के मॉडल कानून के सुझाव के साथ डॉक्टरों और मेडिकल पेशेवरों को हिंसा से बचाने के लिए विशेष कानून बनाने पर विचार करें.
उन्होंने कहा,‘हम इस समस्या पर फिर से गौर करेंगे और देखेंगे कि हम इस तरह का कोई कानून तैयार करने के बारे में केंद्रीय स्तर पर क्या कुछ कर सकते हैं.’ उन्होंने कहा कि कानून के जानकारों ने इस मुद्दे पर पहले भी विचार किया था.
उन्होंने कहा कि यह केंद्र बनाम राज्य का मुद्दा नहीं है और डॉक्टरों की सुरक्षा बहस योग्य नहीं है. हर्षवर्धन ने कहा कि अस्पताल के परिसर में या बाहर डॉक्टरों के साथ मारपीट नहीं होनी चाहिए और इस संबंध में कोई मतभेद नहीं है.
यह पूछे जाने पर कि क्या इस संबंध में किसी केंद्रीय कानून के मसौदा के प्रस्ताव संसद के मौजूदा सत्र में आ सकता है, वर्धन ने कहा,‘यह ऐसी चीज नहीं है जिसे रातोंरात तैयार किया जा सकता है. निश्चित रूप से इसके अध्ययन के लिए समय की आवश्यकता होगी. मुझे पुराने रिकॉर्ड हासिल करने होंगे. यह मामला 2017 में भी सामने आया था और विचार-विमर्श हुआ था.’
उन्होंने कहा,‘इसलिए, मेरा यह कहना कि मैं कुछ दिनों के भीतर कुछ कर सकता हूं, यह एक बड़ा दावा होगा. लेकिन हमारे इरादे नेक हैं और हमारा मकसद है कि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए.’