Kashmir: जन्नत को जला रही गर्मी, कश्मीर में चढ़ता जा रहा पारा.. किसी बड़े खतरे का संकेत तो नहीं?
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Kashmir: जन्नत को जला रही गर्मी, कश्मीर में चढ़ता जा रहा पारा.. किसी बड़े खतरे का संकेत तो नहीं?

Weather Updates: भारत के मौसम से जुड़े ताजा अपडेट ठीक नहीं हैं. बारिश.. बाढ़ के बीच कश्मीर से एक बुरी खबर सामने आ रही है. कश्मीर में इस वक्त लोग भीषण गर्मी का सामना कर रहे हैं.

Kashmir: जन्नत को जला रही गर्मी, कश्मीर में चढ़ता जा रहा पारा.. किसी बड़े खतरे का संकेत तो नहीं?

Weather Updates: भारत के मौसम से जुड़े ताजा अपडेट ठीक नहीं हैं. बारिश.. बाढ़ के बीच कश्मीर से एक बुरी खबर सामने आ रही है. कश्मीर में इस वक्त लोग भीषण गर्मी का सामना कर रहे हैं. जुलाई के आंकड़ों ने तो मौसम विभाग को सोचने पर मजबूर कर दिया है. कश्मीर में भीषण गर्मी की लहर चल रही है. घाटी के कई स्थानों पर रविवार को 25 सालों में जुलाई का सबसे अधिक तापमान दर्ज किया गया.

श्रीनगर में अधिकतम तापमान 36.2 डिग्री सेल्सियस

यहां मौसम विभाग के अनुसार, श्रीनगर शहर में रविवार को अधिकतम तापमान 36.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. यह 9 जुलाई, 1999 के बाद से जुलाई का सबसे गर्म दिन था, जब पारा 37 डिग्री सेल्सियस पर था. श्रीनगर में सबसे गर्म जुलाई का दिन 10 जुलाई, 1946 को दर्ज किया गया था जब पारा 38.3 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था.

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दक्षिण कश्मीर में भी पारा चढ़ा

दक्षिण कश्मीर के कजीगुंड और कोकरनाग शहरों में भी रविवार को जुलाई का सबसे गर्म दिन दर्ज किया गया. कजीगुंड में अधिकतम तापमान 35.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो 11 जुलाई, 1988 को दर्ज किए गए 34.5 डिग्री सेल्सियस के पिछले रिकॉर्ड को तोड़ देता है. कोकरनाग में पारा 34.1 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जो इस साल 3 जुलाई को दर्ज किए गए पिछले 33.3 डिग्री सेल्सियस के मुकाबले अधिक है.

कश्मीर में इतनी गर्मी क्यों..

इस दक्षिण कश्मीर शहर में पारा इससे पहले केवल एक बार 8 जुलाई, 1993 को 33 डिग्री तक पहुंचा था. मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों में कश्मीर घाटी के कुछ स्थानों पर बारिश की संभावना जताई है, जिससे तापमान में गिरावट आने की उम्मीद है. यहां समझने वाली बात यह है कि आखिर अपनी ठंडी जलवायु के लिए मशहूर कश्मीर में इस साल गर्मी का इतना अधिक तापमान क्यों है.. इसके कई कारण हो सकते हैं.

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जलवायु परिवर्तन 

दुनिया भर में तापमान में वृद्धि हो रही है और कश्मीर भी इससे अछूता नहीं है. वैश्विक तापमान में वृद्धि के कारण, कश्मीर में भी औसत तापमान बढ़ रहा है. कश्मीर में बारिश मुख्य रूप से पश्चिमी विक्षोभ के कारण होती है. अगर पश्चिमी विक्षोभ कम सक्रिय होते हैं तो बारिश कम होती है और तापमान बढ़ जाता है.

शहरीकरण और औद्योगीकरण

कश्मीर में भी शहरीकरण और औद्योगीकरण हो रहा है, जिसके कारण तापमान बढ़ रहा है. कारखानों और वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण भी तापमान बढ़ाने में योगदान देते हैं.

जंगलों की कटाई

जंगल तापमान को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इनकी कटाई के कारण तापमान में वृद्धि होती है. कश्मीर में अत्यधिक गर्मी से फसलों को नुकसान हो सकता है और कृषि उत्पादन कम हो सकता है. गर्मी के कारण हिमनदों का पिघलना तेजी से हो सकता है, जिससे जल संसाधनों पर दबाव बढ़ सकता है.

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पर्यटन पर प्रभाव

कश्मीर अपनी ठंडी जलवायु के लिए जाना जाता है. हद से ज्यादा गर्मी से पर्यटन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. इसके लिए वैश्विक तापमान में वृद्धि को रोकने के लिए कदम उठाने की जरूरत. जंगलों को बचाना और नए पेड़ लगाना जरूरी है. जानकारों की मानें तो ऐसे हालात से उबरने के लिए शहरीकरण और औद्योगीकरण को नियंत्रित करने के लिए नीतियां बनानी होंगी. जल संसाधनों का संरक्षण करना होगा. यह एक गंभीर मुद्दा है और इसे हल करने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा.

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