Social Media War: संसद की तरह सोशल मीडिया पर भी बढ़ा कांग्रेस का कद, इंटरनेट पर कैसे कर रही भाजपा का मुकाबला?
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Social Media War: संसद की तरह सोशल मीडिया पर भी बढ़ा कांग्रेस का कद, इंटरनेट पर कैसे कर रही भाजपा का मुकाबला?

Political Battle Of Likes And Shares: भाजपा ने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में सोशल मीडिया का सबसे ज्यादा फायदा उठाया. प्रधानमंत्री बनने से पहले ही तत्कालीन गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी के नाम की चारों ओर धूम थी. वहीं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी 2014 में ट्विटर पर भी नहीं थे. एक साल बाद 2015 में वह इस प्लेटफॉर्म पर ऑफिस ऑफ राहुल गांधी के नाम से शामिल हुए थे.

Social Media War: संसद की तरह सोशल मीडिया पर भी बढ़ा कांग्रेस का कद, इंटरनेट पर कैसे कर रही भाजपा का मुकाबला?

Congress Vs BJP On Social Media: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे के बाद सियासी जमीन की तरह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी कांग्रेस का कद धीरे-धीरे बढ़ रहा है. विपक्षी दलों के बीच कांग्रेस के पोस्ट का बोलबाला है. वहीं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी की आक्रामक ऑनलाइन मौजूदगी भी लोगों को आकर्षित कर रही है. लोकसभा चुनाव से पहले भारत जोड़ो यात्रा के दोनों फेज ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई है. 

राजनीति की ओर बढ़ रहा है युवा वर्ग का झुकाव

केंद्र में लगातार तीसरी बार सरकार बनने के बाद लालकिला से स्वतंत्रता दिवस भाषण में पीएम मोदी ने देश के नौजवानों से राजनीति में सक्रिय होने की अपील की. वहीं, तमाम सर्वे एजेंसियों ने भी इस बात की पुष्टि की है कि युवा वर्ग का झुकाव राजनीति की ओर बढ़ रहा है. इसलिए विभिन्न राजनीतिक दलों की ओर से सोशल मीडिया पर युवाओं को पसंद आने वाले कंटेंट को जमकर पोस्ट किया जा रहा है.

सोशल मीडिया पर लाइक, शेयर और व्यूज की लड़ाई

इस बीच देश में नई पीढ़ी के युवाओं ने सोशल मीडिया पर लाइक, शेयर और व्यूज की लड़ाई में कांग्रेस को बढ़त हासिल करने में मदद की है. यह हैरत की बात इसलिए है क्योंकि भाजपा के पास पहले से एक विशाल सोशल मीडिया नेटवर्क है और उसने एक दशक से अधिक समय से उस बुनियादी ढांचे में निवेश किया है. इसके सबसे बड़े सितारे प्रधीनमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया की ताकत को पहले ही समझ लिया था और वर्षों तक प्रभावी ढंग से इसका लाभ उठाया

2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को फायदा 

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है, "जब सोशल मीडिया की बात आती है, तो 2014 के चुनावों में भाजपा को बढ़त मिली थी. मोदी 2009 में ट्विटर से जुड़े थे. उन्होंने 2012 के गुजरात चुनाव में भी सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया था. उन्हें पता था कि यह युवाओं को पसंद आएगा. भाजपा ने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भी इसका सबसे ज्यादा फायदा उठाया."

दूसरी ओर, कांग्रेस के नेता राहुल गांधी 2014 में ट्विटर पर भी नहीं थे. वह 2015 में इस प्लेटफॉर्म पर ऑफिस ऑफ राहुल गांधी के नाम से शामिल हुए थे. क्योंकि लोकसभा चुनाव 2014 के बड़े झटके ने कांग्रेस को सोशल मीडिया की ताकत का एहसास कराया था. एक बार जब अहसास हुआ, तो यह खोई जमीन को कवर करने के लिए तेजी से आगे बढ़ा. तब से कांग्रेस लगातार ऑनलाइन मोर्चे पर भी भाजपा से मुकाबला करने की कोशिश कर रही है.

एक्स पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 101 मिलियन से अधिक फॉलोअर्स

बीते महीने यानी जुलाई में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 101 मिलियन से अधिक फॉलोअर्स के साथ एक्स (पहले ट्विटर) पर सबसे अधिक फॉलो किए जाने वाले नेता बन गए. एक्स के मालिक और तकनीक जगत के अरबपति कारोबारी एलोन मस्क ने उन्हें बधाई दी. वहीं, कांग्रेस ने इस पर सवाल उठाकर लोगों का ध्यान खींचा. हालांकि, कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफॉर्म्स पर भाजपा और पीएम मोदी से काफी पीछे हैं, लेकिन इस अंतर को पाटने में कांग्रेस की जंबो टीम जुटी हुई है.

फॉलोअर्स- सब्सक्राइबर्स में भाजपा और पीएम मोदी काफी आगे

फॉलोअर्स और सब्सक्राइबर्स के मामले में भाजपा और पीएम मोदी के काफी आगे रहने के बावजूद कांग्रेस और राहुल गांधी समेत उसके नेताओं ने कई बार इंगेजमेंट्स में बढ़त बनाई है.  कांग्रेस के सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म की चेयरपर्सन सुप्रिया श्रीनेत दावा करती हैं कि सोशल मीडिया की सफलता को मापने के लिए फॉलोअर्स की संख्या एक गलत आधार है. वास्तव में जो मायने रखता है वह शेयर, लाइक, व्यूज और समग्र जुड़ाव है. 

कांग्रेस ने दिए 16 मार्च से 30 मई, 2024 तक के आंकड़े

कांग्रेस द्वारा दिए गए इस साल 16 मार्च से 30 मई तक के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि उसे सोशल मीडिया पर कैसे फायदा हुआ. रिपोर्ट के मुताबिक, यूट्यूब पर भाजपा के 150 मिलियन व्यूज के मुकाबले कांग्रेस को 613 मिलियन व्यूज मिले. एक्स पर, कांग्रेस को औसतन 2,500-3,000 लाइक मिले, जबकि भाजपा को 260-300 लाइक मिले. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर औसत लाइक के मामले में भी कांग्रेस कहीं आगे थी. इंस्टाग्राम पर उन 45 दिनों में कांग्रेस को औसतन 1.22 लाख लाइक मिले.

कांग्रेस की सोशल मीडिया टीमों को संभाल रहे पेशेवर नेता 

कांग्रेस को अपनी सोशल मीडिया टीमों की कमान संभालने के लिए पेशेवर नेता मिले. मीडिया बैकग्राउंड के पेशेवरों को बड़ी संख्या में कांग्रेस ने अपने वॉर रूम से जोड़ा. कांग्रेस को पसंद करने वाले या भाजपा का विरोध करने वाले पूर्व पत्रकारों, लेखकों, संपादकों का एक बड़ा समूह खड़ा किया गया. इस तरह मीडिया अनुभव वाले लोगों ने भी बड़ी मात्रा में ऑनलाइन प्रभाव पैदा किया. कांग्रेस नेता और लेखक राशिद किदवई का कहना है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान, 137 गैर-राजनीतिक समूह कांग्रेस में शामिल हुए. इसमें रचनात्मक सामग्री में कुशल बहुत से लोग भी शामिल हुए थे.

कांग्रेस कई बार सोशल मीडिया पर सेट करती है सियासी नैरेटिव 

जयराम रमेश और योगेंद्र यादव ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कांग्रेस से लोगों को जोड़ने की रणनीति बनाई थी. सोशल मीडिया पर यात्रा की चर्चा बढ़ने के बाद पारंपरिक मीडिया ने इस पर ध्यान दिया. नौबत यहां तक ​​आ गई कि कई बार कांग्रेस सोशल मीडिया पर नैरेटिव सेट कर रही है और भाजपा इस पर प्रतिक्रिया दे रही है. इसमें कड़ाके की सर्दी में राहुल गांधी और उनकी सफेद टी-शर्ट ने काफी सुर्खियां बटोरी थी.

सोशल मीडिया कोई रॉकेट साइंस नहीं, इसमें निवेश की जरूरत

कांग्रेस नेताओं का भी मानना है कि सोशल मीडिया कोई रॉकेट साइंस नहीं है, लेकिन इसमें निवेश की जरूरत है. इसके लिए कंटेंट और बुनियादी ढांचे की जरूरत है, जिसमें एक नेटवर्क, प्रभावशाली लोग और एक डेडिकेटेड सेल शामिल है जो उन्हें व्यापक रूप से पोस्ट और शेयर करती है. इस मामले में भाजपा सबसे अधिक धनी राजनीतिक दल है. इसलिए उसके पास कांग्रेस की तुलना में बहुत बड़ा सोशल मीडिया बुनियादी ढांचा है. जवाब में कांग्रेस भी बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया बुनियादी ढांचे में निवेश कर रही है.

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सोशल मीडिया फीडबैक जुटाने के लिए राहुल गांधी के साथ टीम

कांग्रेस के आधिकारिक एक्स, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और फेसबुक पेज और हैंडल का प्रबंधन करने वाली सुप्रिया श्रीनेत कोई संख्या तो नहीं बताती, लेकिन कहती हैं कि कांग्रेस की टीम का आकार भाजपा की सोशल मीडिया सेल का दसवां हिस्सा होगा. कांग्रेस के पास सोशल मीडिया प्रचार के लिए भाजपा की तरह संसाधन नहीं हैं. हालांकि, एक टीम राहुल गांधी के साथ काम करती है. इसमें शामिल सभी नेता हर समय एक-दूसरे से बात करते रहते हैं. साथ ही सोशल मीडिया के दोतरफा रास्ता होने से टीमें कांग्रेस नेतृत्व को फीडबैक देती रहती हैं.

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