महंगे पेट्रोल-डीजल से कितनी भरी सरकार की तिजोरी? आखिरकार मिल गया जवाब
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महंगे पेट्रोल-डीजल से कितनी भरी सरकार की तिजोरी? आखिरकार मिल गया जवाब

पेट्रोल-डीजल से सरकार ने अच्छी-खासी कमाई की है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में बताया कि पिछले तीन वित्तीय वर्ष में सरकार ने पेट्रोल-डीजल के टैक्स से 8.02 लाख करोड़ रुपये की कमाई की है. वित्तीय वर्ष 2021 में ही सरकार को टैक्स से 3.71 लाख करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: महंगाई (Inflation) के दौर में पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) के चढ़ते दामों ने आम आदमी का ‘तेल’ निकाल दिया. हालांकि, बीते दिनों केंद्र और कुछ राज्य सरकारों ने टैक्स (Tax) घटाकर जनता को राहत देने की कोशिश जरूर की, लेकिन इस राहत के बावजूद तेल के दाम ऐसी ऊंचाई पर पहुंच चुके हैं, जहां से उनका नीचे उतरना मुश्किल नजर आता है. ऐसे में हर व्यक्ति यह जानना चाहता है कि आखिर आम आदमी की जेब काटकर सरकार ने अपनी तिजोरी कितनी भरी? तो इस सवाल का जवाब अब मिल गया है. सरकार ने संसद में तेल से हुई कमाई की जानकारी दी है.     

  1. 8.02 लाख करोड़ रुपये हुई सरकार की कमाई
  2. 2021 में ही 3.71 लाख करोड़ रुपये का राजस्व मिला
  3. काफी ऊंचाई पर पहुंच गए हैं तेल के दाम

Sitharaman ने संसद में दिया बयान

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने मंगलवार को संसद में बताया कि पेट्रोल-डीजल से सरकार को कितनी कमाई हुई है. वित्त मंत्री के मुताबिक पिछले तीन वित्तीय वर्ष में सरकार ने पेट्रोल-डीजल के टैक्स से 8.02 लाख करोड़ रुपये की कमाई की है. सीतारमण ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2021 में ही सरकार को टैक्स से 3.71 लाख करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है.  

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सांसदों ने उठाया था मुद्दा

दरअसल, संसद में कुछ सांसदों ने पेट्रोल-डीजल के दामों पर सवाल उठाया और सरकार से पूछा कि इसे कम करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं. सासंदों ने यह भी पूछा कि सरकार को ईंधन बेचकर टैक्स के रूप में कितनी कमाई हुई है. इस पर केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले तीन वित्तीय वर्ष में सरकार को टैक्स से 8.02 लाख करोड़ रुपये की कमाई हुई है, जबकि केवल इसी वित्तीय वर्ष में 3.71 लाख करोड़ से ज्यादा का राजस्व प्राप्त हुआ है.

कच्चे तेल की कीमतों का हवाला 

इस साल 4 नवंबर को दिवाली से ठीक पहले सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में क्रमशः 5 रुपये और 10 रुपये प्रति लीटर की कमी की. इसके बाद कई राज्यों ने मूल्य वर्धित कर (वैट) में कटौती की घोषणा की. इसके बाद पेट्रोल-डीजल के चढ़ते दामों में थोड़ी गिरावट आई. हालांकि, अब ये पहले की तुलना में काफी ज्यादा हैं और इनके ज्यादा नीचे आने की कोई संभावना दिखाई नहीं देती. सरकार इसके लिए वैश्विक बाजारों में कच्चे तेल की कीमतों का हवाला देती आई है. सरकार ने संसद में कहा कि तेल निर्यात करने वाले देश मांग से कम सप्लाई कर रहे हैं, जिससे कि तेल की एक कृत्रिम कमी पैदा हुई है. डिमांड और सप्लाई के चलते ही तेलों के दाम में वृद्धि देखी जा रही है.

 

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