क्या आपको पता है कैसे होती है IAS की ट्रेनिंग और उन्हें क्या-क्या सिखाया जाता है?
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क्या आपको पता है कैसे होती है IAS की ट्रेनिंग और उन्हें क्या-क्या सिखाया जाता है?

यूपीएससी एग्जाम (UPSC Exam) को क्लियर करने के बाद ही कोई भी इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (IAS) अफसर बनता है, लेकिन क्या आपको पता है कि एक आईएएस अफसर की ट्रेनिंग कैसे होती है और उन्हें क्या-क्या सिखाया जाता है.

आईएएस अफसर रेनू राज (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन एग्जाम (UPSC Exam) को भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है और हर साल देशभर से लाखों छात्र इसमें शामिल होते हैं, लेकिन बहुत कम ही इसे क्लियर कर पाते हैं. इनमें से भी इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (IAS) अफसर बनने वालों की संख्या काफी कम होती है. आईएएस के लिए चुने जाने के बाद कैंडिडेट्स को कड़ी ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है, लेकिन क्या आपको पता है कि आईएएस अफसर की ट्रेनिंग कैसे होती है और उन्हें क्या-क्या सिखाया जाता है.

  1. फाउंडेशन कोर्स से होती है ट्रेनिंग की शुरुआत
  2. 3 महीने बाद शुरू होती है प्रोफेशनल ट्रेनिंग
  3. एक साल की ऑन जॉब प्रैक्टिकल ट्रेनिंग भी होती है

फाउंडेशन कोर्स से होती है ट्रेनिंग की शुरुआत

ट्रेनिंग की शुरुआत मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन (LBSNAA) में फाउंडेशन कोर्स से होती है, जिसमें आईएएस अफसर के लिए सेलेक्टेड कैंडिडेट्स के अलावा आईपीएस, आईएफएस और आईआरएस के लिए चुने गए अधिकारी भी शामिल होते हैं. इस कोर्स में बेसिक एडमिनिस्ट्रेटिव स्किल सिखाए जाते हैं, जिन्हें जानना हर सिविल सेवा अधिकारी के लिए जरूरी होता है. 

एकेडमी में ऐसा होता है पहला अनुभव

मीडियो रिपोर्ट्स के अनुसार एकेडमी में पहुंचते ही सबसे पहले आदर्श वाक्य (शीलं परम भूषणम्) देखने को मिलता है, जिसका मतलब है- आपका चरित्र ही आपका सबसे बड़ा गुण है. इसके बाद आईएएस का आदर्श वाक्य लिखा था-'योग: कर्मसु कौशलम्'. जिसका मतलब है- एक्शन में एक्सिलेंस ही योग है. अंदर एलबीएसएसएए का ध्येय वाक्य लिखा था- पिछड़े और वंचित व्यक्ति की सेवा. लोक सेवक का उद्देश्य भी यही होना चाहिए.

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कैंडिडेट्स से कराई जाती है खास एक्टिविटीज

एकेडमी के अंदर कुछ खास एक्टिविटीज कराई जाती हैं, जिसमें मेंटल और फिजिकल मजबूती के लिए हिमालय की कठिन ट्रैकिंग एक है. यह हर ट्रेनी के लिए जरूरी होती है. इसके अलावा सभी अफसरों के लिए इंडिया डे का आयोजन किया जाता है, जिसमें सभी को अपने-अपने राज्य की संस्कृति का प्रदर्शन करना होता है. इसमें सिविस सेवा अधिकारी पहनावे, लोक नृत्य या फिर खाने के जरिए देश की 'विविधता में एकता' दिखाते हैं.

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गांव में रहकर 7 दिन की ट्रेनिंग

सिविस सेवा अधिकारियों को विलेज विजिट की ट्रेनिंग भी दी जाती है और इस दौरान अफसरों को देश के किसी सुदूर गांव में जाकर 7 दिन रहना होता है. अधिकारी को गांव की जिंदगी के हर पहलू को बारीकी से समझने का मौका मिलता है. सिविस सेवा अधिकारी को गांव के लोगों के अनुभव और उनकी समस्याओं से सामना होता है, जिनमें गांव के स्कूल, अस्पताल, पंचायत, राशन की दुकान शामिल हैं.

3 महीने बाद शुरू होती है प्रोफेशनल ट्रेनिंग

3 महीने की फाउंडेशन ट्रेनिंग के बाद अन्य सिविस सेवा अधिकारी अपनी-अपनी एकेडमी में चले जाते हैं और सिर्फ आईएएएस ट्रेनी ही लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन (LBSNAA) में रह जाते हैं. इसके बाद आईएएस अधिकारी की प्रोफेशनल ट्रेनिंग शुरू होती है और इसमें एडमिस्ट्रेशन व गवर्नेंस के हर सेक्टर की जानकारी दी जाती है. प्रोफेशनल ट्रेनिंग के दौरान एजुकेशन, हेल्थ, एनर्जी, एग्रीकल्चर, इंडस्ट्री, रूरल डिवेलपमेंट, पंचायती राज, अर्बन डिवेलपमेंट, सोशल सेक्टर, वन, कानून-व्यवस्था, महिला एवं बाल विकास, ट्राइबल डिवेलपमेंट जैसे सेक्टर्स पर देश के जाने-माने एक्सपर्ट और सीनियर ब्यूरोक्रेट क्लास लेने आते हैं.

सिखाई जाती है स्थानीय भाषा

आईएएस ट्रेनिंग के दौरान अधिकारी को उस राज्य की भाषा भी सिखाई जाती है, जहां का कैडर उन्हें अलॉट किया जाता है. यह अनिवार्य होता है, क्योंकि अधिकारी के पास सैकड़ों लोग अपनी समस्याएं लेकर आते हैं, जो सिर्फ स्थानीय भाषा ही समझ और बोल पाते हैं. लोगों की दिक्कतों को समझने और उसे सुलझाने के लिए स्थानीय भाषा की जानकारी जरूरी है.

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भारत की विविधता को समझना

प्रोफेशनल ट्रेनिंग के दौरान विंटर स्टडी टूर होती है, जो 'भारत दर्शन' के नाम से ज्यादा मशहूर है. इस दौरान भारत की विविधता को समझने का मौका मिलता है. 2 महीने के विंटर स्टडी टूर के बाद फिर से एकेडमी में पढ़ाई होती है और प्रोफेशनल ट्रेनिंग के बाद एग्जाम होता है.

ऑन जॉब प्रैक्टिकल ट्रैनिंग

एक साल की एकेडमिक ट्रेनिंग और फिर फील्ड ट्रेनिंग के बाद जेएनयू की तरफ से पब्लिक मैनेजमेंट में मास्टर्स की डिग्री दी जाती है. एकेडमिक ट्रेनिंग के बाद आईएएस अधिकारी एक साल की ऑन जॉब प्रैक्टिकल ट्रेनिंग के लिए अपने कैडर के राज्य जाते हैं, जहां उन्हें स्टेट एडमिनिस्ट्रेटिव एकेडमी में राज्य के कानूनों, लैंड मैनेजमेंट आदि की ट्रेनिंग दी जाती है. इसके बाद हर ट्रेनी आईएएस को ऑन जॉब ट्रेनिंग के लिए किसी एक जिले में असिस्टेंट कलेक्टर और एग्जिक्यूटिव मैजिस्ट्रेट के रूप में भेजा जाता है, जहां कलेक्टर के अंदर एक साल की ट्रेनिंग होती है, जहां अधिकारी फील्ड की बारीकियों को सीखते हैं.

क्या काम करते हैं आईएएस अधिकारी?

आईएएस अधिकारी (IAS Officer) को इतनी सारी कड़ी ट्रेनिंग के बाद पोस्टिंग दी जाती है. उम्मीदवारों को IAS यानी भारतीय प्रशासनिक सेवा के माध्यम से देश के नौकरशाही ढांचे में काम करने का मौका मिलता है. आईएएस अधिकारी विभिन्न मंत्रालयों, प्रशासन के विभागों और जिले में नियुक्त किए जाते हैं. कैबिनेट सचिव एक आईएएस अधिकारी के लिए सबसे वरिष्ठ पद होता है.

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