दुनिया के बाकी देशों की तुलना में कोरोना वैक्सीनेशन के मामले में भारत की स्थिति बेहतर बताई जा रही है. इसका कारण पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार के समय रहते उठाए गए कदमों को दिया जा रहा है.
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नई दिल्ली: भारत (India) में कोरोना टीकाकरण का काम दुनिया के बाकी देशों की तुलना में काफी तेजी से चल रहा है. देश में प्रत्येक इंसान को वैक्सीन मिल सके, इस संबंध में पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने पिछले साल ही बाधा क्लियर कर दी थी. मई 2020 में अफसरों के साथ हाई लेवल बैठक में उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि वे निजी और सरकारी कंपनियों के बीच के अंतर को खत्म करें, जिससे सभी कंपनियां मिलकर ज्यादा से ज्यादा कोरोना वैक्सीन बनाने और उन्हें भारतीयों तक पहुंचाने में सफल हो सकें.
दुनिया में भारत का ‘Entrepreneurial State’ वाला यह रूप इससे पहले नहीं देखा था और यह सब संभव हुआ पीएम मोदी के प्रयासों से. उन्होंने अफसरों के साथ हुई बैठक में वैक्सीन के विकास में आने वाली सभी बाधाओं को हटाने का निर्देश दिया और सरकार को एक सुविधा प्रदाता तक सीमित कर दिया. इसका नतीजा आज पूरी दुनिया देख रही है, जब भारत कोरोना वैक्सीनेशन (Corona Vaccination) के मामले में रोज नए रिकॉर्ड बना रहा है.
पिछले साल कोरोना महामारी की शुरुआत होते ही पीएम मोदी के नेतृत्व में सरकारी मशीनरी सक्रिय हो गई थी. उन्होंने नेशनल हेल्थ एक्सपर्ट ग्रुप और अफसरों के साथ बैठक में वैक्सीन के बारे में भारत की रणनीति स्पष्ट कर दी. पीएम मोदी ने कहा कि देश को कोरोना टेस्टिंग फैसिलिटिी और PPE किट की निर्माण क्षमता बढ़ानी होगी. सरकार इस काम में लगी कंपनियों को निवेशक, खरीदार, सुविधा प्रदाता और मूल्यांकनकर्ता के रूप में पूरा सहयोग देगी.
उन्होंने अधिकारियों को सलाह दी कि वे केवल अपने रूटीन कार्यों तक ही सीमित न रहें बल्कि कोरोना वैक्सीन पर काम करने वाले वैज्ञानिकों और निर्माताओं की मदद के लिए आगे बढ़कर पहल करें. पीएम मोदी ने खुद वैक्सीन निर्माण में लगी तीन कंपनियों का दौरा किया और बाकी 3 कंपनियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करके टीके की प्रगति पर बात की. उन्होंने टीकों पर काम करने वाले वैज्ञानिकों और उद्यमियों से इस बात पर जोर दिया कि वे जितना जल्दी संभव हो सके, कोरोना वैक्सीन को बाजार में उतारें. जिससे भारतीयों का टीकाकरण किया जा सके.
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पीएम के दृष्टिकोण की वजह से कोरोना वैक्सीन बनाने के लिए सरकारी और निजी सेक्टर ने मिलकर काम किया. सरकार ने वैक्सीन निर्माताओं को वित्तीय सहायता प्रदान की. वायरस के आइसोलेशन, टेस्टिंग, प्री-क्लीनिकल और क्लीनिकल ट्रायल की सुविधा दी. वैक्सीन के अप्रूवल का रास्ता साफ किया. फिलहाल भारत बायोटेक एक महीने में एक करोड़ कोरोना वैक्सीन बना रही है. आने वाले कुछ महीनों में यह संख्या कई गुणा ज्यादा बढ़ जाएगी.
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