India Preparations Against China: भारत अब विस्तारवादी चीन को उसी की भाषा में जवाब देने के मूड में आ चुका है. हिंद महासागर में ड्रैगन के बुरे इरादों को कुचलने के लिए भारतीय नौसेना अपनी पनडुब्बियों में ऐसी तकनीक लगाने जा रही है, जिसके बाद चीनी जहाजों का टिकना मुश्किल हो जाएगा.
Trending Photos
Indian Navy preparations against China: अपनी मजबूत अर्थव्यवस्था और सैन्य ताकत के बल पर चीन (China) अब पूरी दुनिया पर राज करने के मंसूबे पाल रहा है. इसके चलते वह अपनी सेनाओं का भी लगातार विस्तार करता जा रहा है और उन्हें लगातार नए-नए हथियारों से लैस कर रहा है. दुनिया में चीन के बढ़ते खतरे को देखते हुए पश्चिमी देश तो एकजुट हो ही रहे हैं, वहीं भारत भी अपनी ओर से तैयारियों को बढ़ा रहा है. समुद्र में चीन को चुनौती देने के लिए भारतीय नौसेना (Indian Navy) ने API तकनीक से लैस पनडुब्बियों को हासिल करने का मन बना लिया है.
रक्षा खरीद परिषद के सामने रखा जाएगा प्रस्ताव
सूत्रों के मुताबिक फ्रांस के सहयोग से गोवा के मझगांव डॉक शिपयार्ड पर भारतीय नौसेना के लिए 3 अटैक पनडुब्बियों का निर्माण किया जा रहा है. अब इन्हीं तीनों पनडुब्बियों को API तकनीक से सुसज्जित करने की पहल की जाएगी. इसके लिए जल्द ही नेवी (Indian Navy) की ओर से प्रस्ताव बनाकर रक्षा खरीद परिषद के सामने रखा जाएगा. वहां से मंजूरी मिलने के बाद इन पनडुब्बियों को नवीन तकनीक से सज्जित करने का काम शुरू कर दिया जाएगा.
क्या है API टेक्नोलॉजी?
रक्षा जानकारों के मुताबिक API यानी Air-independent propulsion वह तकनीक होती है. जिसकी मदद से कोई भी गैर परमाणु पनडुब्बी वातावारण की ऑक्सीजन के बिना ऑपरेट कर सकती है. किसी भी सामान्य पनडुब्बी में यह तकनीक लगने के बाद वह बेहद ताकतवर हो जाती है और समुद्र की गहराइयों में महीनों तक रहकर दुश्मन का काम तमाम करने की काबलियत रखती हैं. यही वजह है कि अमेरिका, रूस, चीन, ऑस्ट्रेलिया समेत सभी देश इस पर अपना खर्च बढ़ा रहे हैं.
मझगांव डॉकयार्ड में बनाई जा रही पनडुब्बियां
नेवी (Indian Navy) सूत्रों के अनुसार गोवा के मझगाव डॉकयार्ड पर फ्रेंच स्कॉर्पियन क्लास की 6 पनडुब्बियों का निर्माण हो रहा है. भारत ने इन पनडुब्बियों को कलवरी क्लास नाम दिया है. इस प्रकार की छठी पनडुब्बी अगले साल मार्च में इंडियन नेवी को सौंप दी जाएगी. कलवरी क्लास के 3 पनडुब्बियों में API तकनीक लगाने का काम DRDO की ओर से किया जाएगा. जबकि उसमें टेस्टिंग फ्रांस करेगा. उस टेस्ट में पास होने के बाद यह तकनीक पनडुब्बी में फिट कर दी जाएगी.
चीन के पास पनडुब्बियों का बड़ा बेड़ा
अगर चीन (China) की बात की जाए तो उसके पस करीब 74 पनडुब्बियां बताई जाती हैं. हालांकि चीन ने खुद कभी इनकी असल संख्या का खुलासा नहीं किया है. इनमें डीजल और न्यूक्लियर पनडुब्बियां, दोनों शामिल हैं. जबकि भारत के पास करीब 20 से 25 पनडुब्बियों का बेड़ा है. भारतीय नौसेना (Indian Navy) अब इस गैप को तेजी से भरने की दिशा में काम कर रही है. इन पनडुब्बियों में ब्रह्मोस, अग्नि, टारपीडो जैसे खतरनाक हथियार फिट करके उन्हें चीन से मुकाबले के लिए संहारक बनाया जा रहा है.
हिंदी ख़बरों के लिए भारत की पहली पसंद ZeeHindi.com- सबसे पहले, सबसे आगे