Gogi Gang and Tillu Gang: गैंगस्टर गोगी की हत्या रोहिणी कोर्ट में सरेआम टिल्लू गैंग के बदमाशों ने कर दी, वहीं दूसरी ओर टिल्लू की हत्या गोगी गैंग के बदमाशों ने तिहाड़ में कर दी. इन दोनों गैंग की आपसी लड़ाई में कई मासूम लोगों की जान जा चुकी है. यहां हम जानेंगे आखिर कैसे दो दोस्त एक दूसरे की जान के प्यासे हो गए.
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Jitender Gogi Gang and Tillu Tajpuriya Gang: गैंगस्टर, गैंग, गैंगवार और दिल्ली का मुद्दा एक बार फिर गर्म है. इस बार इसके तापमान में बढ़ोत्तरी तिहाड़ में सुनील उर्फ टिल्लू नाम के गैंगस्टर की हत्या ने की है. इससे पहले टिल्लू के विरोधी गैंग का सरगना जितेन्द्र उर्फ गोगी कोर्ट में मारा गया था. ये दोनों हत्याएं बताती हैं कि गैंगस्टर किस कदर बेखौफ हैं. क्राइम की अंधेरी दुनिया में दिल्ली के गैंगस्टर, उनके गैंग और उनके बीच गैंगवार कैसे काम करता है. इसकी कहानी बड़ी लंबी है. हम एक-एक करके गैंग, गैंगस्टर और दो गैंग के बीच छिड़ी गैंगवार के बारे में बताएंगे. इस श्रृंखला की पहली कहानी जितेन्द्र उर्फ गोगी और सुनील उर्फ टिल्लू की है. वर्तमान में दोनों मारे जा चुके हैं. गोगी की हत्या रोहिणी कोर्ट में सरेआम टिल्लू गैंग के बदमाशों ने की. वहीं दूसरी ओर टिल्लू की हत्या गोगी गैंग के बदमाशों ने तिहाड़ में कर दी.
बचपन के गहरे दोस्त क्यों बने दुश्मन
गोगी और टिल्लू गैंग के बीच हुई दुश्मनी की पूरी सच्चाई जानने से पहले दोनों के गैंग को जान लीजिए. गोगी गैंग में करीब 60 सदस्य हैं. यह गैंग जबरन वसूली, सुपारी किलिंग, टोल आपरेटरों, शराब तस्कर, सट्टेबाजों से प्रोटेक्शन मनी की उगाही करता है. दूसरी तरफ टिल्लू गैंग में 30 सदस्य हैं. यह गैंग भी वही सारे काम करता है जिससे गोगी गैंग पैसे की उगाही करता था.
दोस्ती से दुश्मनी तक का सफर
जितेन्द्र उर्फ गोगी का जन्म 1991 में अलीपुर में हुआ था. वह अलीपुर का घोषित बदमाश है. सुनील उर्फ टिल्लू का जन्म 1989 में ताजपुर गांव में हुआ था. अलग-अलग जगहों के होने पर भी दोनो में दोस्ती थी. अक्सर दोनों साथ रहा करते थे. बचपन में एक-दूसरे के गहरे दोस्त रहे जितेन्द्र मान सिंह उर्फ गोगी और सुनील उर्फ टिल्लू ताजपुरिया ने दुश्मनी भी खूब निभाई. एक दशक से अधिक समय तक उन्होंने एक खूनी लड़ाई लड़ी, जिसने हरियाणा और राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों पर कईयों का खून बहाया. अब दोनों की मौत हो चुकी है, मगर दोनों गैंग के बीच छिड़ी बादशाहत की लड़ाई समाप्त होगी या और खतरनाक रूप लेगी इस पर पुलिस अधिकारी भी संशय में हैं. दोनों के बीच श्रद्धानंद कालेज चुनाव के समय झगड़ा शुरू हुआ था. 2010 में दिल्ली के कॉलेज में छात्रसंघ चुनाव के दौरान दोनों के बीच रंजिश की शुरुआत हुई. इसके बाद दोनों में वर्चस्व की जंग छिड़ गई जिसमें अभी तक 25 से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं. दोनो गैंग के सरगना भी मारे जा चुके हैं.
खूनी लड़ाई की शुरूआत
अलीपुर स्थित स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज में 2009 में छात्र संघ चुनाव की चहल-पहल थी. अध्यक्ष पद पर अलीपुर गांव के छात्र ने दावा ठोका तो जितेंद्र मान उर्फ गोगी उसके समर्थन में था. दूसरी तरफ ताजपुर गांव के सुनील उर्फ टिल्लू के कजन भाई ने भी प्रेजिडेंट पोस्ट के लिए ताल ठोक दी. गोगी और टिल्लू जिगरी यार थे. गोगी एथलीट और वॉलिबॉल खिलाड़ी, जिसका कॉलेज में अच्छा होल्ड था. टिल्लू ग्रुप ने गोगी के गांव के फर्स्ट ईयर के छात्र अरुण उर्फ कमांडो की पिटाई कर दी. इससे गोगी ग्रुप के उम्मीदवार ने चुनाव से नाम ही वापस ले लिया. आखिर में टिल्लू का कजन भाई जीत गया. यहीं से गोगी और टिल्लू के रास्ते अलग हो गए. कॉलेज से ग्रैजुएशन करते हुए गोगी ने अपना गैंग बना लिया.
छात्र संघ पर दबदबे की लड़ाई
गैंग बनाने के बाद गोगी छात्र संघ में अपना दबदबा चाहता था. लिहाजा 2010 में इसने विरोधी छात्र गुट के संदीप और रवींद्र पर फायरिंग कर दी. ये दोनों टिल्लू के करीबी थे. अलीपुर थाने में 2 सितंबर 2010 को दर्ज हुए कातिलाना हमले और आर्म्स एक्ट के इस केस में गोगी के अलावा अरुण कमांडो, रवि भारद्वाज उर्फ बंटी, दीपक उर्फ मोनू, कुनाल मान और सुनील मान नामजद हुए. धीरे-धीरे टिल्लू और गोगी के बीच दूरियां बढ़ती चली गईं लेकिन दोनों के बीच दबदबे के लिए गैंगवॉर का असल आगाज 2015 से हुआ. पुलिस अफसरों के मुताबिक, गोगी की एक दूर की बहन का अफेयर 2010-2011 से ताजपुर के दीपक उर्फ राजू से था. ये खुलेआम खुद को गोगी का जीजा कहता था और अलीपुर का दामाद बताता था. गोगी ने इन हरकतों को देख 2015 में दीपक उर्फ राजू का मर्डर कर दिया, जो टिल्लू का करीबी था. महेंद्रा पार्क थाने में 20 जनवरी 2015 को केस दर्ज हुआ.
शुरू हुआ गैंगवार
राजू हत्याकांड केस में योगेश उर्फ टुंडा, कुलदीप उर्फ फज्जा, दिनेश, रोहित और जरनैल उर्फ जैली को स्पेशल सेल ने अरेस्ट किया था. टिल्लू गैंग ने पलटवार कर गोगी के कॉलेज के साथी अरुण कमांडो और मंजीत को 24 फरवरी 2015 को मौत के घाट उतार दिया. टिल्लू और सोनू उर्फ दबंग अरेस्ट हुए. कमांडो मर्डर में निरंजन मास्टर गवाह था, जिसे टिल्लू ने सोनीपत के मुरथल में 23 अक्टूबर 2015 को मार दिया. गोगी ने बदला लेते हुए टिल्लू के करीबी सुमित उर्फ आलू की हत्या कर दी. इससे दोनों गैंग के बीच गैंगवॉर तेज हो गई. दूसरी तरफ, गोगी को पानीपत पुलिस ने 3 मार्च 2016 को गिरफ्तार किया. टिल्लू भी 2016 में पुलिस की पकड़ में आ गया.
कस्टडी से निकलकर मौत का खेल
गोगी को बहादुरगढ़ से 30 जुलाई 2016 को दिल्ली पुलिस कस्टडी से छुड़ा लिया गया. इसके बाद तो उसने कोहराम मचा दिया. टिल्लू के करीबी विकास आलू के भाई सुमित और देवेंद्र प्रधान की हत्या की. नवंबर 2017 में स्वरूप नगर में ताजपुर के टीचर दीपक बालियान उर्फ बंटी, जनवरी 2018 में प्रशांत विहार में अलीपुर के रवि भारद्वाज उर्फ बंटी, बुराड़ी में जून 2018 में टिल्लू के चार गुर्गों को मार दिया. नरेला में आप नेता वीरेंद्र मान को अक्टूबर 2019 में 26 गोलियां मारी. रोहिणी में 19 फरवरी 2020 को पवन अंचल पर 50 राउंड फायर किए.
ऐसे खत्म हुआ खूनी गैंगवार
गोगी को मार्च 2020 में स्पेशल सेल ने गुड़गांव से गिरफ्तार किया. कुलदीप फज्जा और रोहित मोई पकड़े गए. गैंग का काम चालू रहा, जिसने जुलाई 2020 में खेड़ाखुर्द गांव में रवि को मारा, जो प्रशांत विहार थाना में हुए रवि भारद्वाज मर्डर का गवाह था, वो तिहाड़ में गोगी की शिनाख्त के लिए गया था. टिल्लू गैंग ने 31 जुलाई 2021 को गोगी गैंग के प्रवेश के भाई नीतेश का रोहिणी में मर्डर कर दिया. आखिरकार टिल्लू ने नीरज बवानिया क्राइम सिंडिकेट से हाथ मिलाया और 24 सितंबर 2021 को रोहिणी कोर्ट में गोगी का कत्ल करवा दिया. इसके बाद से गोगी गैंग टिल्लू के खून का प्यासा था. अब टिल्लू का कत्ल हो गया, जिसके साथ ही अलीपुर के अल्हड़ों के वर्चस्व की जंग का खात्मा हो गया है.