जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) में तैनात जम्मू कश्मीर कैडर के IAS,IPS IFS अफसरों की नियुक्ति अब राज्य के बाहर भी हो सकेगी. सरकार ने पिछले साल इस संबंध में जारी अध्यादेश को कानून का रूप देने के लिए लोक सभा में विधेयक पेश कर दिया है.
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नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) में तैनात जम्मू कश्मीर कैडर के IAS,IPS IFS अफसरों की नियुक्ति अब राज्य के बाहर भी हो सकेगी. सरकार ने शनिवार को लोकसभा में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2021 (Jammu Kashmir Reorganization (Amendment) Bill, 2021) को चर्चा के लिए पेश किया. इस विधेयक में जम्मू कश्मीर कैडर के IAS,IPS IFS की तैनाती अब अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम, दिल्ली, चंडीगढ़ समेत अन्य केंद्रशासित प्रदेशों (AGMUT) भी हो सकेगी.
सरकार के मुताबिक यह विधेयक जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) अध्यादेश का स्थान लेगा, जो पिछले महीने जारी किया गया था. विधेयक के मुताबिक जम्मू कश्मीर और लद्दाख में अफसरों की सभी नियुक्तियां अब AGMUT कैडर से की जाएंगी. यह विधेयक राज्यसभा में पास हो चुका है.
विधेयक को लोकसभा में पेश करते हुए गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी (G. Kishan Reddy) ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) के नागरिकों का सपना पूरा किया है और दोनों राज्यों को विकास की ओर ले जाने का प्रयास जारी है. विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी (Adhir Ranjan Chowdhury) ने इसके लिए अध्यादेश लाये जाने पर आपत्ति जताई और कहा कि अगर नियमित अध्यादेश लाए जाएंगे तो संसदीय लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है. उन्होंने कहा कि अध्यादेश लाने चाहिए, लेकिन आपात स्थिति में. ऐसा लगता है कि संसदीय लोकतंत्र पर सरकार का भरोसा कम हो रहा है. इस दौरान गृह मंत्री अमित शाह सदन में उपस्थित थे.
अधीर रंजन चौधरी (Adhir Ranjan Chowdhury) ने कहा कि अनुच्छेद 370 को समाप्त करते हुए और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक को लागू करते हुए सरकार ने पूरे देश को हसीन सपने दिखाए थे. लोगों को कहा था कि इससे जम्मू कश्मीर में रोजगार, पर्यटन के अवसर आदि बढ़ेंगे और आतंकवाद खत्म हो जाएगा. लेकिन डेढ़ साल बाद भी राज्य में हालात सामान्य नहीं हैं और आतंकवादी की घटनाएं जारी हैं. वहां लोगों के अंदर डर का माहौल बना हुआ है.
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चौधरी (Adhir Ranjan Chowdhury) ने कहा कि विधेयक पारित होने के डेढ़ साल बाद जम्मू कश्मीर में दूसरे राज्यों के कैडर के प्रशासनिक, पुलिस अधिकारियों को लाने के लिए विधेयक लाया गया है. उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि सरकार ने बिना तैयारी के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाया था. कांग्रेस नेता ने कहा कि जम्मू कश्मीर में स्थानीय कैडर जरूरी हैं, क्योंकि वहां के नागरिक इस सरकार पर भरोसा नहीं करते. अधीर ने सुझाव दिया, ‘मेरा सुझाव है कि जम्मू कश्मीर में अधिक से अधिक स्थानीय अधिकारियों को तैनात करना वहां के प्रशासन के लिए अच्छा होगा.’ चौधरी ने कहा कि बाहरी कैडर के अधिकारियों के लिए भाषा, जमीनी स्थिति, संस्कृति आदि संबंधी कठिनाइयां भी होंगी.
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने कश्मीरी पंडितों की घाटी में वापसी कराने का आश्वासन दिया था लेकिन क्या आज तक एक भी कश्मीरी पंडित की वापसी हो सकी है. नेशनल कॉन्फ्रेंस के हसनैन मसूदी (Hasnain Masoodi) ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि पांच अगस्त 2019 को राज्य को दो हिस्सों में बांटने और अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को समाप्त करने के इस सरकार के फैसले एकतरफा थे और कश्मीर की जनता के खिलाफ ‘आक्रमण से कम नहीं थे’.उन्होंने कहा कि हम जायज तरीके से इनका विरोध करते रहेंगे. मसूदी ने कहा कि इसके विरोध में शीर्ष अदालत में याचिकाएं दाखिल की गई, जिन्हें सुनवाई के लिए स्वीकार कर संविधान पीठ को भेजा गया है.
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हसनैन मसूदी (Hasnain Masoodi) ने कहा कि मामला अदालत में विचाराधीन होने के बाद भी सरकार ने पहले कानून को लागू किया, जो संविधान का अपमान है. आज लाया गया विधेयक भी उस क्रियान्वयन प्रक्रिया का हिस्सा है. बीजेपी के सत्यपाल सिंह ने कहा कि इस विधेयक के लागू होने के बाद राज्य के अधिकारियों को पता चलेगा कि देश कैसे चलता है, विकास कैसे होता है. उन्होंने कहा कि राज्य में पिछले अनेक वर्षों में ‘नरसंहार’ की हजारों घटनाओं के बाद भी किसी को सजा नहीं मिली. इसलिए लोगों को स्वच्छ प्रशासन देने के लिए यह विधेयक जरूरी था.
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