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कोलकाता: फर्जी टीकाकरण (Fake Vaccination) अभियान मामले की जांच के लिए कोलकाता पुलिस (Kolkata Police) ने शुक्रवार को एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन कर दिया है. दरअसल, एक व्यक्ति खुद को आईएएस अधिकारी बताकर यह फर्जी टीकाकरण अभियान चला रहा था. इस मामले को लेकर राजनीति भी गरमा गई है और तृणमूल कांग्रेस-बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है. बीजेपी ने इसे केंद्र के खिलाफ बड़ी साजिश बताते हुए सीबीआई जांच कराने की मांग की है.
आरोपी देबांजन देब (28) को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है. इसके बाद से ही आरोपी के कई ऐसे फोटो-वीडियो सामने आए हैं, जिनमें वह कथित तौर पर वह टीएमसी के नेताओं और मंत्रियों के साथ नजर आ रहा है. हालांकि तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व ने मामले में किसी भी प्रकार की संलिप्तता से इनकार किया है.
कोलकाता पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हमने मामले की जांच के लिए खुफिया विभाग के अधिकारियों के साथ एसआईटी का गठन किया है. ऐसा लगता है कि आरोपी ने कई लोगों को यह बताकर भी ठगा है कि वह कई विकास परियोजनाओं का प्रभारी है.'
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) ने दावा किया है कि यह TMC की एक साजिश है. उन्होंने कहा, 'पश्चिम बंगाल सरकार और सत्ताधारी पार्टी ने केंद्र को फंसाने के लिए एक बड़ी साजिश रची है. वे विवादित पहचान वाले लोगों को शिविर आयोजित करने में मदद कर रहे हैं, जहां नरेंद्र मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए नकली टीके दिए गए थे. यदि किसी टीके का लोगों पर प्रतिकूल असर पड़ता है, तो टीएमसी नकली टीके उपलब्ध कराने के लिए केंद्र को दोषी ठहराएगी. यह एक बड़ी साजिश है. सीबीआई जैसी बड़ी एजेंसी ही सच्चाई सामने ला सकती है.'
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बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को पत्र लिखकर कोलकाता के फर्जी वैक्सीन अभियान मामले की जांच केंद्रीय एजेंसियों से कराने की मांग की है. इस पत्र को ट्विटर पर शेयर करते हुए बीजेपी की आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने लिखा, 'पश्चिम बंगाल में टीकाकरण अभियान किसी तमाशे से कम नहीं है. टीकों के लिए कूपन बिक्री के बाद, सरकारी अस्पतालों से शीशियों की चोरी के बाद अब धोखेबाज लोग सत्तारूढ़ टीएमसी के प्रभावशाली सदस्यों के संरक्षण में अवैध टीकाकरण शिविर आयोजित कर रहे हैं. न रजिस्ट्रेशन, न सर्टिफिकेट...'
In West Bengal, vaccination drive is nothing short of a farce. After coupon sale for vaccines, theft of vials from government facilities, now fraudsters, patronised by influential members of the ruling TMC, are holding illegal vaccination camps. No registration, no certificates… pic.twitter.com/4XDumLO5Ae
— Amit Malviya (@amitmalviya) June 26, 2021
सत्तारूढ़ टीएमसी ने आरोपों को बेबुनियाद और राजनीति से प्रेरित करार दिया है.
टीएमसी के वरिष्ठ नेता तापस रे ने कहा, 'यदि सिर्फ एक तस्वीर से किसी को दोषी साबित किया जाता है, तो कई BJP नेताओं को घोटालेबाजों के साथ फोटो खिंचवाने के लिए सलाखों के पीछे डाल दिया जाना चाहिए. इस मामले में पुलिस ने मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है और वह सच्चाई का खुलासा कर देगी.'
बता दें कि देब ने फर्जी शिविर लगाकर करीब 2000 लोगों का वैक्सीनेशन किया था. इस शिविर में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की सांसद मिमी चक्रवर्ती ने भी टीकाकरण कराया था. जब वैक्सीनेशन के बाद उन्हें एसएमएस नहीं आया तो उन्हें टीकाकरण की प्रक्रिया पर संदेह हुआ और उन्होंने इसकी शिकायत पुलिस में की. इसके बाद पुलिस ने टीकाकरण शिविर से एंटीबायोटिक टीके एमीकेसिन की कई शीशियां बरामद की थीं.
कोलकाता पुलिस के एक अधिकारी ने शुरुआती जांच के आधार पर बताया कि गिरफ्तार फर्जी आईएएस अधिकारी देबंजान देब 4 महीने से खुद को कोलकाता नगर निगम का जॉइंट अधिकारी बताकर ठेका दिलाने का नामम पर लोगों से ठगी कर रहा था. यहां तक कि उसने अपने परिवार को भी यही बताया हुआ था कि वह भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) का अधिकारी बन गया है.
पुलिस का अनुमान है कि उसने धोखाधड़ी से कमाए पैसों का उपयोग फर्जी कोविड-19 टीकाकरण शिविर लगाने, कर्मचारियों को वेतन देने और ऑफिस का किराया देने में किया. वह देब संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी कर रहा था और 2018 में उसने अपने पिता और रिश्तेदारों को बताया कि उसने परीक्षा पास कर ली है और आईएएस अधिकारी बन गया है.