Leader of Opposition: राहुल गांधी बनेंगे नेता प्रतिपक्ष? कैबिनेट मंत्री का होता है दर्जा; शक्तियां और सुविधाएं भी जान लीजिए
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Leader of Opposition: राहुल गांधी बनेंगे नेता प्रतिपक्ष? कैबिनेट मंत्री का होता है दर्जा; शक्तियां और सुविधाएं भी जान लीजिए

Leader of Opposition: नेता प्रतिपक्ष को कई अधिकार मिलते हैं और यह पद काफी शक्तिशाली होता है. नेता प्रतिपक्ष को लोकसभा में प्रधानमंत्री के बराबर तरजीह मिलती है और उसका दर्जा एक कैबिनेट मंत्री के बराबर होता है.

Leader of Opposition: राहुल गांधी बनेंगे नेता प्रतिपक्ष? कैबिनेट मंत्री का होता है दर्जा; शक्तियां और सुविधाएं भी जान लीजिए

Leader of Opposition Rights and Powers: देश में तीसरी बार मोदी सरकार बनने के बाद अब स्पीकर उम्मीदवार का चयन होना बाकी है. 24 जून से संसद का विशेष सत्र बुलाया जाएगा. इस विशेष सत्र में 24 और 25 जून को नए सांसदों का शपथ ग्रहण समारोह हो सकता है, जबकि 26 जून को लोकसभा स्पीकर का चुनाव हो सकता है. इसके साथ ही नेता प्रतिपक्ष (Leader of Opposition) पद की भी औपचारिक बहाली होगी. इस बार 99 सीटें जीतने वाली कांग्रेस के पास नेता प्रतिपक्ष का पद आएगा. बता दें कि 19 साल बाद नेता प्रतिपक्ष (एलओपी) पद के लिए इस बार औपचारिक बहाली होगी.

राहुल गांधी बन सकते है नेता प्रतिपक्ष

कांग्रेस पार्टी ने इस बार चुनाव में 99 सीटों पर जीत दर्ज की है और दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है. इसके साथ ही एक निर्दलीय सांसद के समर्थन के बाद कांग्रेस की संख्या 100 पहुंच गई है और पार्टी के पास इस बार नेता प्रतिपक्ष (Leader of Opposition) का पद आएगा. कांग्रेस कार्य समिति ने राहुल गांधी को नेता प्रतिपक्ष बनाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया है और अगरराहुल इसे स्वीकार कर लेते हैं तो वो अगले नेता प्रतिपक्ष होंगे.

10 साल से लोकसभा में क्यों नहीं थे नेता प्रतिपक्ष?

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष (Leader of Opposition) का पद पान के लिए किसी पार्टी के पास 10 प्रतिशत यानी 55 सीटें चाहिए, लेकिन साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में किसी पार्टी इतनी संख्या नहीं मिली थी. इस वजह से नेता प्रतिपक्ष का पद 10 सालों तक खाली रहा था. 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 44 सीटों पर जीत दर्ज की थी और मल्लिकार्जुन खरगे कांग्रेस संसदीय दल के नेता थे, लेकिन उन्हें नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं था. वहीं, 2019 के चुनाव में 52 सीट जीतने वाले कांग्रेस के संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी चुने गए थे, लेकि उन्हें भी नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं मिला था.

कैबिनेट मंत्री के बराबर होता है दर्जा

नेता प्रतिपक्ष को कई अधिकार मिलते हैं और यह पद काफी शक्तिशाली होता है. नेता प्रतिपक्ष का दर्जा एक कैबिनेट मंत्री के बराबर होता है. सदन के नेता यानी पीएम के बराबर ही नेता प्रतिपक्ष को तरजीह मिलती है. कैबिनेट मंत्री की तरह ही नेता प्रतिपक्ष को सैलरी, अन्य भत्ते और सुविधाएं मिलती हैं. रिपोर्ट के अनुसार, नेता प्रतिपक्ष को हर महीने 3.30 लाख रुपये, एक हजार का सत्कार भत्ता, कैबिनेट मंत्री के लेवल का घर, कार और ड्राइवर के अलावा सुरक्षा सुविधाएं मिलती हैं. इसके अलावा नेता प्रतिपक्ष को करीब 14 स्टाफ भी मिलते हैं, जिसका पूरा खर्च सरकार उठाती है.

नेता प्रतिपक्ष के क्या अधिकार है?

अगर सदन में कई सदस्य अलग-अलग बातें बोल रहे हों, लेकिन इस दौरान नेता प्रतिपक्ष खड़े हो जाएं तो स्पीकर बाकी सबको अनसुना कर नेता प्रतिपक्ष को हस्तक्षेप करने की अनुमति देते हैं. नेता प्रतिपक्ष के पास बिना नोटिस दिए सदन में कभी भी हस्तक्षेप करने का अधिकार होता है, जबकि बाकी सदस्य ऐसा नहीं कर सकते हैं.

नेता प्रतिपक्ष को मिलती हैं क्या-क्या शक्तियां?

संसद में विभित्र कक्षों के बंटवारे के समय लोकसभा सचिवालय नेता प्रतिपक्ष की राय लेता है. इसके साथ ही सदन के भीतर प्रतिपक्ष के अगली और दूसरी लाइन में कौन-कौन बैठेगा, इस बारे में भी नेता प्रतिपक्ष से राय ली जाती है. नेता प्रतिपक्ष को चुनाव आयुक्तों, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, केंद्रीय सूचना आयोग, सीवीसी और सीबीआई के प्रमुखों की नियुक्ति करने वाली कमेटी में शामिल किया जाता है. आमतौर पर नेता प्रतिपक्ष को ही लोकसभा की लोक लेखा समिति का अध्यक्ष बनाया जाता है और इस समिति के पास पीएम तक को तलब करने का अधिकार होता है.

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