Chhattisgarh Vidhan Sabha Chunav 2023: छत्तीसगढ़ में चुनावों के ऐलान के साथ ही स्थानीय स्तर पर लोग इसका बहिष्कार भी करने लगे हैं. ताजा मामला कोरबा का आया है. जहां राष्ट्रपति के दत्तक कोरवा जनजाती के लोग चुनाव का बहिष्कार कर रहे हैं. जानिए आखिर क्यों इन्होंने लगाया विरोध का पिस्टर.
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CG Assembly Election 2023: सत्ता में बैठकर कोई भी सरकार विकास और खुशहाली के लाख दावे कर लें, लेकिन चुनाव नजदीक आते ही मतदाता उन तमाम दावों का हिसाब मांगने लगते हैं, जो जनप्रतिनिधियों द्वारा किये गए है. लोकतंत्र में अपने मत की ताकत दिखाने वाले ग्राम पंचायत के राकछार के आश्रित गांव बगदरीढांड और सरीडीह से एक ऐसी ही तस्वीर सामने आई है, जो हकीकत को आईना दिखाने वाली है. यहां राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र पहाड़ी कोरवा जनजाति निवास करती है, जिन्हें आजादी के इतने साल बाद भी मूलभूत सुविधाएं नही मिल पाई हैं. इसको लेकर पहाड़ी कोरवाओं ने चुनाव बहिष्कार का ऐलान कर दिया है.
कोरबा जिला मुख्यालय से महज 25-30 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम पंचायत केराकछार के आश्रित वनग्रामों में राहत की कोई ऐसी सडक नहीं बन पाई जिससे होकर सरकार की योजनाएं यहां पहुंच सके. खैर भवना, लाल माटी, डाबाडांड, बगदरीढांड, सरीडीह, केराकछार आजाद भारत के ऐसे गांव हैं जहां वर्षों बाद भी मूलभूत सुविधाओं का निहायत अभाव है. हर पांच साल बाद वादे और घोषणाओं के सब्जबाग देखकर उकताए पहाड़ी कोरवा जनजाति ने चुनाव बहिष्कार का ऐलान कर दिया है. कोरवा जनजाति के लोगों ने पोस्टर लगाया है.
ग्रामीणों ने लगाए पोस्टर
सालों से उपेक्षा का दंश झेल रहे कोरबा विकासखंड के ग्राम पंचायत केराकछार में रहने वाले कोरवा जनजाति के लोग इस बार चुनाव बहिष्कार की तैयारी कर रहे हैं. इन्होंने गांव में पाम्पलेट चिपकाए हैं. गांव के प्रवेश द्वार पर एक पोस्टर भी चुनाव बहिष्कार को लेकर लटकाया गया है. ताकि आने-जाने वाले लोगों को यह जानकारी मिले कि पहाड़ी कोरवाओं के इस गांव में बिजली, पानी और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही है. सुविधाएं न मिलने से नाराज कोरवा जनजाति इस बार चुनाव में वोट नहीं डालेंगे.
70 साल बाद भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव
इस ग्राम पंचायत में पहाड़ी कोरवा और आदिवासी आबादी की बहुतायत है. गांव के लोग अपनी समस्या और मांग लेकर जिला मुख्यालय तक जाते रहे, बावजूद सुनवाई नहीं हुई. अब आचार संहिता ने उनकी सरकारी दफतर तक पहुंच पर पहरा लगा दिया. महिलाएं और पुरुष सुगम सड़क और बिजली की मांग रहे हैं. तो नई पीढ़ी मोबाईल कनेक्टिविटी के लिए टावर की मांग कर रही है. ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं से महरूम है. ग्रामीण बंधन सिंह ने बताया कि 70 साल आजादी के बावजूद जनप्रतिनिधियों की अनदेखी की वजह से गांव का विकास नहीं हो पाया है. पानी, बिजली की समस्या से आज भी उन्हें जूझना पड़ता है.
रिपोर्ट: नीलम दास, कोरबा