28 सीटों का Analysis: पोहरी सीटः धाकड़ समाज करता है डॉमिनेट, आदिवासी दिलाता है चुनाव में जीत
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28 सीटों का Analysis: पोहरी सीटः धाकड़ समाज करता है डॉमिनेट, आदिवासी दिलाता है चुनाव में जीत

धाकड़ समाज द्वारा डॉमिनेट की जाने वाली पोहरी सीट के लोग, अपने ही समाज के उम्मीदवार सुरेश धाकड़ के पार्टी बदलने से नाराज है. जिसका नुकसान उन्हें आने वाले उपचुनाव में देखने को मिल सकता है

28 सीटों का Analysis: पोहरी सीटः धाकड़ समाज करता है डॉमिनेट, आदिवासी दिलाता है चुनाव में जीत

विवेक पटैया/भोपाल: मध्यप्रदेश में उपचुनाव का ऐलान हो गया है. राजनीतिक दलों ने अपनी कमर कस ली है. ग्वालियर चंबल इलाके में सबसे ज्यादा 16 सीट हैं इन पर सभी की नजर है. यहां ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. इन उपचुनावों में स्थानीय मुद्दे, जातियां, लॉयल वोटर्स, नेताओं की पकड़ सभी की परीक्षा होगी.हम आपको इन्हीं बिंदुओं के आधार पर एक-एक सीट का हाल बता रहे है. आज की सीट है पोहरी सीट...

  1. मध्य प्रदेश में 28 सीटों पर उपचुनाव होना है. 
  2. 3 नवंबर को चुनाव है. 
  3. 10 नवंबर को सभी 28 सीटों के नतीजे घोषित कर दिए जाएंगे.
  4. ग्वालियर-चंबल की 16 सीटों को सबसे महत्तवपूर्ण माना जा रहा है.

सीट का नाम -              पौहारी जिला शिवपुरी                 विधानसभा सीट न.  24
वोटर्स - 2,15,685           पुरुष - 1,16,410                      महिला - 99,271

शिवपुरी जिले की पोहरी विधानसभा क्षेत्र आदिवासी बहुल इलाका है. 1811 में बने पोहरी के अद्भुत जल मंदिर की भी अलग ही कहानी है. यहां का किला 2100 साल पुराना है तो वहीं मौसम कोई भी हो, यहां के कुंड में पानी की कमी का कोई चांस नहीं है. यहां के कुंड के ऊपर दिखते तीन मंदिरों के नीचे भी एक मंदिर है, मंदिर में शिव और गणेश के अलावा मुख्य द्वार पर राधा कृष्ण भी विराजमान हैं. यहां फिल्मों की शूटिंग भी की जा चुकी है.   

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राजनीतिक समीकरण
यहां कांग्रेस 1993 के बाद से जीत दर्ज नहीं कर कर सकी थी, लेकिन पिछल बार 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी. लेकिन वो भी 15 महीने ही टिक सकी. इससे पहले 1998, 2003, 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के शिवपुरी जिले से जातिगत राजनीती का प्रतीक पोहरी की इस सीट पर जीत नसीब नहीं हो सकी.

विधानसभा क्षेत्र की प्रमुख जातियां-
जातियां- आदिवासी, कुश्वाह, धाकड़, अन्य जातियां

धाकड़- किरार समाज यहां 42 हजार वोटर्स बनाते हैं, इनके अलावा वैश्य के 5 से 6 हजार वोटर्स रहते है. तो वहीं राठौर समाज के भी 4 हजार वोटर्स रहते हैं. 
आदिवासी- यहां के आदिवासी वोटर्स के 31 से 32 हजार वोटर्स रहते है और रावत समाज के 8 से 10 हजार वोटर्स रहते हैं. 
कुश्वाह- कुश्वाह और यादव समाज के यहां क्रमशः 19 हजार और 16 हजार वोटर्स है.  
अन्य जातियां- शिवपुरी की पोहरी विधानसभा सीट पर हरिजन के 18 से 20 हजार वोटर्स, मु्स्लिम के 6 से 7 हजार, गडरिया, गुर्जर और औझा मिलकर 15 से 18 हजार वोटर होते हैं. 
ब्राह्मण/ठाकुर- ब्राह्मण और ठाकुर समाज के यहां क्रमशः 15 हजार और 8 हजार वोटर्स होते हैं. 

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मुद्दे- कृषि प्रधान इस क्षेत्र में बिजली और पानी की समस्या देश के हर गांव की तरह बनी हुई है. तो यहां के युवा वर्ग बाकी युवाओं की तरह ही रोजगार की सख्त तलाश है. जिस वजह से वे क्षेत्र के नेताओं से नाराज रहते हैं. कृषि क्षेत्र में सिंचाई का पानी नहीं होने की वजह से खेतीहर को बेहद दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. 

क्षेत्र की सड़कों की हालत अत्यंत दयनीय है, यहां के प्रमुख शहर और कस्बों, जिनमें पोहरी, बैराड़, छर्च, भटनावर, सतनवाड़ा है. इन सभी इलाकों में सड़कों की हालत खस्ता है, तो वहीं जिस पार्टी ने किसानों की पानी की समस्या को दूर कर दिया वो यहां की विधानसभा सीट पर जीत हासिल कर सकता है

धाकड़ और यादव है बड़ी संख्या में
पोहरी में धाकड़ समाज और यादव समाज मिलकर 60 से 65 हजार वोटर्स बनाते है, जो कुश्वाह समाज के साथ बसपा के कैलाश कुश्वाह को वोट देने के समर्थन में है. इन्हीं के वोटों की बदौलत बसपा के कैलाश कुश्वाह ने पिछले चुनाव में यहां 52 हजार से ज्यादा वोट प्राप्त कर दूसरा स्थान हासिल किया था. 

एससी एसटी है बीजेपी के लिए समस्या
पोहरी विधानसभा धाकड़ समाज के बाद आदिवासी और अनुसूचित जाति के वोटर्स द्वारा डोमिनेट की जाती है. जो पारंपरिक रूप से कांग्रेस का समर्थन करते हैं. इन्हीं वोटर्स ने पिछले चुनाव में कांग्रेस के सुरेश धाकड़ को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी. 

कुश्वाह बिरादरी ने दिए है बीजेपी को वोट
परंपरागत रूप से पोहरी के कुश्वाह बीजेपी को वोट देते आए हैं. लेकिन पिछले चुनाव में बसपा के कैलाश कुश्वाह ने इन वोटों को भी बांटकर बीजेपी से साथ छोड़ना शुरू कर दिया था. जिसका नुकसान बीजेपी को हुआ और वोट बंटने से कांग्रेस के उम्मीदवार को जीत मिल गई.

बीजेपी को है ब्राह्मण, धाकड़ वोटर्स साधने की चुनौती
कांग्रेस के सुरेश धाकड़ के बीजेपी में आने के बाद, यहां के डोमिनेट करने वाले वोटर्स यानी कि धाकड़ समाज के वोटर्स बीजेपी की ओर झुक सकते हैं. इनके अलावा ब्राह्मण, ठाकुर, यादव, गुर्जर और निर्णायक आदिवासी वोटर्स से पार पाना बीजेपी के लिए चुनौती रहने वाली है. 

पोहरी की विधानसभा सीट पर धाकड़ जाति के वोटों को चुनाव में जीत दिलाने वाला माना जाता है. पिछले चुनाव में कांग्रेस से जीत दर्ज करने वाले सुरेश धाकड़ जो अब बीजेपी में शामिल हो चुके है, उन्हें इस सीट पर धाकड़ वोटर्स का सपोर्ट रहेगा. लेकिन बीजेपी में चले जाने की वजह से धाकड़ समाज का एक वर्ग सुरेश धाकड़ से नाराज है, जो आदिवासी वोटर्स के साथ कांग्रेस को वोट देने की ओर जा सकते हैं.

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इस सीट पर कांग्रेस-बीजेपी की ताकत व मुश्किलें 

कांग्रेस की ताकतः पिछली बार कांग्रेस से जीत दर्ज करने वाले सुरेश धाकड़ से जनता अपने पिछले काम का हिसाब मांग रही है. इसी को मोहरा बनाकर कांग्रेस अपने उम्मीदवार हरिवल्लभ शुक्ला के लिए वोट निकाल सकती है. 

कांग्रेस की कमजोरीः कांग्रेस की कमजोरी भी हरिवल्लभ शुक्ला ही हो सकती है. क्योंकि धाकड़ बहुल वोटर्स से ब्राह्मण उम्मीदवार के लिए वोट जुटाना एक चुनौती साबित हो सकती है. 

बीजेपी की ताकतः पोहरी सीट धाकड़ बहुल होने की वजह से बीजेपी के नए उम्मीदवार सुरेश धाकड़ को सफलता मिल सकती है. पोहरी की सीट पर इससे पहले भी बीजेपी ही हावी रही है, एक तरह से इस सीट को बीजेपी का गढ़ भी करह सकते हैं. 

बीजेपी की चुनौतीः बीजेपी के 2018 चुनाव के उम्मीदवार प्रहलाद भारती पोहरी की सीट पर 2013 और 2008 में विधायक रहे थे. जो इस बार होने वाले उपचुनाव से दूरी बनाए हुए है, जिसका नुकसान पार्टी को प्रहलाद भारती के वोट गंवाकर चुकाना पड़ सकता है. 

कौनसे नेता है मैदान में?
भाजपा- कांग्रेस से बीजेपी में शामिल होने वाले लोक निर्माण राज्य मंत्री सुरेश धाकड़ मैदान में है. हालांकि बीजेपी ने अधिकारिक पुष्टि नहीं की है, लेकिन इस वक्त पोहरी सीट पर बीजेपी के सबसे मजबूत उम्मीदवार है.

कांग्रेस- कांग्रेस के प्रत्याशी का बीजेपी में शामिल होने के बाद उन्हें इस सीट पर परेशानी का सामना करना पड़ा. और अब हरिवल्लभ शुक्ला को कांग्रेस ने अपने पोहरी विधानसभा सीट पर प्रत्याशी के रूप में उतारा है. 

बसपा- उपचुनाव में अक्सर न उतरने वाली बसपा ने इस बार 28 सीटों पर होने वाले उपचुनाव को देखते हुए 18 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे है. पोहरी विधानसभा सीट पर पिछले चु्नाव में बसपा दूसरे नंबर पर रहने वाले कैलाश कु्श्वाह को मैदान में उतारा है. 

पिछले चुनावों में क्या परिणाम रहा?

पोहरी विधानसभा चुनाव -2018 
2018 विधानसभा चुनाव में इस सीट पर 75.42 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. तब कांग्रेस के सुरेश धाकड़ ने 37.06 प्रतिशत वोट हासिल कर जीत प्राप्त की थी. बसपा के कैलाश कुश्वाह 32.22 प्रतिशत वोट जीत कर दूसरे स्थान पर रहे थे. तो वहीं बीजेपी उम्मीदवार प्रहलाद भारती को 22.77 प्रतिशत वोट मिले थे. सुरेश धाकड़ और प्रहलाद भारती के बीच जीत का अंतर महज 7,918 वोटों का ही था.

पोहरी विधानसभा चुनाव - 2013
2013 में 1,52,934 लोगों ने 73.41 प्रतिशत वोटिंग की थी, तब बीजेपी के प्रहलाद भारती ने 34.70 प्रतिशत वोट हासिल कर जीत प्राप्त की थी. कांग्रेस के हरिवल्लभ शुक्ला दूसरे और बसपा के लखन सिंह बघेल तीसरे स्थान पर रहे थे. 

पोहरी विधनसभा चुनाव-2008
2008 में 73.78 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. जहां के बीजेपी के प्रहलाद भारती ने 35.59 प्रतिशत वोट हासिल कर चुनाव में जीत दर्ज की थी. प्रहलाद भारती और कांग्रेस के हरिवल्लभ शुक्ला के बीच जीत का अंतर 19390 वोटों का था.  

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