कोरोना की वजह से सरकारी कर्मचारियों पर गिरी एक और गाज, इस साल नहीं मिलेगा इन्क्रीमेंट
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कोरोना की वजह से सरकारी कर्मचारियों पर गिरी एक और गाज, इस साल नहीं मिलेगा इन्क्रीमेंट

कोरोना महामारी का सरकारी खजाने पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा है, नतीजतन इन्क्रीमेंट को फिलहाल छह महीने के लिए टाला जा रहा है. हालांकि, काल्पनिक आदेश निकालकर कर्मचारियों और अधिकारियों को इसकी अदायगी की संभावना बनी रहेगी. 

मध्य प्रदेश सचिवालय.

भोपाल: मध्य प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के लिए एक और बुरी खबर है. इस साल उन्हें इन्क्रीमेंट नहीं मिलेगा. वित्त विभाग ने बाकायदा आदेश जारी करके कहा है कि इन्क्रीमेंट काल्पनिक दिया जाएगा. कोरोना के हालात सामान्य होने के बाद इस काल्पनिक इन्क्रीमेंट की वास्तविक अदायगी की जाएगी. यह आदेश 1 जुलाई 2020 से 1 जनवरी 2021 तक लागू रहेगा. 

मध्य प्रदेश वित्त विभाग ने काल्पनिक इन्क्रीमेंट की वजह भी बताई है. आदेश में कहा गया है कि कोरोना महामारी की वजह से राजस्व प्राप्ति प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. इसलिए ऐसे आदेश निकाले जा रहे हैं. कोरोना महामारी का सरकारी खजाने पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा है, नतीजतन इन्क्रीमेंट को फिलहाल छह महीने के लिए टाला जा रहा है. हालांकि, काल्पनिक आदेश निकालकर कर्मचारियों और अधिकारियों को इसकी अदायगी की संभावना बनी रहेगी.

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आदेश में ही कहा गया है कि हालात सामान्य होने के बाद इसकी वास्तविक अदायगी की जाएगी. इस दौरान यदि कोई कर्मचारी रिटायर होता है या उसकी मृत्यु होती है तो इन्क्रीमेंट भुगतान किया जा सकेगा. इसी तरह प्रमोशन में भी काल्पनिक इन्क्रीमेंट को शामिल किया जाएगा. इस आदेश की जद में मध्य प्रदेश के करीब 10 लाख कर्मचारी-अधिकारी आ रहे हैं.  

सरकार के इस फैसले की वजह से कर्मचारियों को इन्क्रीमेंट के साथ एरियर की राशि भी नहीं मिल सकेगी. प्रदेश के कर्मचारियों को जुलाई 2020 से 3.3 प्रतिशत इनक्रीमेंट दिया जाना था. जिससे खजाने पर करीब 900 करोड़ रुपए का भार पड़ता. कर्मचारियों को इससे तकरीबन 4 हजार रुपए के आसपास हर महीने का नुकसान होगा. बता दें कि सरकार ने पहले ही महंगाई भत्ते को रोक रखा है.

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खजाने की हालत है खराब 
एमपी सरकार को आबकारी टैक्स से बड़ा राजस्व प्राप्त होता है. इसके अलावा पेट्रोल-ड़ीजल और ट्रांसपोर्ट जैसे विभागों के जरिए भी आय होती है. लेकिन कोरोना महामारी के चलते सरकार की आमदनी में 38 से 42 फीसदी की कमी आई है. हालांकि विकास कार्य नहीं होने से खर्च भी कम हुए हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग का खर्च अचानक बढ़ गया है. 

प्रवासी मजदूरों और किसानों समेत गरीबों के लिए योजनाओं के जरिए सरकार के दूसरे खर्चे बढ़े हैं. इसलिए सरकार को अब कटौती के नए रास्ते अपनाने पड़ रहे हैं. बता दें कि पर्यटन विकास निगम को भी घाटे का सामना करना पड़ा है. पर्यटन विकास निगम अपने कर्मचारियों के वेतन में 30 से लेकर 40 फीसदी तक की कटौती का आदेश जारी कर चुका है.

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दरअसल, कोरोना वायरस की वजह से सरकार को पेट्रोल-डीजल, आबकारी, ट्रांसपोर्ट सहित अन्य विभागों से मिलने वाले राजस्व में 40 प्रतिशत से ज्यादा कमी आई है. साथ ही राज्य सरकार को 2 महीनों के दौरान मदद भी नहीं मिली. इसके अलावा सत्ता में आने के बाद शिवराज सरकार पहले ही 4500 करोड़ का लोन खुले बाजार से ले चुकी है.

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