मुश्ताक और उनका परिवार पिछले 20 सालों से न सिर्फ अपने गांव बल्कि आसपास के गांवों के लोगों की प्यास बुझाने का काम निःशुल्क और निःस्वार्थ भाव से कर रहे हैं.
- संदीप मिश्रा/डिंडौरीः एक तरफ जहां मध्यप्रदेश में जलसंकट को लेकर हाहाकार मचा हुआ है, पानी के लिये लोग मरने और मारने पर उतारू हैं, वहीं आदिवासी बाहुल्य डिंडौरी जिले में एक शख्श ऐसा भी है जो जलसंकट से जूझ रहे ग्रामीणों के घर-घर जाकर प्रतिदिन सैंकड़ों लीटर पानी मुफ्त में बांटता है. जी हां हम बात कर रहे हैं मेंहदवानी गांव के रहने वाले मुश्ताक खान की जिन्हें स्थानीय लोग पानी वाले भाईजान के नाम से जानते हैं. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि मुश्ताक और उनका परिवार पिछले 20 सालों से न सिर्फ अपने गांव बल्कि आसपास के गांवों के लोगों की प्यास बुझाने का काम निःशुल्क और निःस्वार्थ भाव से कर रहे हैं.
- मेंहदवानी इलाके में भीषण जलसंकट को देखते हुए मुश्ताक ने अपने खेत पर खुद के पैसों से बोर कराया है और ट्रैक्टर व टैंकर के जरिए घर-घर जाकर पानी की किल्लत झेल रहे ग्रामीणों को पीने का शुद्ध पेयजल मुहैया करा रहे हैं. 'पानी वाले भाईजान' के नाम से मशहूर मुश्ताक की दरियादिली के कारण गांव के लोग उन्हें अपना मसीहा मानते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि गांव में जलसंकट को लेकर वो नेता और अधिकारियों के चक्कर काटते-काटते थक चुके हैं, लेकिन किसी ने उनकी सुध नहीं ली है.
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- गर्मी के दिनों में तो गांव के तमाम जलस्रोत सूख जाने के कारण भीषण जलसंकट के हालात बन जाते हैं, तब ऐसे में उनका ये पानी वाला भाईजान रोजाना चार से पांच टैंकर शुद्ध पीने का पानी लोगों के घर घर पहुंचाता है. साथ ही गांव में शादी व दुख के कार्यक्रमों में भी पानी से लेकर हरसंभव मदद मुश्ताक के द्धारा की जाती है. जब हमने मुश्ताक भाई से इस मामले में बात की तो उन्होंने बताया कि सालों से उनके इलाके में जलसंकट विकराल स्थिति बनी हुई है और ऐसे में पानी के लिये लोग यहां वहां भटका करते थे, लिहाजा उनके परिवार ने यह संकल्प उठाया था इसलिये पूरी ईमानदारी से वो इस नेक काम को आगे भी जारी रखना चाहते हैं.
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- हैरत की बात तो यह है कि जवाबदार अधिकारी और नेता इलाके में जलसंकट के हालात से अच्छे से वाकिफ हैं, लेकिन कुछ करने की बजाय हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं. इलाके के तहसीलदार मुश्ताक की दरियादिली की तारीफ कर उन्हें सम्मानित करने की बात तो कर रहे हैं, लेकिन साहब को कौन समझाये कि मुश्ताक जैसे लोग शासन और प्रशासन की नाकामी का जीता जागता उदाहरण हैं.