खेती-किसानी को आसान बनाने के लिए नीमच जिले नयागांव के रहने वाले दो भाइयों ने कारनामा कर दिखाया है. उन्होंने बाइक में ही जुगाड़ से ट्रैक्टर बना दिया है. जिसे अब देश के 25 राज्यों में सप्लाई भी कर रहे हैं. वो भी 6 से 10 लाख रुपये के खर्चे कम करते हुए 1 से 2 लाख रुपये लाकर.
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प्रीतेश शारदा/नीमच। खेती-किसानी को आसान बनाने के लिए बहुत सी आधुनिक मशीनें बाजार में आ गई हैं. किसान इनकी मदद से कम समय में अधिक काम कर सकते हैं, लेकिन यह मशीनें छोटे किसानों की पहुंच से दूर हैं. ऐसे में उनके काम आता है जुगाड़. एक ऐसा ही जुगाड़ जावद तहसील के नयागांव में रहने वाले दो व्यक्ति ने मिलकर लगाया है, जिसमें उन्होंने ट्रैक्टर का विकल्प खोज निकाला है. इसके दम पर वो अब देश कई राज्यों में अपनी सफलता के झंडे गाड़ रहे हैं.
कब आया इस काम का विचार
नयागांव रहने वाले विशाल लोहार तकरीबन तीन साल पूर्व ग्रेजुएशन करने के बाद अपने रोजगार की तलाश में थे. इसी दौरान परिवार के वेल्ड़िग शॉप में कुछ नया करने की ठानी. उनके मन में विचार आया की खेती के बोझ हल्का किया जाए. इसके लिए उन्होंने अपने बड़े भाई योगेश लोहार के सहयोग लेकर एक मीनी ट्रेक्टर तैयार किया. इसके सफलता के बाद उन्होंने मिनी ट्रैक्टर में अलग-अलग प्रयोग करना शुरू किया.
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पैसे की हो रही बचत
किसान के उपयोग के का ट्रैक्टर खरीदने में 6 से 10 लाख तक खर्च आता है. इसे इन्होंने जुगाड़ से 1 लाख 25 हजार में कर दिया है. यंत्र को तैयार करने वाले विशाल ने बताया कि बाजार ट्रैक्टर के साथ ट्राली करीब 8 लाख के आसपास होती है. हमारे पास जुगाड़ से कम दोमों में तैयार किया जा सकता है.
देश में हुनर को किया स्थापित
दोनो भाई अपने जुगाड़ से तैयार किए गए यंत्रों देश के कई राज्यों में अपने हुनर को स्थापित कर दिया है. कुशल कारीगरी और यंत्र कौशल का ऐसा उदहारण छोटे से गांव के पेश किया, जिसके चलते आज जुगाड़ तकनीक से खेती किसानी के कार्य आसान बन गया है और किसानों के सामने आने वाली जटिल समस्याएं खत्म हो गयी है.
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25 राज्यों में मांग
योगेश लौहार बताते हैं की उन्होंने अपने इस व्यापार को बढ़ाने के लिए सोशल मिडिया का सहयोग लिया, जिसके कारण आज पुरे देश करीब 25 राज्यों में वे अपनी बाईक बनाकर बेच चुके हैं और उनके बानई गई ये ट्रैक्टर राजस्थान व आंधप्रदेश जैसे राज्यो में खुब पंसद किया जा रहा हैं.
बाईक लाकर देनी होती है
योगेश लौहार ने बताया की हमारे पास से अबतक करीब 200 ट्रैक्टर बनाकर बेचे जा चुके हैं. एक ट्रेक्टर तैयार करने हमें करीब दो दिन का समय लग जाता है. ट्रेक्टर बनाने के लिए किसानों को बाईक खुद लाकर देनी होती हैं. हम उसे बाइक में पुरी मशीन तैयार करते हैं.
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और भी कई मशीने की तैयार
प्रयोग की श्रंखला में दोनों भाइयों ने मिनी ट्रेक्टर को दवा छिड़कने वाली मशीन बना दिया. जिसे लोग काफी पसंद कर रहे हैं. इससे जुताई, बिजाई, निंदाई-गुड़ाई, भार ढोना, कीटनाशक छिड़कना पानी व स्प्रे का छिडकाव कर सकते हैं. इसके बाद वे कई यंत्र बना चुके हैं. जुगाड़ के यह यंत्र सड़क पर नहीं दौड़ाए जा सकते, लेकिन खेतों में काम के लिए काफी उपयोगी हैं. इसलिए इनके पंजीयन की आवश्यकता भी नहीं होती.
खरपतवार, दवाई स्प्रे यंत्र, बाईक पर बुआई मशीन, ट्राली, चेन लेस यंत्र का निर्माण प्रराम्भ किया गया. खास बात यह है की जुगाड़ो की इस श्रंखला में सबसे कम दाम पर बाईक ट्राली यहां उपलब्ध हो रही है. इसके अतिरिक्त ओनली फारवर्ड चेन लेस (बिना चेन वाली), रिवर्स फोरवार्ड, (5 गैर वाली), हायड्रोलीक डंपिग ट्रॉली आदि उपकरणों का निर्माण आज कुशलता पूर्वक किया जा रहा है.