अलविदा प्रणब दा: क्लर्क से भारत के राष्ट्र​पति बने, इंदिरा से करीबी तो राजीव से तल्खी भी रही
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अलविदा प्रणब दा: क्लर्क से भारत के राष्ट्र​पति बने, इंदिरा से करीबी तो राजीव से तल्खी भी रही

प्रणब दा का राजनीतिक करियर 50 वर्ष का रहा. इस दौरान उन्हों कई जिम्मेदारियां निभाईं. विदेश, रक्षा, वाणिज्य और वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभाला, 5 बार राज्यसभा और 2 बार लोकसभा के सदस्य चुने गए.वह 77 साल की उम्र में राष्ट्रपति बने. प्लानिंग कमिशन जिसे अब नीति आयोग के नाम से जाना जाता है, उसके डिप्टी चेयरमैन रहे. उन्होंने कई किताबें भी लिखी हैं. 

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी. (File Photo)

नई दिल्ली: भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी हमारे बीच नहीं रहे. उन्होंने 84 साल की उम्र में दिल्ली के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में अंतिम सांस ली. बीते 10 अगस्त को उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. डॉक्टरों को प्रणब दा के मस्तिष्क में ब्लड क्लॉटिंग मिलने पर उनकी ब्रेन सर्जरी करनी पड़ी थी. इसके बाद से ही उनकी हालत गंभीर बनी हुई थी और उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था.

प्रणब दा का राजनीतिक करियर 50 वर्ष का रहा
प्रणब दा का राजनीतिक करियर 50 वर्ष का रहा. इस दौरान उन्होंने कई जिम्मेदारियां निभाईं. विदेश, रक्षा, वाणिज्य और वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभाला, 5 बार राज्यसभा और 2 बार लोकसभा के सदस्य चुने गए. वह 77 साल की उम्र में राष्ट्रपति बने. प्लानिंग कमिशन जिसे अब नीति आयोग के नाम से जाना जाता है, उसके डिप्टी चेयरमैन रहे. उन्होंने कई किताबें भी लिखी हैं. प्रणब दा का जन्म 11 दिसंबर 1935 को बंगाल के वीरभूमि जिले केे मिराती गांव में हुआ था. उन्होंने कलकत्ता यूनिवर्सिटी से बीए, एमए और एलएलबी की डिग्रियां हासिल कीं. प्रणब दा का विवाह 13 जुलाई 1957 को सुवरा मुखर्जी से हुआ. प्रणब दा के दो बेटे और एक बेटी है.

क्लर्क की नौकरी की, देश के 13वें राष्ट्रपति बने
उन्होंने 1963 में कलकत्ता के पोस्ट एंड टेलीग्राफ ऑफिस में अपर डिवीजन क्लर्क पद पर नौकरी की. इसके बाद उन्होंने विद्यानगर कॉलेज में राजनीतिक विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर पढ़ाया भी. राजनीति में आने से पहले उन्होंने 'देशर डाक' (मातृभूमि की पुकार) नाम की बंगाली पत्रिका के लिए पत्रकारिता भी की. वर्ष 1969 में इंदिरा गांधी ने प्रणब मुखर्जी की काबिलियत को देखकर उन्हें राज्य सभा भेजा. वह 1975, 1981, 1993 और 1999 में राज्यसभा के लिए चुने गए.

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इंदिरा गांधी ने युवा प्रणब दा पर विश्वास जताया
प्रणब दा 1973 में इंदिरा गांधी की कैबिनेट में पहली बार मंत्री बने. उन्हें राजस्व और बैंकिंग मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार दिया गया था. वह इंदिरा गांधी की ही सरकार में 15 जनवरी 1982 को पहली बार देश के वित्त मंत्री बने. तीन बार बजट पेश किया. इसके बाद मनमोहन सिंह की सरकार में 24 जनवरी 2009 से 26 जून 2012 तक वित्त मंत्री रहे और चार बार बजट पेश किया. पीवी नरसिम्हा राव के प्रधानमंत्रित्व काल में प्रणब मुखर्जी को योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया. बाद में उन्हें विदेश मंत्री की जिम्मेदारी दे दी गई. वह 10 फरवरी 1995 से 16 मई 1996 तक विदेश मंत्री रहे. मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्रित्व काल में प्रणब दा 24 अक्टूबर 2006 से 22 मई 2009 तक विदेश मंत्री रहे.

प्रणब दा ने कुछ वर्षों के लिए कांग्रेस छोड़ी भी थी
वर्ष 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद प्रणब दा और राजीव गांधी के बीच मतभेद काफी बढ़ गए. प्रणब दा को कांग्रेस पार्टी से 6 साल के लिए निलंबित कर दिया गया. उन्होंने पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस का गठन किया. हालांकि, प्रणब दा ने 1989 में अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर लिया. उसके बाद से वह राष्ट्रपति बनने तक कांग्रेस पार्टी के साथ ही रहे. सोनिया गांधी ने प्रणब दा को 15 जून 2012 को राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित किया. 25 जुलाई 2012 को प्रणब मुखर्जी भारत के 13वें राष्ट्रपति बने. वह 25 जुलाई 2017 तक इस पद पर रहे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफी करीब रहे प्रणब दा
प्रणब दा की प्रधानमंत्री मोदी के साथ काफी घनिष्ठता रही. उन्होंने कई मौकों पर पीएम मोदी की तारीफ भी की. प्रधानमंत्री मोदी के लिए भी प्रणब दा काफी सम्मानित रहे. वह प्रणब दा के आर्थिक और राजनीतिक ज्ञान के हमेशा कायल रहे. पीएम मोदी जीएसटी को लागू करने में पूर्व राष्ट्रपति की भूमिका को काफी महत्वपूर्ण मानते हैं. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय प्रजातांत्रिक गठबंधन ने पूर्ण बहुमत से एक ​बार फिर सत्ता में वापसी की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शपथ लेने के पहले 28 मई को प्रणब मुखर्जी से आशीर्वाद लेने उनके आवास पहुंचे. मुखर्जी ने मोदी को अपने हाथों से मिठाई खिलाकर गर्मजोशी से उनका स्वागत किया. पीएम मोदी ने भी पूर्व राष्ट्रपति के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया.

विरोध के बावजूद संघ के कार्यक्रम में शामिल हुए
वर्ष 2019 में मोदी सरकार ने प्रणब दा को भारत रत्न देने का फैसला किया. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 8 अगस्‍त 2019 को प्रणब दा को भारत रत्न से सम्मानित किया. मुखर्जी देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान पाने वाले पांचवें राष्ट्रपति थे. इससे पहले राष्ट्रपति डॉ. एस राधाकृष्णन, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. जाकिर हुसैन और वीवी गिरि को भारत रत्न सम्मान मिल चुका है. प्रणब दा अपने फैसले पर कायम रहने वाले शख्स थे. यह बात तब पुष्ट हो गई जब कांग्रेसी नेताओं की नाराजगी के बावजूद वह 7 जून 2019 को नागपुर संघ कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए.

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